नॉर्दन रेलवे ने 14 जोड़ी प्रीमियम और मेल/एक्सप्रेस ट्रेनों को “हेड ऑन जनरेशन” तकनीक के जरिए चलाना शुरू कर दिया है. फिलहाल इस तकनीक के जरिए 6 जोड़ी शताब्दी, 4 जोड़ी राजधानी, 12235/36 आनंद विहार टर्मिनल - मधुपुर जंक्शन हमसफर एक्सप्रेस, 22401 दिल्ली सराय रोहिल्ला उधमपुर AC एक्सप्रेस, 12280/79 ताज एक्सप्रेस और 12497/98 शान-ए-पंजाब एक्सप्रेस ट्रेनों को चलाया जा रहा है.
 
हर साल बचेगा 42 करोड़ का डीजल
“हेड ऑन जनरेशन” तकनीक के जरिए इन ट्रेनों को चलाने से साल में लगभग 42 करोड़ रुपये के डीजल की बचत होगी. उत्तर रेलवे जल्द ही “हेड ऑन जनरेशन” तकनीक पर 11 जोड़ी ट्रेनें और चलाने के प्लान पर काम कर रहा है. इन ट्रेनों में 2 शताब्दी एक्सप्रेस, 2 दुरन्तो और 7 मेल/एक्सप्रेस ट्रेनें चलाई जाएंगी. इस तकनीक के प्रयोग से डीजल के खर्च में बचत के साथ ही पर्यावरण को भी फायदा पहुंचेगा.
 
क्या है “हेड ऑन जनरेशन” तकनीक
भारतीय रेलवे की जितनी भी प्रीमियम और मेल/एक्सप्रेस ट्रेनें हैं उनमें एलएचबी डिब्बे इस्तेमाल किए जा रहे हैं. ट्रेनों में लगे AC डिब्बों में कूलिंग और कोच में लाइटिंग और पंखों को चलाने के लिए हर ट्रेन में दो जनरेट कारें लगानी पड़ती थीं. लेकिन “हेड ऑन जनरेशन” तकनीक के जरिए ट्रेन में बजली की जरूरत को ओवरहेड वायर से ही पूरा कर दिया जाता है. ऐसे में जनरेटर कार की जगह पर दो यात्री कोच लगाने का विकल्प मिल जाता है और डीजल का खर्च भी घट जाता है.
 
ऐसे काम करती है “हेड ऑन जनरेशन” तकनीक
“हेड ऑन जनरेशन” तकनीक में रेलगाड़ी की बिजली की जरूरत को पूरा करने के लिए इंजन के पेन्टोग्राफ से बिजली को पहले ट्रांसफार्मर को भेजा जाता है और फिर वहां से ये बिजली डिब्बों में जरूरत के मुताबिक 750 वोल्ट, 3-फेज 50 हर्ट्ज में बदल कर भेजी जाती है.