Indian Railways: 44.96 किमी की रेल लाइन पर 38.65 किमी होगी टनल की लंबाई, जानिए सिवोक-रंगपो प्रोजेक्ट की खास बातें
सिवोक-रंगपो रेल लाइन के 38.65 किलोमीटर की कुल लंबाई वाले 14 प्रमुख सुरंगों में 58 प्रतिशत यानी 22.23 किलोमीटर एरिया में खुदाई का काम पूरा हो चुका है. इसके अलावा 13 बड़े पुलों का 42 प्रतिशत काम भी पूरा हो चुका है.
रेल मंत्रालय (Ministry of Railways) देश के पूर्वोत्तर क्षेत्र में रेलवे के बुनियादी ढांचे में सुधार पर काफी जोर दे रहा है. पूर्वोत्तर क्षेत्र (North Eastern India) के 8 राज्यों यानी असम, अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड, मणिपुर, मिजोरम, त्रिपुरा, मेघालय और सिक्किम को पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे (North East Frontier Railway) द्वारा सेवा प्रदान की जाती है. पूर्वोत्तर क्षेत्र के 8 राज्यों में से 7 राज्यों में रेल सेवाएं उपलब्ध हो चुकी हैं. सिक्किम के लिए 44 किलोमीटर लंबी नई रेल लाइन प्रोजेक्ट सिवोक-रंगपो को मंजूरी दे दी गई थी. केंद्रीय रेल मंत्री ने पश्चिम बंगाल के सिवोक में और उपराष्ट्रपति ने सिक्किम के रंगपो में 30 अक्टूबर, 2009 को इस प्रोजेक्ट का शिलान्यास किया था.
44.96 किलोमीटर की रेल लाइन पर कुल 38.65 किलोमीटर की सुरंगें
44.96 किलोमीटर की कुल लंबाई वाली इस रेल लाइन का 38.65 किलोमीटर (करीब 86 प्रतिशत) सुरंगों में, 2.24 किलोमीटर (करीब 5 प्रतिशत) ब्रिज पर और 4.79 किलोमीटर (करीब 9 प्रतिशत) लंबाई स्टेशन यार्डों की ओपन कटिंग और फिलिंग में है. प्रस्तावित रेल लाइन पर 14 सुरंगें हैं जिनमें 5.30 किलोमीटर की सबसे लंबी सुरंग है और सबसे छोटी सुरंग की लंबाई 538 मीटर है. प्रस्तावित रेलवे लाइन पर सिवोक और रंगपो सहित कुल पांच रेलवे स्टेशन बनाने की योजना है. लाइन के चार रेलवे स्टेशनों को खुले क्रॉसिंग स्टेशन जैसे, सिवोक, रियांग, मेली और रंगपो और एक अंडरग्राउंड हॉल्ट स्टेशन तीस्ता बाजार बनाने का प्रस्ताव है.
सुरंग के निर्माण के लिए 22.23 किलोमीटर एरिया में खुदाई का काम पूरा
38.65 किलोमीटर की कुल लंबाई वाले 14 प्रमुख सुरंगों में 58 प्रतिशत यानी 22.23 किलोमीटर एरिया में खुदाई का काम पूरा हो चुका है. इसके अलावा 13 बड़े पुलों का 42 प्रतिशत काम भी पूरा हो चुका है. इस रेल लाइन का 86 प्रतिशत हिस्सा सुरंगों के रूप में रहेगा, जिसका निर्माण एनएटीएम (न्यू ऑस्ट्रियन सुरंग बनाने की प्रणाली) नामक नवीनतम तकनीक द्वारा किया गया है. इस परियोजना के कार्यों की निगरानी अंतर्राष्ट्रीय सलाहकारों द्वारा की जाती है ताकि सुरक्षा और गुणवत्ता सुनिश्चित हो सके. पर्यावरण और वन को कम से कम परेशानी हो, इसके लिए इरकॉन सभी उपाय कर रहा है.