ट्रेन पर बिजली गिर जाए तो अंदर बैठे यात्रियों को कुछ नहीं होता, इंसान को तो ये जलाकर राख कर देती है, लेकिन ऐसा होता कैसे है
Lightning on Train: बारिश के मौसम में हर साल ऐसी खबरें आती हैं कि बिजली की चपेट में आने से कई लोगों की मौत हो जाती है लेकिन जब ये लोहे या स्टील से बनी ट्रेन पर गिरती है तो अंदर बैठे यात्रियों को कुछ नहीं होता. लेकिन ऐसा होता कैसे है? आइए जानते हैं.
Indian Railways: देश में रोजाना करोड़ों लोग ट्रेनों में सफर करते हैं और अपने गंतव्य पर पहुंचते हैं. देश में चाहे कैसा भी मौसम हो, भारतीय रेल की ट्रेनें कभी नहीं रुकती हैं. सर्दी, गर्मी, बरसात, बर्फबारी जैसे तमाम सख्त मौसम में भी भारतीय रेल अपने यात्रियों को सुरक्षित उनकी मंजिल तक पहुंचाती है. बारिश के मौसम में तो ट्रेनों को आकाशीय बिजली (Lightning) के खतरे से भी गुजरना पड़ता है. ऐसे मौसम में ट्रेनों में ये बिजलियां गिरती भी होंगी लेकिन उस ट्रेन के अंदर बैठे यात्रियों को इसके बारे में जरा-सी भी भनक नहीं पड़ती और वे ट्रेन के अंदर पूरी तरह से सुरक्षित होते हैं. लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि बारिश की मौसम में गिरने वाली बिजली ताकतवर नहीं होती. आकाशीय बिजली में इतनी ताकत होती है कि ये एक इंसान को पलक झपकते जलाकर राख कर सकती है.
बारिश के मौसम में हर साल ऐसी खबरें आती हैं कि बिजली की चपेट में आने से कई लोगों की मौत हो जाती है लेकिन जब ये लोहे या स्टील से बनी ट्रेन पर गिरती है तो अंदर बैठे यात्रियों को कुछ नहीं होता. लेकिन ऐसा होता कैसे है? आइए जानते हैं.
लोहे या स्टील से बनाई जाती है ट्रेन की बाहरी बॉडी
ट्रेन की बाहरी बॉडी लोहे या स्टील से बनी होती है. लोहे और स्टील दोनों ही ऐसे मेटल होते हैं, जिनमें बिजली बिना किसी रुकावट के अपनी असली स्पीड के साथ ट्रैवल करती है. लेकिन ट्रेन के अंदर बैठे यात्रियों का ये क्यों नहीं कुछ बिगाड़ पाती. दरअसल, ट्रेनों की बाहरी बॉडी तो मेटल की होती है लेकिन ट्रेनों का इंटीरियर मेटल का नहीं होता है. ट्रेनों के इंटीरियर का ज्यादातर हिस्सा या तो लकड़ी का होता है या फिर प्लास्टिक का होता है. ऐसे में आकाश से गिरने वाली बिजली अंदर बैठे यात्रियों को नुकसान नहीं पहुंचा पाती.
इस वजह से ट्रेन के अंदर बैठे यात्रियों को नहीं लगता करंट
भारत में ही नहीं दुनिया के वो सभी देश, जहां रेल सेवाएं दी जाती हैं, वे रेल ट्रैक पर थोड़ी-थोड़ी दूरी पर अर्थिंग डिवाइस इंस्टॉल करते हैं. जब किसी ट्रेन पर बिजली गिरती है तो वो लोहे या स्टील से बनी बाहरी बॉडी के रास्ते पटरियों में आती हैं और फिर इन अर्थिंग डिवाइस से होते हुए सीधे ग्राउंड हो जाती हैं. यही वजह है कि बारिश के मौसम में जब भी ट्रेन पर बिजली गिरती है तो अंदर बैठे यात्रियों को इसकी भनक भी नहीं लगती और वे ट्रेन के अंदर पूरी तरह से सुरक्षित होते हैं.