Railway Facts: ट्रेन से सफर तो हम सबने कभी न कभी जरूर किया होगा. ऐसे में हम रेलवे स्टेशन भी गए होंगे, जहां पीले रंग के बोर्ड पर रेलवे स्टेशन का नाम लिखा होता है. लेकिन क्या आपने कभी इन बोर्ड को ध्यान से देखा है. इसके ऊपर रेलवे स्टेशन के नाम के साथ स्टेशन की समुद्र तल से ऊंचाई भी लिखी होती है. क्या आपने कभी सोचा है कि शहर के अंदर स्टेशनों पर 'समुद्र तल से ऊंचाई' लिखने का क्या फायदा हो सकता है. आपको जानकर हैरानी होगी कि ये छोटी सी जानकारी ट्रेन के लोको पायलट को ट्रेन चलाने में काफी मदद करती है. 

लोको पायलट के लिए है बहुत खास

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रेलवे स्टेशन के बोर्ड पर नीचे लिखे गया 'समुद्र तल से ऊंचाई' का पैसेंजर्स से कोई लेना-देना नहीं है लेकिन ये जानकारी ट्रेन को चलाने वाले लोको पायटल के लिए बहुत जरूरी है. हम सभी जानते हैं कि देश ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में जमीन अलग-अलग जगह पर ऊंची-नीची रहती है. 

ऐसे में समुद्र तल से हमारी धरती की ऊंचाई अलग-अलग जगहों पर अलग होती है. अगर समुद्र से दिल्ली की ऊंचाई देखी जाए तो ये 207 मीटर के आसपास है, जबकि मुंबई की ऊंचाई करीब 7 मीटर है. यानी दिल्ली से मुंबई जाने के रास्ते में धरती और समुद्र तल के बीच का अंतर कम होता जाता है.

कैसे काम आती है ये जानकारी

किसी भी जगह की ऊंचाई की जानकारी प्राप्त करने के लिए समुद्र तल सबसे प्रभावशाली तरीका माना जाता है और ये बात ट्रेन के पायलट और गार्ड के लिए भी जरूरी होती है. दरअसल ट्रेन को चलाने वाला लोको पायलट जब किसी स्टेशन से गुजरते हैं, तो उसके लिए उस जगह की सही ऊंचाई की जानकारी होना बहुत जरूरी होता है. इससे लोको पायलट ऊंचाई के हिसाब से ट्रेन के इंजन को पावर और टॉर्क जनरेट करने के लिए कमांड दे सकते हैं और ट्रेन आसानी से ऊंचे या नीचे सतह पर साधारण स्पीड के साथ चला सकते हैं.

अब किसी ट्रेन के रूट पर सभी जगहों पर समुद्र तल से ऊंचाई की जानकारी देना संभव नहीं है, इसलिए रेलवे स्टेशन के बोर्ड पर इसकी जानकारी लिख दी जाती है ताकि जब कोई लोको पायलट किसी रेलवे स्टेशन से गुजरे तो वह उस जगह की ऊंचाई को हिसाब लगाकर इंजन को सही कमांड दे सके.