काम की बात: अनसेक्योर्ड लोन क्या है? सेक्योर्ड लोन से कैसे है अलग, जानिए जोखिम
What is Unsecured Loan: जब कोई लोन बिना किसी गारंटी के दिया जाता है, तो वह अनसेक्योर्ड लोन होता है. इस लोन में कस्टमर से किसी तरह की गारंटी या कोलेटरल नहीं किया जाता है.
What is Unsecured Loan: जब कोई लोन बिना किसी गारंटी के दिया जाता है, तो वह अनसेक्योर्ड लोन होता है. इस लोन में कस्टमर से किसी तरह की गारंटी या कोलेटरल नहीं किया जाता है. बैंक अनसेक्योर्ड लोन कस्टमर की क्रेडिट हिस्ट्री और क्रेडिट स्कोर देखकर देते हैं. इसमें बैंक कस्टमर की पिछली रिपेमेंट हिस्ट्री, इनकम सोर्स, पिछली सैलरी स्लिप्स या इनकम टैक्स रिटर्न जैसे फैक्ट्स देखता है और इसी आधार पर लोन मंजूर करता है. अनसेक्योर्ड लोन में सिक्योर्ड लोन की अपेक्षा ब्याज दर अधिक होती है और इनका रिपेमेंट टेन्योर यानी लोन चुकाने का समय कम रहता है.
Unsecured Loan में क्या हैं शामिल
पर्सनल लोन, एजुकेशन लोन, इन्स्टेंट लोन, क्रेडिट कार्ड लोन और बिजनेस लोन अनसेक्योर्ड लोन की कैटेगरी में आते हैं. अनसेक्योर्ड लोन बैंकों के लिए असुरक्षित कर्ज होते है क्योंकि, इसमें बैंक कस्टमर से कोई गारंटी नहीं लेता है. इसमें अगर कस्टमर लोन नहीं चुका पता है, बैंक को इसमें नुकसान पड़ता है. ऐसे मामले अक्सर कोर्ट में चले जाते हैं. हालांकि, अनसेक्योर्ड लोन नहीं चुकाने से कस्टमर का सिबिल स्कोर खराब हो जाता है. जिससे भविष्य में आपको लोन मिलने में बहुत दिक्कत होगी.
सेक्योड लोन से कैसे है अलग?
सेक्योर्ड लोन की ब्याज दरें आमतौर पर कम रहती है. जबकि, अनसेक्योर्ड लोन के लिए कस्टमर को ज्यादा ब्याज चुकाना पड़ता है. सेक्योर्ड लोन मंजूर होने में ज्यादा समय लगता है क्योंकि बैंक गिरवी रखी जाने वाली एसेट की वैल्युएशन करते हैं. वहीं, अनसेक्योर्ड लोन बहुत जल्दी मंजूर हो जाता है. कम क्रेडिट स्कोर पर भी सेक्योर्ड लोन मिल जाता है.
जबकि, अनसेक्योर्ड लोन के लिए सिबिल स्कोर मजबूत होना चाहिए. सेक्योर्ड लोन में अमाउंट अमूमन कोलेटरल प्रॉपर्टी की वैल्यू पर निर्भर करता है. जबकि, अनसेक्योर्ड लोन में अमाउंट कस्टमर की इनकम और रिपेमेंट कैपेसिटी पर तय होता है. सेक्योर्ड लोन लंबी अवधि के लिए दिए जाते हैं, जबकि अनसेक्योर्ड लोन का टेन्योर कम रहता है.
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