दिल्ली से मेरठ को जोड़ने वाली रैपिड रेल परियोजना का काम अभी फाइलों से निकलकर धरातल भी नहीं आ पाया है कि इस काम में अभी से ब्रेक लग गए हैं. बजट को लेकर यह परियोजना केंद्र और दिल्ली सरकार के बीच फंस कर रह गई है. इस परियोजना पर जहां दिल्ली-अलवर कोरिडोर पर काम भी शुरू हो चुका है, वहीं मेरठ लाइन पर आ रही अड़चने दूर होने का नाम नहीं ले रही हैं.

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31632 करोड़ रुपये के बजट वाली 90 किलोमीटर लंबी इस परियोजना का काम आने वाले लोकसभा चुनावों से पहले शुरू होने का टारगेट रखा गया था. अधिकारियों का कहना है कि अब तक इसका काम शुरू हो जाना चाहिए था, क्योंकि कई स्थानों पर अलग-अलग कामों के टेंडर जारी किए जा चुके हैं.

इस परियोजना के तहत जुलाई 2023 में दिल्ली से परतापुर का सफर सिर्फ 50 मिनट में तय करने का लक्ष्य रखा गया है. इस परियोजना को पूरा करने के लिए बजट का एशियन डिवेलपमेंट बैंक (एडीबी) से 60 प्रतिशत ऋण, 20 प्रतिशत केंद्र सरकार और शेष 20 प्रतिशत उत्तर प्रदेश व दिल्ली सरकार द्वारा दिया जाएगा. बताया जा रहा है कि दिल्ली सरकार द्वारा अपने हिस्से का फंड जारी नहीं कर रही है, जिसकी वजह से यह योजना अधर में लटकी हुई है. 

इस परियोजना के लिए यूपी सरकार अपने हिस्से के 5 हजार करोड़ और केंद्र सरकार 6 हजार करोड़ का बजट पहले ही जारी कर चुकी है. इसमें दिल्ली सरकार का शेयर एक हजार करोड़ रुपये का हो, जिसे दिल्ली सरकार जारी नहीं कर रही है. 

बताया जा रहा है कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने अपने बजट को केंद्र के पाले में डालते हुए कहा है कि अगर केंद्र सरकार, दिल्ली के हिस्से का पैसे भी दे तो दिल्ली सरकार परियोजना को सैद्धांतिक मंजूरी देने को तैयार है.

दिल्ली-मेरठ कोरिडोर : यह परियोजना 82 किलोमीटर लंबी है. इसमें रैपिड रेल को 18 स्टेशन होंगे, जिसका 30 किलोमीटर लंबा ट्रैक भूमिगत होगा, जबकि 60 किलोमीटर एलीवेटेड बनाया जाएगा. सराय काले खां इसका पहला स्टेशन होगा. इसके बाद न्यू अशोक नगर, आनंद विहार, साहिबाबाद, गाजियाबाद, गुलधर, दुहाई, मुरादनगर, मोदीनगर दक्षिण, मोदीनगर उत्तर, मेरठ दक्षिण, शताब्दी नगर, मेरठ सेंटर, बेगमपुल, मेरठ उत्तर और आखिरी स्टेशन मोदीपुरम होगा.