पैसेंजर ट्रेन हैं घाटे का सौदा, नहीं होता है इनसे फायदा! रेलवे राज्य मंत्री ने बताया रेलवे की इनकम का असली सोर्स
Indian Railways: रेलवे राज्य मंत्री ने बताया कि पैसेंजर ट्रेनों को चलाने से ट्रेनों को कोई फायदा नहीं होता है. बल्कि इससे रेलवे को हर एक रुपये पर 55 पैसे का घाटा होता है.
Indian Railways: भारतीय रेलवे से हर दिन करोड़ों लोग यात्रा करते हैं. ऐसे में आप भी जरूर सोचते होंगे कि इन ट्रेनों को चलाकर रेलवे को कितना मुनाफा होता है. लेकिन क्या हो अगर हम आपको बताएं कि इन ट्रेनों को चलाकर रेलवे को कोई फायदा नहीं होता है. जी हां, रेल राज्य मंत्री रावसाहेब दानवे (Raosaheb Danve) ने कहा कि पैसेंजर ट्रेनों को चलाने से रेलवे को रेवेन्यू के मामले में कोई फायदा नहीं होता है. बल्कि सरकार लोगों की सुविधा के लिए इन ट्रेनों को चलाती है. उन्होंने बताया कि पैसेंजर्स ट्रेनों को चलाने से होने वाले नुकसान की भरपाई माल ढुलाई वाले ट्रेनों से किया जाता है.
पैसेंजर ट्रेन से नहीं होता है कोई फायदा
दानवे ने कहा, "रेलवे को रोजाना पैसेंजर ट्रेन चलाने से कोई फायदा नहीं होता है. बल्कि खर्च किए गए हर रुपये से उसे 55 पैसे का नुकसान होता है. जिसका मतलब है कि पैंसेजर ट्रेन को चलाने में कोई फायदा नहीं है, बल्कि नुकसान है. लेकिन मोदी फायदे के लिए काम नहीं करती है. पीएम मोदी कहते हैं कि हमें इन सेवाओं को लोगों के लिए जारी रखना है."
माल भाड़ा ट्रेन से होती है घाटे की भरपाई
मंत्री ने कहा कि अन्य माध्यमों से होने वाले नुकसान की भरपाई करने के लिए माल ढुलाई सर्विस का संचालन करता है. उन्होंने कहा कि जालना और छपरा के बीच खंडवा, प्रयागराज और वाराणसी के बीच रेल कनेक्टिविटी मराठवाड़ा क्षेत्र के लोगों का एक लंबे समय से पोषित सपना था और इसके लिए जालना से छपरा जंक्शन (बिहार में) के लिए साप्ताहिक विशेष ट्रेन को चलाया गया है.
जालना-छपरा के बीच चली नई ट्रेन
जालना-छपरा के लिए इस स्पेशल वीकली ट्रेन के उद्घाटन सर्विस में 96 फीसदी सीटें भरी थीं, जो कि काफी उत्साहजनक है. उन्होंने कहा कि ट्रेन को साप्ताहिक सेवा के रूप में चलाया जा रहा है, लेकिन यात्रियों की प्रतिक्रिया और जरूरतों के आधार पर भविष्य में इसकी आवृत्ति बढ़ाई जाएगी. दानवे ने कहा कि एक और विशेष ट्रेन, जो जालना और तिरुपति के बीच चलेगी, को 29 अक्टूबर को हरी झंडी दिखाई जाएगी.