Indian Railways: पश्चिम रेलवे ने कबाड़ बेचकर कमाए 250.99 करोड़ रुपये, पिछले साल के मुकाबले 38 फीसदी ज्यादा हुई बिक्री
भारतीय रेल के पश्चिम रेलवे (Western Railway) जोन ने मौजूदा वित्त वर्ष में 21 सितंबर तक कबाड़ बेचकर 250.99 करोड़ रुपये की भारी-भरकम आय अर्जित की है. ये पिछले साल की इसी अवधि की 181.27 करोड़ रुपये की बिक्री की तुलना में 38 फीसदी ज्यादा है.
Indian Railways: यात्रियों को बेहतर सेवाएं देने के लिए प्रतिबद्ध भारतीय रेल अपनी आय को लेकर भी काफी गंभीर रहती है. सिर्फ माल ढुलाई और यात्री किराया ही भारतीय रेल के आय का स्त्रोत नहीं है. भारतीय रेल के पास आय अर्जित करने के लिए और भी कई स्त्रोत हैं. स्क्रैप यानी कबाड़ की बिक्री से भी भारतीय रेल हर साल मोटी आय अर्जित करती है. इसी कड़ी में भारतीय रेल के पश्चिम रेलवे (Western Railway) जोन ने कबाड़ बेचकर 250 करोड़ रुपये की भारी-भरकम आय अर्जित की है. पश्चिम रेलवे ने एक प्रेस रिलीज जारी कर इसकी जानकारी दी है.
मौजूदा वित्त वर्ष में स्क्रैप बिक्री से 250 करोड़ की आय अर्जित करने वाला जोन बना पश्चिम रेलवे
पश्चिम रेलवे अपने सभी रेलवे प्रतिष्ठानों और इकाइयों को "मिशन जीरो स्क्रैप" के अंतर्गत स्क्रैप मुक्त बनाने के लिए हमेशा से प्रतिबद्ध रही है. इस दिशा में अपने निरंतर प्रयासों को जारी रखते हुए पश्चिम रेलवे ने एक और उपलब्धि हासिल की है. पश्चिम रेलवे ने इस वित्त वर्ष के दौरान स्क्रैप बिक्री से 250 करोड़ रुपये के बड़े आंकड़े को पार करने वाला भारतीय रेल का पहला जोन बनने का गौरव प्राप्त किया है. यह उत्कृष्ट उपलब्धि पश्चिम रेलवे के महाप्रबंधक (प्रभारी) प्रकाश बुटानी के ऊर्जावान एवं कुशल नेतृत्व और पश्चिम रेलवे के प्रमुख मुख्य सामग्री प्रबंधक अरुण मेहता और उनकी टीम द्वारा निरंतर निगरानी के कारण संभव हुई है.
पश्चिम रेलवे ने पिछले साल की थी 513.46 करोड़ रुपये के स्क्रैप की बिक्री
पश्चिम रेलवे के जनसम्पर्क विभाग द्वारा जारी एक प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार ''जीरो स्क्रैप मिशन'' की दिशा में आगे बढ़ते हुए चालू वित्त वर्ष के दौरान पश्चिम रेलवे ने 21 सितंबर, 2022 तक 250.99 करोड़ रुपये मूल्य की स्क्रैप बिक्री की है. ये पिछले साल की इसी अवधि की 181.27 करोड़ रुपये की बिक्री की तुलना में 38 फीसदी ज्यादा है. बताते चलें कि पश्चिम रेलवे पिछले चार सालों से लगातार लगभग 500 करोड़ रुपये के स्क्रैप की बिक्री कर रही है, जिससे अवरुद्ध निधि के मुद्रीकरण और परिणामस्वरूप राजस्व सृजन में मदद मिली है. पिछले वित्त वर्ष में पश्चिम रेलवे ने 513.46 करोड़ रुपये के स्क्रैप की बिक्री की थी.