Indian Railways: खाटू श्याम जी के लाखों-करोड़ों भक्तों के लिए खुशखबरी है. भारत के सभी विरासत स्थलों तक लोगों को आसान कनेक्टिविटी प्रदान करने के लिए रेलवे लगातार प्रयास कर रहा है. रेलमंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि रेलवे ने खाटू श्याम जी तीर्थ को रेल नेटवर्क से जोड़ने के लिए एक व्यापक प्रोग्राम तैयार किया है. वैष्णव ने कहा कि खाटू श्याम जी दुनिया के लोगों द्वारा देखे जाने वाले सबसे प्रतिष्ठित मंदिरों में से एक हैं. हर साल लगभग 50-60 लाख भक्त खाटू श्याम जी के दर्शन करते हैं. रेलवे ने देश के सभी सांस्कृतिक विरासत और श्रद्धा के स्थान को जोड़ने की योजना बनाई. इसी के तहत व्यवस्था की गई है ताकि खाटू श्याम जी रेलवे नेटवर्क से जुड़ सकें.

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उन्होंने कहा कि भारत में सभी विरासत स्थलों को कनेक्टिविटी प्रदान करने के लिए विभाग ने खाटू श्याम जी तीर्थ को रेल नेटवर्क से जोड़ने के लिए एक व्यापक कार्यक्रम तैयार किया है. हाल ही में इसके सर्वे को अनुमति दी गई है और सर्वे पूरा करने के बाद रेलवे जल्द ही इस पर काम शुरू करेगी.

विरासत और विकास दोनों को महत्व

रेल मंत्री ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) विरासत और विकास दोनों को समान महत्व देते हैं. उन्होंने कहा, "हाल ही में हमारे सांसद स्वामी सुमेधानंद सरस्वती भी इस मुद्दे को लेकर मेरे पास आए थे. हम जल्द ही इस दिशा में काम शुरू करेंगे."

नई लाइन का निर्माण

लोगों की सुविधा के लिए अन्य विकास की बात करते हुए वैष्णव ने कहा, "रींगस जंक्शन से खाटू श्याम जी की दूरी लगभग 17 किलोमीटर है. जब मुख्य लाइन से नई लाइन बनती है, तो इसके व्यापक विकास की आवश्यकता होती है. उदाहरण के लिए, कोचिंग स्टॉक के टर्मिनल और रखरखाव के लिए एक सुविधा होनी चाहिए."

भक्तों को होगी आसानी

उन्होंने बताया कि खाटू श्याम जी के लिए ट्रेन चलाने की व्यवस्था की जाएगी. क्योंकि देश भर से श्रद्धालु खाटू श्याम जी के दर्शन के लिए आते हैं. इसलिए ऐसी व्यवस्था होनी चाहिए कि ट्रेन वहां से चल सके या वहां पहुंच सके. इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुए इसे ध्यान में रखते हुए एक पूरी व्यापक योजना तैयार की जा रही है.

प्रमुख तीर्थ स्थल है खाटू श्याम मंदिर

उल्लेखनीय है कि खाटू श्याम मंदिर भारत के सबसे पवित्र मंदिरों में से एक है. राजस्थान में, हिंदू देवता बर्बरीक को खाटू श्याम के रूप में पूजा जाता है. खाटू सीकर शहर से 43 किमी और रींगस से 17 किमी दूर है. रेल नेटवर्क से जुड़ने के बाद लोग सीधे ट्रेन से इस तीर्थस्थल तक पहुंच सकते हैं.

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