Home Loan: समय रहते नहीं चुकाई EMIs? जानिए बैंक कब करता है एसेट की नीलामी
अगर आप शुरुआत की कुछ महीने की EMIs नहीं चुका पाते हैं तो बैंक आपको चेतावनी देता है. लेकिन इसके बाद भी अगर आप emis पूरी नहीं करते हैं तो बैंक आपको डिफॉल्टर की लिस्ट में डाल देता है.
होम लोन एक बड़ा लोन है, इसे समय पर चुकाना जरूरी है. ऐसा न होने पर ये आपकी इमेज पर असर डाल सकता है. समय पर लोन न चुकाना आप के क्रेडिट स्कोर पर तो असर डालता ही है, साथ ही आपको भविष्य में लोन मिलने में भी परेशानी हो सकती है. हालांकि अगर आप शुरुआत की कुछ महीने की EMIs नहीं चुका पाते हैं तो बैंक आपको चेतावनी देता है. लेकिन इसके बाद भी अगर आप emis पूरी नहीं करते हैं तो बैंक आपको डिफॉल्टर की लिस्ट में डाल देता है.
क्रेडिट स्कोर पर आता है असर-
जब आप होम लोन रीपेमेंट करना भूल जाते हैं तो आपके क्रेडिट स्कोर पर असर पड़ता है. इसके अलावा आपके भविष्य में लोन लेने की प्लानिंग पर भी असर डाल सकता है. लेंडर आपको हाई रिस्क इंडिविजुअल की तरह देखते हैं. इसके बाद आपको आगे किसी भी तरह के लोन लेने में परेशानी का सामना करना पड़ सकता है. इसके बाद भी अगर आपको लोन मिल जाता है तो सख्त टर्म्स और कंडीशन का सामना करना पड़ता है.
बैंक देता है लीगल नोटिस
लगातार 3 emis डिफॉल्ट होने के बाद बैंक और फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशन इस तरह के लोन को नॉन परफॉर्मिंग एसेट की केटेगरी में रखते हैं. इसके बाद SARFAESI Act, 2002 के अंडर बैंकों द्वारा ड्यू रिकवर करना शुरू कर देते हैं. इसके बाद डिफॉल्टी को लीगल नोटिस भेजा जाता है और 60 दिनों के अंदर लायबिलिटीज को सेटल किया जाना जरूरी है.
कब्जे के लिए क्या कहते हैं नियम
लोन लेते समय कर्जदार अपने एसेट गिरवी रखने होते हैं. ऐसे में SARFAESI Act, 2002 के मुताबिक अगर आप 60 दिनों के अंदर अपनी emis पूरी नहीं करते हैं तो बैंक के पास बिना कोर्ट की दखल के भी आपके एसेट पर कब्ज़ा करने का हक होता है.
Zee Business Hindi Live TV यहां देखें
कोलैटरल की नीलामी
अगर आप 60 दिन बाद भी लोन नहीं चुका पाते हैं तो बैंक आपको एक और नोटिस भेजता है जिसमें आपके कोलैटरल (प्रॉपर्टी, ज्वैलरी) की वैल्यू और इनके नीलामी की तारीख मेंशन होती है. अगर आपने इंश्योरेंस पॉलिसी कोलैटरल की तरह रखी होती है तो इसकी वैल्यू लेंडर के पास ट्रांसफर हो जाती है. यूं तो बैंक्स आपको लोन रीपेमेंट के लिए काफी समय देते हैं. एसेट की नीलामी करना एक लंबा प्रोसेस होता है, जिसे आमतौर पर बैंक इतनी जल्दी नहीं करते हैं. लीगल नोटिस और रिमाइंडर के बाद भी पेमेंट न करने पर ही ऐसा कदम उठाया जाता है.