पिछले कुछ दिनों से एक शब्द काफी चर्चा में है. VPF- वॉलेंटरी प्रोविडेंट फंड (Voluntary Provident Fund). सवाल ये है चर्चा में क्यों है? चर्चा में इसलिए है क्योंकि, सरकार ने तीन महीने तक EPF (Employee Provident fund) का कंट्रीब्यूशन घटा दिया है. बस वहीं से निकला VPF. अब दूसरा सवाल आखिर ये VPF है क्या? हालांकि, EPFO के दायरे में आने वाले बहुत सारे लोग इसे समझते और जानते होंगे. लेकिन, फिर भी एक तबका ऐसा है, जिसे शायद इसकी जानकारी न हो. आइये समझते हैं...

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कर्मचारी भविष्य निधि (EPFO) के दायरे में आने वाली कंपनियां अपने कर्मचारी का प्रोविडेंट फंड काटती हैं. इसे ही EPF कहा जाता है. EPF में एम्प्लॉयर और एम्प्लॉई दोनों तरफ से योगदान होता है. एम्प्लॉई की सैलरी (बेसिक+DA) का 12 फीसदी प्रोविडेंट फंड खाते में जमा होता है. इतना ही शेयर कंपनी की तरफ से भी जमा होता है. हालांकि, कंपनी का शेयर दो हिस्सों में बंटा होता है. 8.33 फीसदी एम्प्लॉई पेंशन स्कीम (EPS) में जाता है, वहीं दूसरा हिस्सा 3.67 फसीदी PF में जमा होता है. अब अगर एम्प्लाई चाहे तो अपने 12 फीसदी कंट्रीब्यूशन को बढ़ा सकता है. दोगुना यानी 24 फीसदी या फिर 100 फीसदी भी कर सकता है. ऐसा करने के लिए उसे एक विकल्प चुनना होता है. ये विकल्प वॉलेंटरी प्रोविडेंट फंड (VPF) ही है.

वोलंटरी प्रोविडेंट फंड (VPF) EPFO की ही एक योजना है. इसके तहत कर्मचारी अपनी इच्‍छा से बेसिक सैलरी से वोलंटरी प्रोविडेंट फंड खाते में योगदान कर सकता है.  VPF के जरिए एम्प्लॉई अपने हिस्से के 12 फीसदी से ऊपर कंट्रीब्यूशन कर सकता है. VPF में बेसिक सैलरी का 100 फीसदी तक कंट्रीब्यूट हो सकता है. VPF की सुविधा सिर्फ एम्प्लॉई के लिए ही होती है. 

कैसे होता है निवेश?

VPF का फायदा लेने के लिए एम्प्लॉई को अपने नियोक्ता (Company) HR से संपर्क करना होगा. इसमें उसे बताया होगा कि वह PF में अपना योगदान बढ़ाना चाहता है. अगर कंपनी VPF सर्विस देती है तो HR कंपनी की पॉलिसी के मुताबिक आगे का प्रोसेस पूरा करेगा. आमतौर पर VPF को कर्मचारी के मौजूदा EPF अकाउंट से अटैच किया जाता है. वित्त वर्ष की शुरुआत में इसे चुना जा सकता है. VPF के योगदान को हर साल संशोधित किया जा सकता है.

VPF में टैक्‍स छूट

अगर कर्मचारी ने 5 साल से ज्यादा की अवधि तक लगातार काम किया है तो VPF से मैच्‍योरिटी की आय को टैक्‍स से छूट दी जाती है. अगर वह 5 साल पूरा करने के पहले ही निकलता है तो मैच्योरिटी रिटर्न पर कुछ टैक्‍स चुकाना होगा.

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क्या हैं VPF के फायदे?

  • VPF अकाउंट पर भी EPF जितना ही ब्याज मिलता है.
  • VPF पर इनकम टैक्स के सेक्शन 80C के तहत टैक्स छूट मिलती है. 
  • VPF खाते में किया गया निवेश भी EEE कैटेगरी में आता है. इसमें निवेश, ब्याज और मैच्योरिटी पीरियड पूरा होने पर मिलने वाला पैसा पूरी तरह टैक्स फ्री है.
  • VPF पासबुक ऑनलाइन देखी जा सकती है. साथ ही निकासी के लिए ऑनलाइन क्लेम किया जा सकता है.
  • VPF अकाउंट का भी लॉक इन पीरियड होता है, जो कर्मचारी का रिटायरमेंट या इस्तीफा जो भी पहले हो है.
  • VPF खाते से रकम की आंशिक निकासी के लिए खाताधारक का पांच साल नौकरी करना जरूरी है, नहीं तो टैक्स कटता है.
  • VPF की पूरी रकम केवल रिटायरमेंट पर ही निकाली जा सकती है.
  • नौकरी बदलने पर VPF फंड को भी EPF की तरह ट्रांसफर किया जा सकता है.