करदाताओं को राहत देते हुए सरकार ने एक बड़ा कदम उठाया है. कई सालों से पेंडिंग पड़े टैक्स के मामलों (tax disputes) को खत्म करने और टैक्सपेयर्स के झंझटों को खत्म करने के लिए सरकार ने 'विवाद से विश्वास' (Vivad se Vishwas) योजना शुरू की है. इस योजना का फायदा 31 मार्च तक उठाया जा सकता है. 'विवाद से विश्वास' योजना में मामलों को निपटाने में टैक्सपेयर्स को केवल मूल टैक्स ही देना होगा. उस टैक्स पर लगने वाले ब्याज और जुर्माने को अदा नहीं करना होगा.

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केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) के चेयरमैन प्रमोद चंद्र मोदी ने कहा कि ‘विवाद से विश्वास’ योजना लंबित प्रत्यक्ष कर (direct tax cases) विवादों को निपटाने के लिये एक बेहतर अवसर पेश करती है. उन्होंने लोगों से आगे आकर इस योजना का लाभ उठाने का आग्रह किया. वर्तमान में आयुक्त (अपील), आयकर अपीलीय न्यायाधिकरण (आईटीएटी), उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय के स्तर पर कुल मिलाकर 4.83 लाख कर विवाद लंबित हैं.

वित्त मामलों की स्टेंडिंग कमेटी के मुताबित, इन मामलों में 5,02,157 करोड़ रुपये कॉरपोरेट टैक्स मामले, 4,94,671 रुपये के इनकम टैक्स मामले कोर्ट में चल रहे हैं. इस तरह इन मामलों में कुल 9,96,829 रुपये की रकम फंसी हुई है.

‘विवाद से विश्वास योजना’ के तहत करदाता को 31 मार्च, 2020 तक बकाये की केवल विवादित कर राशि ही जमा करानी होगी. जुर्माना और ब्याज माफ होगा. हालांकि, यह योजना 30 जून 2020 तक खुली रहेगी लेकिन जो लोग 31 मार्च के बाद कर का भुगतान करेंगे उन्हें कर राशि पर 10 प्रतिशत अतिरिक्त भुगतान करना होगा.

वहीं जो विवाद ब्याज या जुर्माना राशि से ही जुड़े हैं, वहां करदाता को 31 मार्च तक विवादित राशि का 25 प्रतिशत और उसके बाद 30 जून तक 30 प्रतिशत ही भुगतान करना होगा.

एसोचैम की एक परिचर्चा में प्रमोद चंद्र मोदी (P C Mody) ने कहा, ‘मेरा मानना है कि यह एक उचित पेशकश है. मैं लोगों से आग्रह करता हूं कि वह लंबित मामलों के बारे में फिर से विचार करें और आगे आकर इस योजना का लाभ उठाएं.’

पिछले बजट में सरकार ने अप्रत्यक्ष करों में मुकदमेबाजी को कम करने के लिए 'सबका विकास योजना' पेश की थी. इसके परिणामस्वरूप 1.89 लाख से ज्यादा से ज्यादा मामलों का निपटान किया गया और सरकार को 39,000 करोड़ रुपये से ज्यादा की राशि प्राप्त हुई थी.

आयकर की नयी व्यवस्था के बारे में उन्होंने कहा कि इसका मकसद आयकर प्रणाली को आसान बनाना है. नयी व्यवस्था के तहत करदाता को विभिन्न मदों में मिलने वाली छूट समाप्त करके कम दर पर आयकर की गणना करना है.

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नयी कर व्यवस्था में ढाई से पांच लाख रुपये की वार्षिक कर योग्य आय पर पांच प्रतिशत कर का प्रावधान है. इसके बाद हर ढाई लाख रुपये की कर योग्य आय पर यह क्रमश: 10, 15, 20, 25 प्रतिशत है और 15 लाख रुपये से ऊपर की कर योग्य आय पर यह 30 प्रतिशत है.

आंकड़ों के अनुसार कुल करदाताओं में से करीब 90 प्रतिशत वास्तव में दो लाख रुपये से कम की कटौती का लाभ लेते हैं. इसका मतलब यह है कि कुल 5.78 करोड़ करदाताओं में से 5.3 करोड़ करदाता कर रिटर्न दाखिल करते वक्त दो लाख रुपये से कम कटौती (मानक कटौती, भविष्य निधि, आवास ऋण पर ब्याज, राष्ट्रीय पेंशन योजना में योगदान और स्वास्थ्य बीमा इत्यादि) का लाभ लेते हैं.