India Bangladesh Train services: बांग्लादेश में विवादित आरक्षण फैसले पर जारी विरोध प्रदर्शन के बीच प्रधानमंत्री शेख हसीना ने इस्तीफा देकर बांग्लादेश को छोड़ दिया है. शेख हसीना के देश को छोड़ते ही पीएम आवास में प्रदर्शनकारियों ने घुसकर लूटपाट करना शुरू कर दिया है. इन सबके बीच इस हिंसा का असर भारत-बांग्लादेश के बीच चलने वाली ट्रेनों पर भी पड़ा है. दोनों देशों के बीच कई सारी ट्रेनों को कैंसिल कर दिया गया है. 

ये ट्रेनें हुई कैंसिल

  • गाड़ी संख्या 13109/13110 (कोलकाता-ढाका-कोलकाता मैत्री एक्सप्रेस) - 19 जुलाई से लेकर 6 अगस्त तक कैंसिल
  • गाड़ी संख्या 13107/13108 (कोलकाता-ढाका-कोआ मैत्री एक्सप्रेस) - 19 जुलाई से लेकर 6 अगस्त तक कैंसिल
  • गाड़ी संख्या 13129/13130 (कोलकाता-खुलना-कोलकाता बंधन एक्सप्रेस) - 19 जुलाई से लेकर 6 अगस्त तक कैंसिल
  • गाड़ी संख्या 13131/13132 (ढाका-न्यू जलपाईगुड़ी-ढाका मिताली एक्सप्रेस) -  21 जुलाई से कैंसिल

शेख हसीना ने दिया इस्तीफा

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बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने पद से इस्तीफा दे दिया है और अब अंतरिम सरकार कार्यभार संभालेगी. बांग्लादेश के सेना प्रमुख जनरल वकार-उज-जमां ने सोमवार को यहां यह घोषणा की. यह घोषणा ऐसे समय में की गई है, जब पिछले दो दिनों में हसीना की सरकार के खिलाफ बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए हैं, जिनमें 100 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है. 

हसीना के देश छोड़कर चले जाने की खबरों के बीच सेना प्रमुख ने टेलीविजन पर दिए गए अपने संबोधन में कहा, "मैं (देश की) सारी जिम्मेदारी ले रहा हूं. कृपया सहयोग करें." 

लंदन जाएंगी शेख हसीना

इस बीच, प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे चुकीं शेख हसीना के लंदन रवाना होने की जानकारी प्राप्त हुई है. मामले के बारे में जानकारी रखने वाले लोगों ने सोमवार को नयी दिल्ली में यह जानकारी दी. इससे पहले, ऐसी अपुष्ट खबरें थीं कि वह (हसीना) भारत के किसी शहर के लिये रवाना हो गई हैं. सेना प्रमुख वकार-उज-जमां ने कहा कि उन्होंने राजनीतिक नेताओं से मुलाकात की और उन्हें बताया कि सेना कानून-व्यवस्था की जिम्मेदारी संभालेगी. बैठक में हालांकि हसीना की अवामी लीग पार्टी का कोई नेता मौजूद नहीं था. 

बांग्लादेश के संस्थापक शेख मुजीबर रहमान की 76 वर्षीय बेटी हसीना 2009 से सामरिक रूप से महत्वपूर्ण इस दक्षिण एशियाई देश की बागडोर संभाल रही थीं. उन्हें जनवरी में हुए 12वें आम चुनाव में लगातार चौथी बार और कुल पांचवीं बार प्रधानमंत्री चुना गया. पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया की मुख्य विपक्षी पार्टी बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) और उसके सहयोगियों ने चुनाव का बहिष्कार किया था. 

दो दिन में 100 से अधिक लोगों की मौत

पिछले दो दिनों में हसीना सरकार के खिलाफ हुए विरोध प्रदर्शनों में 100 से अधिक लोग मारे गए हैं. देश में विवादास्पद कोटा प्रणाली के खिलाफ उग्र प्रदर्शन हो रहे हैं, जिसके तहत 1971 के मुक्ति संग्राम में लड़ने वालों के परिवारों के लिए 30 प्रतिशत नौकरियां आरक्षित हैं. देश भर में बढ़ते विरोध प्रदर्शनों के बीच सेना प्रमुख ने कहा कि उन्होंने सेना और पुलिस दोनों से गोली न चलाने को कहा है. 

पीएम आवास में घुसे प्रदर्शनकारी

जमां ने प्रदर्शनकारियों से संयम बरतने और हिंसा बंद करने का आग्रह किया. उन्होंने सभी लोगों के लिए “न्याय” का संकल्प व्यक्त किया. सेना प्रमुख की घोषणा के तुरंत बाद, सैकड़ों लोग सड़कों पर उतर आए और हसीना के निष्कासन का जश्न मनाने लगे. इससे पहले, सैकड़ों प्रदर्शनकारी प्रधानमंत्री के सरकारी आवास ‘गणभवन’ में घुस गए. फुटेज में प्रदर्शनकारियों को हसीना के सरकारी आवास में लूटपाट करते दिखाया गया और उनमें से कुछ को ‘गणभवन’ आवास से कुर्सियां और सोफा ले जाते हुए देखा गया. 

स्थानीय मीडिया की खबर के अनुसार, राजधानी के 3/ए धानमंडी स्थित हसीना के पार्टी कार्यालय को प्रदर्शनकारियों ने आग के हवाले कर दिया. गृह मंत्री असदुज्जमां खान के घर में प्रदर्शनकारियों ने तोड़फोड़ की. प्रदर्शनकारियों ने हसीना के पिता मुजीबुर रहमान की प्रतिमा को भी हथौड़ों से तोड़ दिया और प्रधानमंत्री की विदाई का जश्न मनाया. 

इंटरनेट हुआ बंद

सरकार ने प्रदर्शनकारियों के आम जनता से ‘लॉन्ग मार्च टू ढाका’ में भाग लेने का आह्वान करने के बाद इंटरनेट को पूरी तरह बंद करने का सुबह आदेश दिया. एक सरकारी एजेंसी ने हालांकि सोमवार को अपराह्न करीब सवा एक बजे ब्रॉडबैंड इंटरनेट शुरू करने का मौखिक आदेश दिया. सोमवार की सुबह हिंसा के नए मामलों में छह लोग मारे गए, जब हजारों प्रदर्शनकारी ‘लॉन्ग मार्च टू ढाका’ के लिए एकत्र हुए थे. प्रदर्शनकारियों के राजधानी में एकत्र होने के दौरान पुलिस और सेना सड़कों पर नजर आई. रविवार को बांग्लादेश के विभिन्न हिस्सों में प्रधानमंत्री हसीना के इस्तीफे की मांग कर रहे प्रदर्शनकारियों और सत्तारूढ़ अवामी लीग समर्थकों के बीच झड़पें हुईं, जिसके कारण अधिकारियों को मोबाइल इंटरनेट बंद करना पड़ा और अनिश्चित काल के लिए देशव्यापी कर्फ्यू लागू करना पड़ा. 

क्यों हो रहा है बांग्लादेश में प्रदर्शन

ये प्रदर्शनकारी विवादास्पद कोटा प्रणाली को समाप्त करने की मांग कर रहे थे, जिसके तहत 1971 में बांग्लादेश के स्वतंत्रता संग्राम में लड़ने वालों के रिश्तेदारों के लिए सरकारी नौकरियों में 30 प्रतिशत आरक्षण दिया गया था. उसके बाद से 11 हजार से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है. संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त वोल्कर तुर्क ने देश के राजनीतिक नेतृत्व और सुरक्षा बलों से जीवन के अधिकार और शांतिपूर्ण सभा और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की रक्षा के लिए अपने दायित्वों का पालन करने को कहा.