भारतीय रेलवे (Indian Railways) का इतिहास काफी समृद्ध रहा है. देश में कुछ चलते फिरते भाप के इंजन इस इतिहास के गवाह भी हैं. हाल ही में चेन्नई के पेरंबूर लोको वर्कशॉप में विश्व का सबसे (164 वर्ष) पुराना लोकोमोटिव EIR-21 हेरिटेज स्टीम इंजन एक बार फिर से चलाया गया है. ये स्टीम इंजन लोगों के बीच आकर्षण का केंद्र बना हुआ है. बड़ी संख्या में बच्चे इस इंजन को देखने पहुंच रहे हैं. हाल ही में इस इंजन को चेन्नई के एगमोर रेलवे स्टेशन से कुडम्बकम रेलवे स्टेशन के बीच चलाया गया.

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1855 में भारत लाया गया था ये इंजन

EIR-21 हेरिटेज स्टीम इंजन फेरी क्वीन स्टीम इंजन की तरह ही दिखाई देता है. इस इंजन को 1855 में इंग्लैंड से भारत लाया गया था. इस इंजन को 1909 में रिटायर कर दिया गया था. तब से ये इंजन जमालपुर वर्कशॉप और हावड़ा रेलवे स्टेशन पर प्रदर्शनी के लिए रखा जा रहा था.

दो सिलेंडर का है ये इंजन

 पेरंबूर लोको वर्कशॉप में इस लोकोमोटिव का रखरखाव किया जा रहा है. इंजन की सफाई के साथ ही आवश्यकता अनुसार इस इंजन के पुर्जे बदलने का काम किया जा रहा है. भारतीय रेलवे ने इस इंजन को फिर से चलाने की योजना बनाई. इस इंजन को 2010 में  पेरंबूर लोको वर्कशॉप में फिर से चलने के लिए बनाया गया. इस इंजन में दो सिलेंडर हैं और इसकी क्षमता 130 HP की है. इसकी अधिकतम स्पीड 40 किलोमीटर प्रति घंटा की है. इस स्टीम इंजन को हैरिटेज रन के लिए चलाया जा रहा है.

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बेहद खूबसूरती से सजाया गया ये इंजन

इस स्टीम इंजन को बेहद खूबसूरत तरीके से सजाया गया है. इसके सजाने के लिए कई तरह के रंगों को इस्तेमाल किया गया है. इस स्टीम इंजन को हर शनिवार को पेरंबूर लोको वर्कशॉप में प्रदर्शनी के लिए रखा जाता है. 15 अगस्त और 26 जनवरी जैसे महत्वपूर्ण दिनों में इस इंजन को चलाया जाता है.