कचरे से बनी बिजली से मेट्रो चला रहा DMRC, देश में पहला ऐसा मेट्रो प्रोजेेक्ट बना
दिल्ली मेट्रो रेल देश का पहला मेट्रो प्रोजेक्ट बन गया है जो अपनी बिजली की कुछ जरूरतों को कचरे से बनी बिजली से पूरा कर रहा है. दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन DMRC लगभग 2 मेगावाट बिजली का उत्पादन कचरे से कर रहा है.
दिल्ली मेट्रो रेल देश का पहला मेट्रो प्रोजेक्ट बन गया है जो अपनी बिजली की कुछ जरूरतों को कचरे से बनी बिजली से पूरा कर रहा है. दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन DMRC लगभग 2 मेगावाट बिजली का उत्पादन कचरे से कर रहा है. इसे लगभग 12 मेगावाट तक बढ़ाए जाने की योजना है. कंपनी ने कचरे से बिजली बनाने के लिए गाजीपुर लैंडफिल साइट पर ईस्ट दिल्ली वेस्ट प्रोसेसिंग कंपनी लिमिटेड नाम एक कंपनी बना कर प्लांट लगाया है.
पिंक लाइन मेट्रो को कचरे से बनी बिजली से चलाया जा रहा है
DMRC को जून की शुरुआत से ही कचरे से बनने वाली बिजली मिलनी शुरू हुई है. यह बिजली विनोद नगर में बने DMRC के सब स्टेशन तक आती है. यहां से इस बिजली का प्रयोग DMRC की पिंक लाइन मेट्रो को चलाने में किया जाता है. DMRC को अनुमान है कि उन्हें यहां से लगभग 17.5 मिलियन यूनिट बजली प्रत्येक वर्ष मिल सकेगी.
स्वच्छ भारत मिशन में भी है इस प्रोजेक्ट की महत्वपूर्ण भूमिका
दिल्ली मेट्रो की ओर से स्वच्छ भारत मिशन के तहत दिल्ली में पहला प्रयोग किया गया था जहां कचरे से बिजली बनाई जा रही है. कंपनी कचरे के प्रबंधन को ले कर लोगों को जागरूक करने का भी काम कर रही है.
पीपीपी आधार पर लगाया गया है ये प्लांट
दिल्ली मेट्रो की ओर से लगाया गया कचरे से बिजली बनाने का प्लांट पब्लिक प्राइवेट पाटनर्शिप के आधार पर लगाया गया है. इस प्लांट में दिल्ली सरकार, ईडीएमसी व EDWPCL की हिस्सेदारी है. इस प्लांट की क्षमता रोज लगभग 1500 टन कचरे की खपत की है. इस कचरे से लगभग 12 मेगावाट बिजली बनाई जाती है. इस प्लंट के चलते लगभग 08 मिलियन टन ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन कम किया जा पा रहा है.