Railway Safety Tips: ओडिशा के बालासोर में 2 जून को हुए हुए भयंकर रेल हादसे जैसी घटनाओं को रोकने के लिए रेलवे लगातार प्रयासरत है. इसके लिए कई सारे जरूरी कदम उठाए गए है, जिससे रेलवे अपने पैसेंजर्स की सुविधा और सुरक्षा को सुनिश्चित करती है. बालासोर हादसे को लेकर पूछे गए एक सवाल के जवाब में रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने लोकसभा में ये बताया. बालासोर की दुर्भाग्यपूर्ण घटना में 295 पैसेंजर्स की जान गई और 176 पैसेंजर्स को गंभीर चोटें आईं. इसके अलावा 451 यात्रियों को मामूली चोटें आई थीं.

कैसे हुआ था हादसा

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रेल मंत्री ने बताया कि रेल संरक्षा आयुक्त को बालासोर हादसे की जांच सौंपी गई थी. इसके अलावा केंद्रीय जांच एजेंसी CBI भी इस मामले की जांच कर रही है. जिसके मुताबिक, सिग्नल में चूक के कारण ये भयानक हादसा हुआ है. इस घटना का कवच से जुड़ी हुई नहीं हैं.

क्या है कवच?

कवच एक स्वचलित गाड़ी सुरक्षा प्रणाली है. अगर किसी कारणवश लोको पायलट किसी दुर्घटना की स्थिति में ब्रेक लगाने में विफल रहता है, तो ये ऑटोमैटिकली ब्रेक लगाकर गाड़ी को रफ्तार को धीमा कर देती है. इसके अलावा सिग्नल होने पर भी अगर लोको पायलट ब्रेक नहीं लगा पाता है, तो कवच खुद से ब्रेक लगा देता है. 

रेलवे की सुरक्षा के लिए उठाए ये कदम

रेल मंत्री ने बताया कि रेलवे की सुरक्षा के लिए रेलवे ने कई सारे जरूरी कदम उठाए हैं, जिसके बाद 2000-01 में हुए कुल 473 रेल दुर्घटनाएं 2022-23 में घटकर 48 रह गई हैं.

  • 6427 स्टेशनों पर प्वाइंटों और सिग्नलों के सेंट्रलाइज्ड ऑपरेशन के लिए इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग की व्यवस्था की गई है.
  • 11,093 समपार फाटकों पर इंटरलॉकिंग की गई है.
  • लोको पायलट की सतर्कता सुनिश्चित करने के लिए सभी रेल इंजनों में सतर्कता नियंत्रण उपकरण लगाए गए हैं.
  • कोहरे से बचाने के लिए लोकोमोटिव पायलटों के लिए GPS आधारित फॉग सेफ्टी डिवाइस लगाए जा रहे हैं. इनसे सिग्नलों और रेल फाटक की दूरी का पता लगाया जा सकता है. 
  • OMS और TRC से रेलवे ट्रैक की निगरानी.
  • रेलवे ट्रैक पर फ्रैक्चर का पता लगाने के लिए पटरियों पर पेट्रोलिंग की जाती है. 
  • ट्रेडिशनल डिब्बों के स्ठान पर अधिक सिक्योरिटी के लिए LHB डिब्बे लगाए जा रहे हैं. 

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