Non-convertible debenture: NCD यानि कि नॉन कनवर्टिबल डिबेंचर एक फाइनेंशियल इंस्ट्रूमेंट होते हैं. इसका यूज कंपनियां पब्लिक इश्यू के जरिए पैसा कलेक्ट करने के लिए करती हैं. NCD कंपनियों के लिए IPO की तरह ही पैसा जुटाने का तरीका होता है. लेकिन इन दोनों में ही कुछ अंतर भी है. कोई भी कंपनी जब NCD के जरिए पैसा जुटाती है, तो इसे कर्ज की तरह लिया जाता है. इसलिए कंपनी द्वारा लिए गए कर्ज पर इंटरेस्ट पे करना होता है. NCD की एक फिक्स्ड मैच्योरिटी डेट होती है. इसमें इन्वेस्टर्स को एक निश्चित ब्याज दर के साथ रिटर्न मिलता है.

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NCD के होते हैं 2 प्रकार 

NCD के दो प्रकार होते हैं, सिक्योर्ड NCD और अनसिक्योर्ड NCD. जो सिक्योर्ड टाइप हैं वहां कंपनी की इन्वेस्टर्स को अगर उनका पैसा वापस नहीं कर पाती है तो निवेशक कंपनी के एसेट को बेचकर अपना पैसा वसूल सकते हैं. और इसी का दूसरा प्रकार होता है अनसिक्योर्ड NCD जहां अगर कंपनी निवेशकों को उनका पैसा नहीं लौटा पाती है तो ऐसे में निवेशकों को अपना पैसा वापस हासिल करने में थोड़ी परेशानी हो सकती है. सिक्योर्ड के मुकाबले, अनसिक्योर्ड NCD में जोखिम थोड़ा ज्यादा होता है. 

निवेश से पहले ये जांचे 

1. NCD सिक्योर्ड है या अनसिक्योर्ड, अगर आप कम जोखिम लेना चाहते हैं तो सिक्योर्ड NCD में निवेश कर सकते हैं.

2. ब्याज दर- NCD में निवेश से पहले आपको ये जांच लेना चाहिए कि कंपनी कितना ब्याज दर आपको ऑफर कर रही है.

3. इश्यू का रीजन- निवेश से पहले ये भी जांच करें कि पैसा किस कारण से जुटाया जा रहा है. क्या इस पैसे से किन्हीं कर्ज का भुगतान किया जाएगा या किसी बिजनेस संबंधी कारणों से.