भारतीय रेलवे (Indian Railways) रेलवे स्टेशनों और ट्रेनों में सिंगल यूज प्लास्टिक के प्रयोग पर रोक लगाने के लिए कई तरह के प्रयास कर रहा है. चलती ट्रेन में प्लास्टिक की पानी की बोतलों पर लगाम लगाने के लिए रेलवे ने अनोखा प्रयोग किया है. पश्चिम रेलवे में ट्रेन की LHB पैंट्रीकार में PET बॉटल क्रशिंग मशीन लगाई है. ये मशीन प्लास्टिक की बोतलों को छोटे - छोटे टुकड़ों में काट देती है. इन प्लास्टिक के टुकड़ों का दुबारा प्रयोग किया जा सकता है.

COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

हर साइज की बोतल हो सकेगी रीसाइकिल

रेलवे की ओर से LHB पैंट्रीकार में लगाई गई PET बॉटल क्रशिंग मशीन की क्षमता 3000 बोतल प्रति दिन की है. ट्रेनों में यात्रियों द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली बोतलों के साइज को ध्यान में रखते हुए रेलवे ने इस मशीन को इस हिसाब से डिजाइन किया है कि इसमें 200 मिलीलीटर से 2.5 लीटर तक की बोतल को क्रश किया जा सके.

कार्बन फुटप्रिंट घटाने में मदद मिलेगी

रेलवे के मुताबिक बॉटल क्रशिंग मशीन बोतलों को प्लास्टिक के टुकड़ों में बदल देगी. इन टुकड़ों को 100 फीसदी फिर से इस्तेमाल करने लायक प्लास्टिक में बदल दिया जाएगा. इस प्रयोग से कार्बन फुटप्रिंट को भी घटाने में मदद मिलेगी. वहीं यात्री खाली बोतल को यहां - वहां फेंक देते हैं, इसपर भी लगाम लगेगी.  

 

रेलवे स्टेशनों पर नहीं मिलेगी पॉलीथीन

रेल मंत्रालय ने देश के सभी रेलवे स्टेशन और ट्रेनों में प्लास्टिक के इस्तेमाल पर रोक लगा दी है. यह रोक 2 अक्टूबर से लागू होगी. रेल मंत्रालय के आदेश के मुताबिक, देशभर के सभी रेलवे स्टेशन और दफ्तरों में एक बार इस्तेमाल होने वाली प्लास्टिक नही दिखेगी. वेंडर भी पॉलीथिन या कप का इस्तेमाल नही कर सकेंगे. 50 माइक्रोन से कम वाले प्लास्टिक पर पाबंदी लगाई जा रही है. इसके साथ ही रेलवे मंत्रालय पानी की बोतलों के लिए हर स्टेशन पर क्रशिंग मशीन लगाएगा.