DFCCIL : नए रेलवे फ्रेट कॉरिडोर पर माल यातायात हुआ दोगुना, रोजाना चलाई जा रही है 350 ट्रेनें
भारतीय रेलवे के नए डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर (डीएफसी) पर माल की आवाजाही की मात्रा चालू वित्त वर्ष में 2023-24 की तुलना में दोगुनी हो गई है. DFCCIL द्वारा संकलित आंकड़ों के अनुसार, नेट टन किलोमीटर (एनटीकेएम) अप्रैल और अक्टूबर 2024 के बीच 62,282 मिलियन हो गया.
भारतीय रेलवे के नए डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर (डीएफसी) पर माल की आवाजाही की मात्रा चालू वित्त वर्ष में 2023-24 की तुलना में दोगुनी हो गई है, जो देश के लॉजिस्टिक्स परिदृश्य में एक बड़ी छलांग है. डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर ऑफ इंडिया लिमिटेड (DFCCIL) द्वारा संकलित आंकड़ों के अनुसार, नेट टन किलोमीटर (एनटीकेएम) अप्रैल और अक्टूबर 2024 के बीच 62,282 मिलियन हो गया. यह 2023 में इसी अवधि में 32,164 मिलियन एनटीकेएम के मुकाबले दोगुना से अधिक है. उल्लेखनीय है कि एनटीकेएम माल की मात्रा का एक माप है.
2023-24 में DFC नेटवर्क में 522 किमी अतिरिक्त मार्ग चालू
2023-24 में डीएफसी नेटवर्क में 522 किलोमीटर अतिरिक्त मार्ग चालू होने से यह वृद्धि संभव हुई. एक वरिष्ठ डीएफसीसीआईएल अधिकारी ने बताया कि 2025 के अंत तक पश्चिमी डीएफसी के बचे हुए 102 किलोमीटर खंड के पूरा होने के बाद माल ढुलाई में 20% और वृद्धि होने की संभावना है. 2024-25 के माल ढुलाई से होने वाली कमाई के भी अब तक के सभी रिकॉर्ड तोड़ने की उम्मीद है. पारंपरिक रेलवे मार्गों से माल ढुलाई धीरे-धीरे डीएफसी की ओर स्थानांतरित हो रही है.
नए नेटवर्क में हर दिन चलाई जा रही है 350 प्रतिदिन
वर्तमान में, नए नेटवर्क पर 350 ट्रेनें प्रतिदिन चलाई जा रही हैं, जिसे 480 ट्रेनों तक बढ़ाने की योजना है. अधिकारी ने बताया कि हमारा लक्ष्य रेलवे के 70% ट्रैफिक को पूर्वी और पश्चिमी डीएफसी की ओर लाना था. पूर्वी डीएफसी में यह आंकड़ा 80% से अधिक हो गया है, जबकि पश्चिमी डीएफसी में यह लगभग 60% है. माल ढुलाई के डीएफसी पर स्थानांतरित होने से दिल्ली-मुंबई और दिल्ली-कोलकाता जैसे पारंपरिक मार्गों पर ट्रैफिक कम हुआ है, जिससे रेलवे की कार्यक्षमता बढ़ी है.
1506 किमी DFC पर चलते हैं कंटेनर, सीमेंट, पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स
1506 किलोमीटर लंबे पश्चिमी डीएफसी पर मुख्य रूप से कंटेनर, सीमेंट, पेट्रोलियम उत्पाद और ट्रक-ऑन-ट्रेन चलते हैं. वहीं, 1337 किलोमीटर लंबे पूर्वी कॉरिडोर पर कोयला, लोहा, स्टील, खाद, अनाज और कंटेनर जैसे भारी माल ढोए जाते हैं. पश्चिमी गलियारे का वैतरणा-जेएनपीटी (जवाहरलाल नेहरू पोर्ट) खंड इस मेगा प्रोजेक्ट का आखिरी हिस्सा है, जो देरी का सामना कर रहा है.
2017 में, टाटा प्रोजेक्ट्स को इस खंड का ठेका मिला था, लेकिन धीमी प्रगति के कारण, डीएफसीसीआईएल ने 2022 में ठेका रद्द कर दिया था. हालांकि, टाटा समूह द्वारा परियोजना में तेजी लाने की प्रतिबद्धता के बाद, ठेका रद्द करने का फैसला वापस ले लिया गया.