Kanchanjunga Express Accident: लोको पायलट की गलती या सिग्नल हुआ फेल? किसकी चूक से हुआ कंचनजंगा हादसा
Kanchanjunga Express Accident: कंचनजंघा एक्सप्रेस के चालक ने स्वचालित सिग्नल प्रणाली में खराबी के दौरान अपनाए जाने वाले मानदंडों का पालन किया, सभी लाल सिग्नल पर एक मिनट तक रुका और 10 किमी प्रति घंटे की गति से आगे बढ़ा.
Kanchanjunga Express Accident: रेलवे बोर्ड ने सोमवार को कहा कि पश्चिम बंगाल में कंचनजंघा एक्सप्रेस दुर्घटना में प्रथम दृष्टया यह पाया गया है कि मालगाड़ी ने उस खंड पर "दोषपूर्ण" ऑटोमैटिक सिग्नलिंग सिस्टम के कारण गति प्रतिबंधों का उल्लंघन किया और "अधिक गति’’ के कारण यात्री ट्रेन से टकरा गई. राज्य के दार्जिलिंग जिले में रानीपतरा रेलवे स्टेशन (RNI)-चत्तर हाट जंक्शन (CAT) मार्ग पर सुबह हुई दुर्घटना में सात यात्रियों और दो रेलवे कर्मचारियों की मौत हो गई और 41 लोग घायल हो गए.
तेज स्पीड से चल रही थी मालगाड़ी
बोर्ड ने कहा कि हालांकि मालगाड़ी के चालक को आरएनआई और सीएटी के बीच सभी लाल सिग्नल को पार करने की अनुमति दी गई थी, क्योंकि स्वचालित सिग्नलिंग प्रणाली "दोषपूर्ण" थी, फिर भी ट्रेन की गति इस तरह की स्थिति के लिए निर्धारित स्वीकार्य सीमा से अधिक थी.
मालगाड़ी के चालक को सिग्नल पार करने की थी अनुमति
बोर्ड ने कहा कि मालगाड़ी का चालक "अधिक गति से मालगाड़ी चला रहा था" और इस कारण यह आरएनआई और सीएटी के बीच कंचनजंघा एक्सप्रेस से टकरा गई. बोर्ड ने उन खबरों पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि दुर्घटना में मारे गए चालक को रानीपतरा के स्टेशन मास्टर द्वारा टीए 912 नामक एक लिखित अनुमति दी गई थी जिसमें उसे सभी लाल सिग्नल पार करने का अधिकार दिया गया था.
क्यों हुई टक्कर?
बोर्ड ने कहा कि कंचनजंघा एक्सप्रेस के चालक ने स्वचालित सिग्नल प्रणाली में खराबी के दौरान अपनाए जाने वाले मानदंडों का पालन किया, सभी लाल सिग्नल पर एक मिनट तक रुका और 10 किमी प्रति घंटे की गति से आगे बढ़ा, लेकिन मालगाड़ी के चालक ने मानदंडों की "अनदेखी" की जिससे यात्री ट्रेन को पीछे से टक्कर मार दी.
इससे पहले एक सूत्र ने बताया कि आरएनआई और सीएटी के बीच स्वचालित सिग्नलिंग प्रणाली सोमवार सुबह 5.50 बजे से खराब थी.
क्या कहता है नियम?
सूत्र ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, ‘‘ट्रेन संख्या 13174 (सियालदह-कंचनजंघा एक्सप्रेस) सुबह 8:27 बजे रंगापानी स्टेशन से रवाना हुई और आरएनआई और सीएटी के बीच रुकी रही. ट्रेन के रुकने का कारण पता नहीं है.’’
रेलवे के एक अन्य अधिकारी के अनुसार जब स्वचालित सिग्नलिंग प्रणाली विफल हो जाती है, तो स्टेशन मास्टर टीए 912 नामक एक लिखित अधिकार पत्र जारी करता है, जो चालक को गड़बड़ी के कारण सेक्शन में सभी लाल सिग्नल को पार करने के लिए अधिकृत करता है.
सूत्र ने बताया, ‘‘रानीपतरा के स्टेशन मास्टर ने ट्रेन नंबर 13174 (सियालदह-कंचनजंघा एक्सप्रेस) को टीए 912 जारी किया था.’’ उन्होंने बताया कि ‘‘लगभग उसी समय एक मालगाड़ी, जीएफसीजे, सुबह 8:42 बजे रंगापानी से रवाना हुई और 8:55 बजे कंचनजंघा एक्सप्रेस को पीछे से टक्कर मार दी, जिसके परिणामस्वरूप गार्ड का कोच, दो पार्सल कोच और एक सामान्य सीटिंग कोच (यात्री ट्रेन का) पटरी से उतर गया.’’
कैसे हुई टक्कर?
घटना के बाद रेलवे बोर्ड की अध्यक्ष जया वर्मा सिन्हा ने कहा कि न्यू जलपाईगुड़ी के निकट टक्कर संभवतः इसलिए हुई क्योंकि मालगाड़ी ने सिग्नल की अनदेखी की और अगरतला से सियालदह जा रही कंचनजंघा एक्सप्रेस को टक्कर मार दी. हालांकि, लोको पायलट संगठन ने रेलवे के इस बयान पर सवाल उठाया है कि चालक ने रेल सिग्नल का उल्लंघन किया.
भारतीय रेलवे लोको रनिंगमैन संगठन (आईआरएलआरओ) के कार्यकारी अध्यक्ष संजय पांधी ने कहा कि रेलवे बोर्ड का यह कहना गलत है कि चालक को लाल सिग्नल पर एक मिनट के लिए ट्रेन रोकनी चाहिए और टीए 912 मिलने के बाद सीमित गति से आगे बढ़ना चाहिए. उन्होंने कहा कि लोको पायलट की मौत हो जाने और सीआरएस जांच लंबित होने के बावजूद लोको पायलट को ही जिम्मेदार घोषित करना अत्यंत आपत्तिजनक है.