महिलाओं को स्वावलंबी बनाने के मकसद से केंद्र की मोदी सरकार (Modi Government) ने कई बड़े कदम उठाए हैं. कई ऐसी योजनाएं शुरू की हैं जो केवल महिलाओं को केंद्र में रखकर बनाई गई हैं. सरकार का सबसे ज्यादा जोर महिलाओं को आर्थिक रूप से मजबूत बनाना है. इस कड़ी में सरकार द्वारा शुरू की गई ‘स्टैंड अप इंडिया’ योजना में महिलाओं के स्वरोजगार पर खास ध्यान दिया गया है. 

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महिलाओं को ‘स्टैंड अप इंडिया’ (Standup India) योजना के तहत करीब चार साल में 16,712 करोड़ रुपये का ऋण मंजूर किया गया है. वित्त मंत्रालय ने मंगलवार को यह जानकारी दी. स्टैंड अप इंडिया योजना के लाभार्थियों में 81 प्रतिशत संख्या महिलाओं की है.

पिछले छह साल के दौरान मंत्रालय ने विभिन्न योजनाएं पेश की हैं जिनमें महिलाओं के सशक्तीकरण के लिए विशेष प्रावधान हैं.

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस (International Women's Day) से पहले मंत्रालय ने कहा कि इन योजनाओं से महिलाएं वित्तीय रूप से सशक्त हुई हैं और वे बेहतर जीवन जीने के साथ उद्यमिता के अपने सपने को साकार कर पा रही हैं.

महिलाओं को ऋण में प्राथमिकता

स्टैंड अप इंडिया (Standup India) योजना की शुरुआत 5 अप्रैल, 2016 को हुई थी. इसके एक नया उपक्रम स्थापित करने के लिए अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक की प्रत्येक शाखा को एक अनुसूचित जाति या जनजाति के व्यक्ति और कम से कम एक महिला को 10 लाख रुपये से एक करोड़ रुपये का ऋण देना अनिवार्य है.

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मंत्रालय ने बताया कि फरवरी, 2020 तक स्टैंड अप इंडिया योजना के तहत 81 प्रतिशत खाताधारक महिलाएं थीं. महिलाओं के लिए कुल 73,155 खाते खोले गए हैं. महिला खाताधारकों के लिए 16,712.72 करोड़ रुपये का कर्ज मंजूर किया गया है. उन्हें 9,106.13 करोड़ रुपये का कर्ज दिया जा चुका है.

सरकार ने महिलाओं के लिए स्टैंड अप इंडिया के अलावा प्रधानमंत्री मुद्रा योजना, प्रधानमंत्री जन-धन योजना, अटल पेंशन योजना (APY), प्रधानमंत्री जीवन ज्योति योजना और प्रधानमंत्री सुकन्या बीमा योजना (PMSBY) जैसी योजनाएं शुरू की हैं.