आज के समय में लोगों को FD इसलिए पसंद है, क्योकि इसमें अपने मन मुताबिक समय सेट करके आसानी से  FD अकाउंट ओपन कर सकते है और जब आपका चुना गया टाइम पूरा होता है फिर उस अकाउंट में जमा किया अमाउंट और तय इंटरेस्ट रेट जोड़कर पैसे वापस कर दिए जाते हैं. लेकिन कुछ इंवेस्टमेंट एडवाइसर का मानना है कि इसकी भी कुछ सीमाएं हैं. इसमें बैंकों के डिफॉल्ट होने पर आपका पैसा डूबने का खतरा रहता है. मैच्योरिटी से पहले पैसा निकालने पर पेनल्टी भरनी होती है. 

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इसलिए एक इंवेस्टर को इसके बारे में समझने और जानने की जरूरत है. आइए FD में होने वाले नुकसान के बारे में जानते है.

कम ब्‍याज और साथ में पेनाल्‍टी

अगर आप जरूरत पर पैसा निकालना चाहते है तो FD तोड़ी नहीं जा सकती. लेकिन फिर भी आप उसे तोड़ते हैं तो बैंक आपको ब्याज नही देगी और पेनल्टी भी भरनी होती है. पेनेल्टी कितनी हो सकती है ये FD करते समय शर्तों में लिखा होता है. ये हर बैंक की अलग-अलग हो सकती है.

डिफॉल्ट का खतरा

 

कई बार बैंक डूबने जैसी सिचुएशन देखी गई है. ऐसे में इंवेस्टर की जमा पर खतरा बढ़ जाता है. नए नियम के तहत किसी बैंक के डूबने पर कुल जमा पर 5 लाख रुपये तक इंश्योरेंस मिलता है. ऐसे में अगर किसी बैंक में 15 लाख रुपये का एफडी किया है और वह बैंक डूब जाता है तो आपको केवल 5 लाख रुपये तक ही मिलेंगे. बाकी 10 लाख रुपये के डूबने का खतरा रहता है.

कम मुनाफा

इसमें बाजार में होने वाले मुनाफे का भी कोई फायदा नहीं मिलेगा. क्योंकि इसमें इंटरेस्ट रेट फिक्स रहती है. अगर महंगाई दर 6 फीसदी हो गई और आपको मिलने वाला ब्याज केवल 5 से 6 फीसदी है तो ऐसे में आपको केवल नेगेटिव रिटर्न ही मिलेगा.

रिटर्न कम मिलता है

फिक्स्ड डिपॉजिट में इंवेस्ट करने का पहला नुकसान ये है कि इसमें इंटरेस्ट रेट फिक्स होती है. यानी जो ब्याज आपको बैंक ने दिया है, वो फिक्स रहता है. स्टॉक या म्यूचुअल फंड जैसे बाकी इंवेस्मेंट ऑप्शन में आपको जो ब्याज मिलता है, वो FD से कही ज्यादा होता है. 

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