Wealth Guide: भारत में टैक्स सिस्टम में टैक्सपेयर्स के पास उनकी टैक्सेबल इनकम को कम करने के लिए बहुत सारे विकल्प मौजूद हैं, लेकिन ज्यादातर टैक्सपेयर्स जानकारी के अभाव में केवल सेक्शन 80C के तहत अपनी आय में 1.5 लाख रुपये तक की कटौती का फायदा उठाने तक ही रहते हैं. SAG Infotech के एमडी, CA अमित गुप्ता ने सेक्शन 80C के अलावा सेविंग्स के 5 अन्य तरीकों के बारे में बताया है, जिससे टैक्सपेयर्स अपने टैक्स में बचत कर सकते हैं.

1. NPS में सेक्शन 80CCD (1B) के तहत करें निवेश

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टैक्सपेयर्स अपने अतिरिक्त टैक्स बचाने के लिए नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) में 50,000  रुपये तक का निवेश कर सकते हैं. टैक्सपेयर्स इसमें 80C के तहत मिलने वाले लाभ के अतिरिक्त बचत कर सकते हैं. टैक्सपेयर्स सेक्शन 80C के तहत मिलने वाले 1.5 लाख रुपये की सीमा के लिए भी NPS का उपयोग कर सकते हैं. इस कॉम्बिनेशन के साथ टैक्सपेयर्स कुल 2 लाख रुपये तक की कटौती के लिए दावा कर सकते हैं.

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2. सेक्शन 80D के तहत हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम में इन्वेस्टमेंट

हेल्थ इंश्योरेंस सभी के लिए जरूरी है और सरकार भी इसे प्रोत्साहन देने के लिए टैक्स इंसेटिव प्रदान करती है. सेक्शन 80D हेल्थ इंश्योरेंस के प्रीमियम पेमेंट के साथ हेल्थ केयर के लिए खर्च किए गए अमाउंट को कुल टैक्सेबल इनकम से खर्च करने की अनुमति देता है.

हालांकि, धारा 80डी के तहत कर कटौती का दावा करने की सीमाएं इस बात पर निर्भर करती हैं कि स्वास्थ्य बीमा कवरेज के तहत कौन शामिल हैं और उनकी उम्र क्या है. इसलिए टैक्सपेयर की पारिवारिक स्थिति के अनुसार यह सीमा 25,000 रुपये, 50,000 रुपये, 75,000 रुपये या 1 लाख रुपये हो सकती है.

3. सेक्शन 80E में एजुकेशन लोन का पुनर्भुगतान

हायर एजुकेशन के लिए लोन लेना आजकल आम बात हो गई है. जिन छात्रों ने अपनी शिक्षा के लिए एजुकेशन लोन लिया है, उन्हें सेक्शन 80E के तहत लोन के ब्याज के हिस्से के रिपेमेंट पर टैक्स बेनिफिट्स मिलता है. टैक्स बेनिफिट माता-पिता या खुद स्टूडेंट द्वारा लिया जा सकता है, जो कि बस इस बात पर निर्भर करता है कि एजुकेशन लोन कौन चुका रहा है.

एजुकेशन लोन पर मिलने वाला यह टैक्स बेनिफिट केवल संस्थानों के लोन पर मिलता है. दोस्तो या परिवार के लोगों से लोन लेने पर यह फायदा नहीं मिलता है.

4. सेक्शन 24 के तहत होम लोन के ब्याज हिस्से पर

होम लोन लेने वाले टैक्सपेयर्स अपने होम लोन के ब्याज के हिस्से पर आयकर की धारा 24 के तहत टैक्स कटौती का दावा कर सकते हैं. होम लोन के ब्याज के पेमेंट पर एक टैक्सपेयर्स अधिकतम 2 लाख रुपये तक की कटौती का फायदा उठा सकता है. 

यदि वह संपत्ति जिसे होम लोन पर खरीदा है, खुद रहने के लिए नहीं है और किराए पर उठाया गया या उठाए जाने की योजना है, पर टैक्स कटौती की कोई अधिकतम सीमा नहीं है. इसलिए एक टैक्सपेयर ब्याज की पूरी राशि पर कटौती का फायदा उठा सकता है.

5. सेक्शन 80EE के तहत पहली बार होम लोन लेने वालों के लिए ब्याज चुकौती पर कर बचत

यदि आप एक टैक्सपेयर हैं और पहली बार घर खरीद रहे हैं, मतलब किसी फाइनेंशिय इंस्टीट्यूशन ने लोन अप्रूव होने की तिथि तक आपके पास कोई और घर नहीं है, तो आप सेक्शन 80EE  के तहत 50,000 रुपये तक की टैक्स कटौती का फायदा उठा सकते हैं. यह अमाउंट आयकर अधिनियम की धारा 24 के तहत होम लोन ब्याज के पुनर्भुगतान के लिए 2 लाख रुपये की सीमा से अधिक है.

इस कटौती में दावा करने के लिए घर का मूल्य 50 लाख रुपये से कम है और लोन की राशि 35 लाख रुपये या उससे कम होनी चाहिए.

एक टैक्सपेयर को सरकार द्वारा प्रदान किए जाने वाले सभी अवसरों के बारे में पता होना चाहिए. हालांकि, अधिक टैक्स बचाने का तरीका चुनना ज्यादा महत्वपूर्ण है. ये 5 तरीके असरदार भी हैं और प्रामाणिक भी. तो इन सभी ऑप्शन के बारे में जानें और अपनी स्थिति के अनुसार सबसे उचित विकल्प को चुनें.

(Disclaimer: The views/suggestions/advices expressed here in this article is solely by investment experts. Zee Business suggests its readers to consult with their investment advisers before making any financial decision.)