ट्रेन का सफर होगा और ज्यादा आरामदायक, ब्रेक लगने पर भी महसूस नहीं होंगे झटके
दो कोच को coupler किसी जंजीर की तरह जोड़ता है लेकिन coupler के जोड़ में खाली जगह रह जाती है जिसके चलते जब भी ट्रेन में ब्रेक लगता है, तब यात्रियों को झटका महसूस होता है.
ट्रेन में सफर करते समय लगने वाले झटकों से यात्री खुद को थका-थका महसूस करता है. खासकर रात के सफर में इन झटकों या कहें कि हिचकोलों से यात्री ठीक से आराम नहीं कर पाते हैं. इसके अलावा ट्रेन द्वारा अचानक ब्रैक लगाने पर तो सीट से गिरने तक की नौबत आ जाती है. अगर उस समय आप चाय या कॉफी पी रहे हैं तो आपके कपड़े खराब होना तय है. लेकिन अब ऐसा नहीं होगा. भारतीय रेलवे यात्रियों के सफर को और ज्यादा आरामदायक बनाने जा रहा है. यात्रा के दौरान लगने वाले झटकों को खत्म करने के लिए रेलवे नई तकनीक का इस्तेमाल करेगा. इसके लिए भारतीय रेलवे 'मिशन ट्रांसफॉर्मेशन' शुरू करने जा रहा है.
मिशन ट्रांसफॉर्मेशन के तहत रेलवे मंत्रालय के अधिकारियों ने लक्ष्य तय किया कि रेल यात्रा के दौरान ब्रेक लगने पर जो झटका लगता है उसको खत्म ये फिर बेहद कम किया जाए. सबसे पहले प्रीमियम ट्रेन यानी राजधानी और शताब्दी में इस समस्या को दूर किया गया. समस्या को दूर करने के लिए रेलवे ने दो कोच को आपस में जोड़ने वाले coupler के डिज़ाइन में आधुनिक बदलाव किए हैं. तकनीकी तौर पर रेलवे ने coupler के बीच में जो खाली जगह रह जाती है, उसको भरने के लिए श्रिम्प लगाए जा रहे हैं.
आसान भाषा मे समझे तो दो कोच को coupler किसी जंजीर की तरह जोड़ता है लेकिन coupler के जोड़ में खाली जगह रह जाती है जिसके चलते जब भी ट्रेन में ब्रेक लगता है, तब यात्रियों को झटका महसूस होता है.
मिशन ट्रांसफॉर्मेशन के तहत अब तक तकरीबन 12,000 ट्रेनों में ये बदलाव किया जा चुका है. जिस भी ट्रेन में नए जमाने के LHB कोच लगे हैं, वहां ये समस्या नहीं दिखाई दे रही है. रेलवे ने एक साल के भीतर इस लक्ष्य को हासिल किया. काम की तेजी का अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि महज 6-7 महीने में रेलवे ने देश के 5,000 ट्रेनों में, खासकर सभी प्रीमियम ट्रेनों में इस बदलाव को मुमकिन किया है. रेलवे का लक्ष्य है कि आने वाले वर्षों में इस सुविधा को देश की सभी यात्री ट्रेनों में भी पूरा किया जाए.