Indian Railways: ट्रेन से सफर तो हम सब करते हैं और अक्सर हम खिड़की से बाहत देखते हुए इस सफर का आनंद भी लेते हैं. लेकिन क्या कभी रेलवे ट्रैक को देखकर आपने सोचा है कि एक सी दिखने वाले इन टेढ़े-मेढ़े रास्तों में कौन सा रास्ता सही है, ये लोको पायलय को कैसे पता चलता है. या फिर किसी शहर के बीच से निकलते वक्त लोको पायलट को कैसे पता चलता है कि रेलवे ट्रैक पर कही कोई आदमी तो नहीं या क्रॉसिंग फाटक खुला है या बंद? प्लेटफॉर्म से कब निकलना है या किसी स्टेशन में कब घुसना है, इन सभी चीजों के लिए रेलवे ने पहले से कुछ सिग्नल तय करके रखे हुए हैं. आइए आज जानते हैं एक जैसे दिखने वाले इन सिग्नलों का मतलब. 

लेवल क्रॉसिंग गेट सिग्नल (Level Crossing Gate Signal)

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जैसा कि नाम से ही पता चलता है कि ये सिग्नल क्रॉसिंग गेट के पास लगाया जाता है, जिससे लोको पायलट को यह पता चल जाता है कि लेवल क्रॉसिंग गेट बंद है और ट्रेन के गुजरने के लिए रास्ता बिल्कुल साफ है. इस सिग्नल की सहायता से ही सड़कों और रेलवे ट्रैक के मिलने वाले रास्तों से ट्रेन बिना किसी दुर्घटना के निकल जाती है. 

स्टर्टर सिग्नल (Starter Signal)

क्या आपने कभी सोचा है कि कौन सा सिग्नल किसी स्टेशन के प्लेटफॉर्म से ट्रेन के सुरक्षित प्रस्थान को सुनिश्चित करता है? ये काम स्टार्टर सिग्नल करता है. जी हां, स्टार्टर सिग्नल की ही सहायता से कोई ट्रेन प्लेटफॉर्म या ट्रैक से सुरक्षित आगे बढ़ती है. 

होम सिग्नल (Home Signal)

होम सिग्नल की सहायता से लोको पायलट को ट्रेन को सही ट्रैक पर लेकर जाने में बहुत सहायता मिलती है. जिस जगह पर कोई ट्रैक एक से अधिक भाग में बंट रहा हो, उससे 300 मीटर पहले लगाया जाता है. लोको पायलट को सही ट्रैक बताने के साथ ही ये उसे ट्रेन को सुरक्षित स्टेशन पर लेकर आने के लिए भी सिग्नल देता है. 

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