कैबिनेट ने भारतीय रेलवे के नॉन गैजिटेट कर्मियों को 78 दिन का उत्पादकता आधारित बोनस देने की घोषणा बुधवार को कर दी है. रेल कर्मियों को बोनस के तौर पर लगभग 17,951 रुपए मिलेंगे. इस बोनस का लाभ रेलवे के करीब 12 लाख नॉन गजटेड कर्मचारियों को मिलेगा. इस संबंध में रेल मंत्रालय की ओर से सभी महाप्रबंधकों को आदेश जारी करते हुए कहा गया है कि किसी भी सूरत में बोनस का ये पैसा दुर्गा पूजा और दश्हरा से पहले कर्मचारियों को दे दिया जाए. ऐसे में इस बार की सैलरी में बोनस का ये पैसा बढ़ कर आएगा.

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कर्मचारियों ने बोनस बढ़ाने की मांग की

ऑल इंडिया रेलवे मेंस फेडरेशन के महामंत्री शिव गोपाल मिश्रा ने बताया कि वित्तीय वर्ष 2018-19 में रेल कर्मचारियों ने 22000 यात्री ट्रेनों कड़ी मेहनत कर के चलाया. इन ट्रेनों में 2.5 करोड़ यात्रियों ने यात्रा की जो पिछले साल की तुलना में ज्यादा है. वहीं माल भाड़े से होने वाली कमाई में भी पिछले साल की तुलना में वृद्धि हुई है. ऐसे में कर्मचारियों को पिछले साल से अधिक बोनस मिलना चाहिए. इस बारे में रेलवे बोर्ड के चेयरमैन को पत्र लिख कर बोनस को 78 दिन से बढ़ा कर कम से कम 80 दिन किए जाने की मांग की गई है.

फॉर्मूला बदलने की है जरूरत

मिश्रा ने कहा कि सरकार को रेल कर्मियों को मिलने वाले बोनस के फार्मूले को तत्काल बदलने की जरूरत है. रेल कर्मियों को 78 दिन के बोनस के तौर पर 17950 रुपये मिल रहा है. ये न्यूनतम मजदूरी से भी कम है. आज के समय में एक महीने की न्यूनतम मजदूरी 18000 रुपये है. वहीं पब्लिक सेक्टर में प्रति दिन के वेतन के हिसाब से बोनस बनता है. ऐसे में जितने दिन का बोनस घोषित होता है उतने दिन का बोनस मिलता है. रेलवे की ओर से 75 दिन का बोनस देने की योजना थी. जिसे रेल कर्मचारी संगठनों के भारी विरोध के चलते 78 दिन किया गया है. लेकिन कर्मचारियों की मांग है कि कम से कम 80 दिनों का बोनस रेल कर्मियों को मिलना चाहिए.

ऐसे होता है बोनस का कैल्कुलेशन

रेलवे की ओर से रेल कर्मियों को 78 दिनों का बोनस देने की बात कही जा रही है. वहीं 30 दिन के बोनस के तौर पर 7000 रुपये के आधार पर बोनस का आंकलन किया जाता है. इसका रेल कर्मी लम्बे समय से विरोध भी कर रहे हैं. रेलवे के कर्मचारी संगठनों के अनुसार रेलवे में इस समय कर्मचारियों की भारी कमी है. ऐसे में कम कर्मचारियों ने ज्यादा काम किया है. ऐसे में बोनस भी अधिक मिलना चाहिए.