मिनिमम सैलरी हो जाएगी 21 हजार और पेंशन 6000 रुपए, अगर वित्त मंत्री ने मान ली यह बात
देश के प्रमुख मजदूर संगठनों (Labour Organisations) ने मिनिमम वेज लिमिट (Minimum Wage Limit) को बढ़ाकर 21,000 रुपये, कर्मचारी पेंशन योजना (EPS) के तहत न्यूनतम पेंशन 6,000 रुपये और 10 लाख रुपये तक की सालाना इनकम को टैक्स मुकत करने की मांग की है.
देश के प्रमुख मजदूर संगठनों (Labour Organisations) ने मिनिमम वेज लिमिट (Minimum Wage Limit) को बढ़ाकर 21,000 रुपये, कर्मचारी पेंशन योजना (EPS) के तहत न्यूनतम पेंशन 6,000 रुपये और 10 लाख रुपये तक की सालाना इनकम को टैक्स मुकत करने की मांग की है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) के साथ बजट पूर्व बैठक में कर्मचारी नेताओं ने कहा कि सरकार को रोजगार के अवसर बढ़ाने पर भी सोचना चाहिए.
मजदूर संगठन के प्रतिनिधियों ने ईपीएफओ (EPFO) में कवर कंपनियों में मौजूदा 20 कर्मचारियों के बजाय 10 कर्मचारियों वाली कंपनियों को EPFO में लाने की मांग की. इसके साथ ही उन्होंने ग्रैच्युटी (Gratuity) के लिये कर्मचारी द्वारा की गई सेवा के प्रत्येक साल के लिए 15 दिन के वेतन के बजाय 30 दिन के वेतन के आधार पर गणना करने की मांग की. उन्होंने यह भी कहा कि सरकार को आधार (Aadhaar) जोड़ने को अनिवार्य नहीं बनाना चाहिए.
उन्होंने वेतनभोगी तबके और पेंशनभोगियों के लिए आयकर छूट सीमा को 10 लाख रुपये सालाना तक बढ़ाने का आग्रह किया. उन्होंने कहा कि वरिष्ठ नागरिकों के लिए आयकर सीमा को बढ़ाकर 8 लाख रुपये किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि आवास, चिकित्सा और शिक्षा सुविधाओं जेसे सभी तरह के बेनिफिट को पूरी तरह से आयकर से छूट मिलनी चाहिए.
कर्मचारी नेताओं ने वित्त मंत्री से मांग की कि सरकारी विभागों, रेलवे (Railway), PSU और दूसरे निकायों में खाली पदों को भरा जाना चाहिए. संगठनों ने फाइनेंस मिनिस्टर से यह भी मांग की कि नई नौकरी पर लगी रोक और सरकारी पदों में कटौती नहीं होनी चाहिए.
BSNL, MTNL, ITI सहित दूसरे PSU के हजारों लोगों की नौकरी संकट में पड़ गई. BSNL-MTNL का मर्जर और कर्मचारियों को VRS देना नौकरी से हटाने के समान है और यह कदम रोजगार सृजन के उलट है.
इन संगठनों ने महंगाई के खिलाफ भी विरोध जताया. उन्होंने कहा कि सरकार को आवश्यक उपभोक्ता वस्तुओं के वायदा कारोबार पर तुरंत प्रभाव से रोक लगानी चाहिए और जमाखोरी रोकने के लिए कदम उठाने चाहिए. इसके साथ ही उन्होंने सार्वजनिक वितरण प्रणाली को मजबूत बनाने पर भी जोर दिया.
संगठनों ने कहा कि सरकार को सार्वजनिक उपक्रमों की सीधी बिक्री से दूर रहना चाहिए और इस्पात (Steel), कोयला (Coal), खनन (Mining), भारी इंजीनियरिंग (Heavy Engineering), औषधि, नागरिक उड्डयन, वित्तीय संस्थानों सहित तमाम मजबूत उपक्रमों की रणनीतिक बिक्री से पीछे रहना चाहिए.