World Diabetes Day : मेडिकल खर्च में बचत के लिए ये हैं खास पॉलिसियां, टैक्स बचाने में भी है मददगार
World Diabetes Day : आमतौर पर जनरल इंश्योरेंस और हेल्थ इंश्योरेंस कंपनियां डायबिटीज के मरीजों को पॉलिसी देने से या तो अप्रत्यक्ष तौर पर मना कर देती हैं या ज्यादा प्रीमियम वसूलती हैं जिन्हें लोडिंग कहते हैं. हालांकि, बदलते परिवेश में अब बाजार में डायबिटीज के मरीजों के लिए खास तौर से डिजाइन की गई पॉलिसियां उपलब्ध हैं.
आज World Diabetes Day है. डायबिटीज फाउंडेशन ऑफ इंडिया की मानें तो भारत में 5.09 करोड़ से ज्यादा लोग डायबिटीज से पीडि़त हैं. अनुमान है कि 2025 तक यह संख्या बढ़कर 8 करोड़ हो जाएगी. डायबिटीज के मरीजों के लिए हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी लेना मुश्किल है. आमतौर पर जनरल इंश्योरेंस और हेल्थ इंश्योरेंस कंपनियां डायबिटीज के मरीजों को पॉलिसी देने से या तो अप्रत्यक्ष तौर पर मना कर देती हैं या ज्यादा प्रीमियम वसूलती हैं जिन्हें लोडिंग कहते हैं. हालांकि, बदलते परिवेश में अब बाजार में डायबिटीज के मरीजों के लिए खास तौर से डिजाइन की गई पॉलिसियां उपलब्ध हैं. आमतौर पर इन स्पेशियलाइज्ड पॉलिसियों के प्रीमियम आम पॉलिसियों की तुलना में अधिक होते हैं. आज हम ऐसी ही कुछ पॉलिसियों के बारे में जानेंगे.
अपोलो म्यूनिख हेल्थ इंश्योरेंस की एनर्जी इंश्योरेंस पॉलिसी
अपोलो म्यूनिख की एनर्जी पॉलिसी पहले दिन से ही डायबिटीज और ब्लड प्रेशर से होने वाली बीमारियों को कवर करती है. अगर इलाज के लिए पॉलिसीधारक को हॉस्पिटलाइज होना पड़ता है तो यह पॉलिसी हॉस्पिटल के खर्चों को कवर करती है. यह पॉलिसी 18 से 65 वर्ष तक के उन लोगों के लिए उपलब्ध है जिन्हें टाइप-2 डायबिटीज है यानी जिन्हें इंसुलिन का इंजेक्शन नहीं लेना होता. यह पॉलिसी एक साल के लिए जारी की जाती है. गौर करने वाली बात है कि पॉलिसी रिन्यू करवाते समय पॉलिसीधारक की उम्र और उस समय लागू टैक्स के अनुसार प्रीमियम में बदलाव भी संभव है. अपोलो म्युनिख एनर्जी प्लान के दो वेरिएंट हैं - गोल्ड और सिल्वर. ये दोनों ही प्लान 20% को-पेमेंट विकल्प के साथ या इसके अलावा आप ले सकते हैं.
हॉस्पिटलाइजेशन के अलावा यह पॉलिसी हॉस्पिटलाइजेशन से पहले और बाद में इलाज के दौरान हुए खर्च को कवर करती है. इस पॉलिसी के सम एश्योर्ड की सीमा 2 से 10 लाख रुपये है. मतलब आप 2 लाख रुपये से लेकर 10 लाख रुपये तक के कवर का चयन कर सकते हैं. इसके अलावा, अपोलो म्यूनिख की एनर्जी पॉलिसी आपको डायग्नोस्टिक मॉनिटरिंग प्रोग्राम का विकल्प भी देती है जिसके तहत आप अपने स्वास्थ्य की देखभाल के लिए डॉक्टर की सलाह ले सकते हैं.
इस बात का ध्यान रखें की यह पॉलिसी HIV या AIDS या इससे जुड़ी बीमारियों को कवर नहीं करती है. पैदाइशी बीमारियां, मानसिक रोग, कॉस्मेटिक सर्जरी और वजन को नियंत्रित करने के इलाज के खर्चे को यह पॉलिसी कवर नहीं करती है.
स्टार हेल्थ इंश्योरेंस की डायबिटीज सेफ पॉलिसी
स्टार हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी की डायबिटीज सेफ पॉलिसी खास तौर पर डायबिटीज से पीडि़त लोगों के लिए है. यह न सिर्फ इंडीविजुअल बल्कि फ्लोटर पॉलिसी भी उपलब्ध कराती है जिसमें पति-पत्नी दोनों शामिल हो सकते हैं. हालांकि, इस पॉलिसी को लेने वाले व्यक्ति को मेडिकल जांच करवानी होती है. अगर, मेडिकल जांच कंपनी की अंडरराइटिंग प्रैक्टिस के हिसाब से रहा तो पहले ही दिन से कवर शुरू हो जाती है. अगर मेडिकल जांच कंपनी की अंडरराइटिंग प्रैक्टिस के अनुरूप नहीं होती है तो पॉलिसी लेने वाले व्यक्ति से जांच में हुए खर्च का 50% कंपनी ले लेती है.
18 से 65 वर्ष तक के व्यक्ति यह पॉलिसी ले सकते हैं. आप 3 लाख, 4 लाख, 5 लाख या 10 लाख रुपये का कवर चुन सकते हैं. इसके दो प्लान हैं - प्लान ए और प्लान बी. प्लान ए के तहत क्लेम की कोई सब लिमिट नहीं है. प्लान बी के मामले में 3 लाख रुपये के सम एश्योर्ड के लिए 2 लाख रुपये की सब लिमिट और 10 लाख रुपये के सम एश्योर्ड के लिए 4 लाख रुपये की सब लिमिट है. स्टार हेल्थ इंश्योरेंस के पैनल में देश के लगभग 6,000 हॉस्पिटल शामिल हैं.
यह पॉलिसी न सिर्फ डायबिटीज के कारण हुई बीमारियों को कवर करती है बल्कि दूसरी बीमारी की वजह से अस्पताल में भर्ती होने के खर्च को भी कवर करती है. फ्लोटर पॉलिसी के मामले में क्लेम के बाद इसका सम एश्योर्ड ऑटोमेटिकली 100% हो जाता है. यह पॉलिसी डॉयबिटीज मेलाइटस टाइप-2, डायबेटिक रेटिनोपैथी और डायबेटिक नेफ्रोपैथी के कारण होने वाले क्रोनिक रेनल फेल्योर तथा डायबेटिक फुट अल्सर को कवर नहीं करती है.
नेशनल इंश्योरेंस कंपनी की वरिष्ठ मेडिक्लेम पॉलिसी
नेशनल हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी की वरिष्ठ मेडिक्लेम पॉलिसी डायबिटीज से पीडि़त व्यक्तियों की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए तैयार की गई है. यह पॉलिसी वरिष्ठ नागरिकों को भी कवर करती है. अगर कोई व्यक्ति पिछले तीन साल से किसी भी हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी से कवर्ड है तो उसे यह पॉलिसी लेने के लिए मेडिकल जांच करवाने की जरूरत नहीं है. हालांकि, जिनके पास पहले से कोई हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी नहीं है उन्हें पॉलिसी लेने से पहले मेडिकल जांच करवानी होती है. अगर वरिष्ठ मेडिक्लेम पॉलिसीधारक किसी साल क्लेम नहीं करता है तो उसे प्रीमियम में 5% का डिस्काउंट दिया जाता है जो 50% तक जा सकता है.