रेलवे ने मांगा एडवांस किराया, जानिए क्या है कारण
रेलवे ने उसके साथ 500 करोड़ रुपये से अधिक का कारोबार करने वाले अपने प्रीमियम माल भाड़ा ग्राहकों से अगले वित्त वर्ष 2020-2021 के लिए गाड़ियां चलाने के लिए अग्रिम भुगतान करने को कहा है. अधिकारियों ने मंगलवार को यह बात कही. भारतीय रेलवे द्वारा अपने चालू वित्त वर्ष के खाते को बेहतर स्थिति में लाने के लिए यह कदम उठाया जा रहा है.
रेलवे ने उसके साथ 500 करोड़ रुपये से अधिक का कारोबार करने वाले अपने प्रीमियम माल भाड़ा ग्राहकों से अगले वित्त वर्ष 2020-2021 के लिए गाड़ियां चलाने के लिए अग्रिम भुगतान करने को कहा है. अधिकारियों ने मंगलवार को यह बात कही. भारतीय रेलवे द्वारा अपने चालू वित्त वर्ष के खाते को बेहतर स्थिति में लाने के लिए यह कदम उठाया जा रहा है.
पिछले साल रेलवे को मिले इतनें रुपये
पिछले साल रेलवे को माल भाड़ा अग्रिम योजना के तहत अतिरिक्त राजस्व के रूप में 18,000 करोड़ रुपये मिले थे. इस योजना के तहत प्रीमियम ग्राहकों के लिए पूरे वित्त वर्ष के लिए माल भाड़ा सुनिश्चित किया जाता है और उन्हें रैक आवंटन में भी प्राथमिकता दी जाती है. मामले से जुड़े एक नीतिगत दस्तावेज में कहा गया है कि वित्त वर्ष 2020-21 में लाभ लेने के लिए अग्रिम राशि का भुगतान 31 मार्च 2020 तक किया जाना है.
ग्राहकों को फायदा देने की कही जा रही है बात
भारतीय रेल के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, "यह योजना सिर्फ अतिरिक्त आय के लिए नहीं है बल्कि हमारे ग्राहकों के साथ निरंतर कारोबार सुनिश्चित करने और संबंध बनाये रखने के लिए है." उन्होंने कहा, "हम इस योजना के तहत अपने प्रमुख ग्राहकों को फायदा दे रहे हैं. ये लाभ इस योजना के बिना नहीं मिलते हैं. यह सिर्फ एक व्यवसाय है. रेलवे के विभिन्न जोन ने पत्र भेजा है ताकि ग्राहकों को इस योजना का लाभ उठाने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके." साल 2019 में एनटीपीसी ने रलवे को अग्रिम भुगतान किया था. रेलवे के साथ उसका कारोबार 8,557 करोड़ रुपये का है.
कॉनकॉर को एडवांस में मिले थे इतनें रुपये
भारतीय कंटेनर निगम लिमिटेड (कॉनकॉर) ने 3,000 करोड़ रुपये का अग्रिम भुगतान किया था. सूत्रों ने कहा कि दो निजी कंपनियों ने वित्त वर्ष 2020-21 के लिए इस योजना में रुचि दिखाई है और इस पर जल्द हस्ताक्षर होंगे. पिछले कैलेंडर वर्ष में करीब 50 माल भाड़ा ग्राहकों का भारतीय रेल के साथ 500 करोड़ रुपये या उससे ज्यादा का कारोबार था और इसलिए ये इकाइयां योजना की पात्र हैं.