लॉकडाउन या महामारी के दौर को छोड़ दें तो देश में रोजाना करीब 5 लाख रेल टिकट ऑनलाइन IRCTC से बुक होते हैं. वहीं, विंडों से बुक होने वाले टिकटों की संख्या इससे कई गुना ज्यादा है. ट्रेन से कहीं भी जाने के लिए सीट/बर्थ की जरूरत पड़ती है. बर्थ पाने के लिए रिजर्वेशन कराना पड़ता है. हम से सभी लोगों ने कभी न कभी स्लीपर, AC, चेयर कार या सेकंड सीटिंग के लिए रिजर्वेशन कराया होगा, लेकिन क्या कभी आपने ये जानने की कोशिश की है कि आपके रेल टिकट में जो लिखा होता है वो क्या होता है. ये जानकारी आपके कैसे काम आ सकती है. आज रेलवे और ट्रेन टिकट से जुड़ी जानकारी दे रहे हैं, जो आपके लिए फायदेमंद साबित हो सकती हैं. 

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रिजर्वेशन के तरीके-

कई लोगों को आज भी यही लगता है कि रिजर्वेशन सिर्फ टिकट की लाइन में लगकर ही कराया जा सकता है. हम आपकी जानकारी के लिए आपको बता दें कि रिजर्वेशन कराने के तीन तरीके होते हैं.

1. टिकट विंडो पर जाकर

2. ऑनलाइन IRCTC की साइट से ई-रिजर्वेशन

3. आई रिजर्वेशन

क्या होता है ई-टिकट?

कई बार लोगों को लगता है कि ई-रिजर्वेशन और आई-रिजर्वेशन एक ही हैं. कई को तो आई-रिजर्वेशन के बारे में पता ही नहीं होता. ई और आई रिजर्वेशन दोनों ही ऑनलाइन बुक किए जाते हैं. लेकिन, दोनों में थोड़ा अंतर होता है. ई-टिकट लेकर यात्रा करते समय आपको आईडी प्रूफ लेकर चलना पड़ेगा. यह टिकट वेटिंग क्लियर नहीं होने पर कैंसिल हो जाता है. यह एक तरह से फेक टिकट होता है. 

आई-टिकट क्या होता है?

अगर आप फिजिकल टिकट चाहते हैं और टिकट विंडो पर जाने से भी बचना चाहते हैं तो आपको आई-टिकट लेना चाहिए. इस टिकट के साथ यात्रा करने पर आपको कोई आईडी प्रूफ दिखाने की जरूरत नहीं है. आई-टिकट दिए गए पते पर पोस्ट से पहुंचता है. आई-टिकट के लिए यात्रा से तीन दिन पहले बुकिंग करवानी पड़ेगी जबकि ई-टिकट यात्रा के कुछ घंटों पहले भी लिया जा सकता है. आई-टिकट के लिए आपको डाक खर्च भी भरना पड़ेगा जबकि ई-टिकट में आपका काम प्रिंटआउट या एसएमएस से भी चल सकता है.

PNR

पीएनआर नंबर तो सभी ने सुना होगा. चाहें टिकट चेकिंग की बात हो या वेटिंग चेक करने की, पीएनआर नंबर आपकी टिकट का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा होता है. रिजर्वेशन टिकट के लेफ्ट साइड में ऊपर की ओर यह नंबर होता है. यह नंबर यूनीक होता है और इसे पैसेंजर नेम रेकॉर्ड नंबर कहा जाता है. यह टिकट आपका ही है और इस पर आप ही सफर कर रहे हैं. इसी नंबर से इस बात का पता लगाया जाता है. आपके टिकट का पीएनआर नंबर टीसी के पास भी होता है जो आपके टिकट को चेक करने के काम में आता है.

ट्रेन नंबर

टिकट में जो दूसरा सबसे जरूरी नंबर होता है वह है ट्रेन नंबर. इस नंबर के पीछे एक गहरा राज छुपा होता है. ट्रेन नंबर आपको ट्रेन रूट की जानकारी देता है. अगर आपके रिजर्वेशन टिकट पर लिखे ट्रेन नंबर की पहली डिजिट 0 है तो आप समर स्पेशल, हॉलिडे स्पेशल या अन्य स्पेशल ट्रेन में सफर करने वाले हैं. अगर पहली डिजिट 1 या 2 है तो लंबी दूरी की ट्रेन है जिसमें राजधानी और शताब्दी जैसी ट्रेनें भी शामिल हैं. 3 नंबर से शुरू होने वाले ट्रेन नंबर कोलकाता की लोकल ट्रेनों का होता है. 4 नंबर से शुरू होने वाला ट्रेन नंबर दिल्ली, चेन्नै, सिकंदराबाद जैसे मेट्रो शहरों की रेल सेवाओं का होता है. 5 नंबर परंपरागत तरीके की ट्रेनों का होता है. 6 नंबर से शुरू होने वाली ट्रेनें मेमू होती हैं और 7 नंबर से शुरू होने वाली डेमू. हाल ही में रिजर्व की गई ट्रेन का नंबर 8 होता है और 9 नंबर से शुरू होने वाली ट्रेन मुंबई लोकल की होती हैं.

ट्रेन टिकट में और भी कई महत्वपूर्ण जानकारियां होती हैं. टिकट वेटिंग में होने पर यह जरूर देखना चाहिए कि वह किस वेटिंग लिस्ट मे है. वेटिंग लिस्ट भी अलग-अलग होती हैं. 

RLWL: इसका फुल फॉर्म होता है रिमोट लोकेशन वेटिंग लिस्ट यह तब लिखा जाता है जब दो बड़े स्टेशनों के बीच का कोई ऐसा स्टेशन हो जहां से ज्यादा ट्रेनें मौजूद ना हों, ऐसी स्थिती में वहां के यात्री को किसी कैंसलेशन पर पहले सीट दी जाएगी.

CKWL: यह है सबसे रोचक वेटिंग लिस्ट. आपको CKWL में तब रखा जाता है जब आप तत्काल में टिकट लेते हैं. अगर तत्काल में आपको वेटिंग मिली है तो आप CKWL में है. आम तौर पर अगर यह वेटिंग लिस्ट 10 होने पर कंफर्म हो जाती है.

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PQWL: PQWL का मतलब होता है पूल्ड कोटा वेटिंग लिस्ट. यह वेटिंग लिस्ट एक किसी बड़े क्षेत्र के कई छोटे-छोटे स्टेशनों के लिए होती है. इस वेटिंग लिस्ट को क्लियर होने के लिए अपने कोटे से किसी कैंसिलेशन की जरूरत होती है. इस हिसाब से अगर आप किसी छोटे स्टेशन से अपनी यात्रा शुरू कर रहे हैं और आपका टिकट पूल्ड वेटिंग लिस्ट में है तो आपके अपने एरिया (पूल कोड) के किसी व्यक्ति को अपनी टिकट कैंसिल करनी पड़ेगी.

RQWL: यह है सबसे अखिरी वेटिंग लिस्ट. इसका मतलब होता है रिक्वेस्ट वेटिंग लिस्ट अगर रूट में कोई पूल्ड कोटा नहीं है तो इस तरह की वेटिंग लिस्ट को बनाया जाता है.