सर्दियों में ट्रेन से सफर कर रहे करोड़ों पैसेंजर्स का रेलवे रखेगी खयाल! हर ट्रिप के बाद करने वाली है ये काम
Indian Railways New Rules: रेलवे में उपयोग होने वाले लेनिन की सफाई हर उपयोग के बाद की जाती है. लेनिन की सफाई विशेष रूप से मैकेनिकल लॉन्ड्री में होती है, जो पूरी तरह से निगरानी में होती है.
Indian Railways New Rules: भारतीय रेलवे यात्रियों की सुविधाएं बढ़ाने के लिए व्यापक कोशिश कर रही है. यात्रियों को नई आरामदायक लेनिन की ज्यादा चौड़ी-लंबी चादर, अच्छी गुणवत्ता के साफ-सुथरे कंबल और खाने से लेकर तमाम चीजें इनमें शामिल हैं. अब रेलवे ने हर ट्रिप के बाद यूवी सेनेटाइजेशन प्रक्रिया शुरू की है.
हर यूज के बाद होती है लेनिन की सफाई
उत्तर रेलवे के CPRO हिमांशु शेखर उपाध्याय ने बताया, "रेलवे में उपयोग होने वाले लेनिन की सफाई हर उपयोग के बाद की जाती है. लेनिन की सफाई विशेष रूप से मैकेनिकल लॉन्ड्री में होती है, जो पूरी तरह से निगरानी में होती है, जिसमें CCTV कैमरे लगे होते हैं और पूरी प्रक्रिया की निगरानी की जाती है. इसके अलावा, समय-समय पर अधिकारियों और पर्यवेक्षकों द्वारा आकस्मिक निरीक्षण भी किया जाता है. मीटर से सफेदी की जांच करने के बाद ही लेनिन को आगे यात्रियों को दिया जाता है."
2010 से पहले सफाई का ये प्रोटोकॉल
उन्होंने आगे कहा, "उत्तर रेलवे द्वारा गुणवत्ता सुधार के लिए नए मानक लागू किए जा रहे हैं. इस समय यह सुधार राजधानी, तेजस जैसी विशेष और प्रतिष्ठित ट्रेनों में पायलट आधार पर लागू किया जा रहा है. ये नई प्रकार की लेनिन बेहतर गुणवत्ता की हैं, इनके आकार बड़े हैं और फैब्रिक भी ज्यादा अच्छा है, जिससे यात्री बेहतर अनुभव कर सकते हैं और ज्यादा संतुष्ट हो सकते हैं. ब्लैंकेट की सफाई को लेकर साल 2010 से पहले सफाई का प्रोटोकॉल था कि उसे हर दो या तीन महीने में एक बार साफ किया जाता था, लेकिन अब यह प्रक्रिया हर महीने में दो बार की जा रही है.
कैसे होती है लिनेन की धुलाई
उन्होंने बताया कि जहां लॉजिस्टिक समस्याएं होती हैं, वहां इसे महीने में कम से कम एक बार साफ किया जाता है. इसके अलावा, उत्तर रेलवे हर 15 दिन में नेफ्थलीन वेपर हॉट एयर क्रिस्टलाइजेशन का प्रयोग करता है, जो एक बहुत प्रभावी और समय-परीक्षित तरीका है. इस प्रक्रिया से यात्रियों को एक बेहतर सफाई और सुविधा प्रदान की जाती है.
हर राउंड ट्रिप के बाद होगी धुलाई
उन्होंने कहा, "अभी पायलट प्रोजेक्ट के रूप में यूवी सैनिटाइजेशन की शुरुआत की गई है, जिसमें हर राउंड ट्रिप पर अब ब्लैंकेट को यूवी किरणों से सैनिटाइज किया जाएगा. यह एक बहुत ही उन्नत और आधुनिक तकनीक है, जो आजकल व्यापक रूप से इस्तेमाल की जा रही है. इस प्रक्रिया को फिलहाल दो राजधानी ट्रेनों, जम्मू राजधानी और डिब्रूगढ़ राजधानी में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में लागू किया गया है. इस प्रयोग से मिले अनुभवों के आधार पर इसे भविष्य में अन्य ट्रेनों में भी लागू किया जाएगा."