कोरोना वायरस (COVID-19) संक्रमण के फैलाव को रोकने के लिए लगभग पूरे देश में लॉकडाउन (lockdown) लागू हो गया है. जरूरी सेवाओं से जुड़ी सर्विस को छोड़कर तमाम उद्योग-धंधे, बाजार, दुकान तक बंद हैं. इस लॉकडाउन के चलते दैनिक कामगारों के सामने रोजी-रोटी की समस्या खड़ी हो गई है.

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इस संकट की घड़ी में सरकार के मजदूर वर्ग और गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले लोगों के लिए राहत देने का ऐलान किया है. 

केंद्र सरकार (Modi Government) ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेश को कंस्ट्रक्शन मजदूरों (construction workers) के खाते में पैसा भेजने के लिए आदेश जारी कर दिया है. सरकार ने कहा है कि लेबर वेलफेयर बोर्ड में सेस फंड में करीब 52 हजार करोड़ रुपए जमा हैं.

दरअसल, भवन और अन्य निर्माण श्रमिक कल्याण उपकर अधिनियम, 1996 के तहत सरकार सेस (उपकर) वसूलती है. वसूली गई धनराशि सेस फंड में जमा होती है. इस धनराशि से भवन निर्माण कार्य में लगे असंगठित क्षेत्र के मजदूरों के लिए राहत योजनाएं चलाई जातीं हैं.

 

श्रम और रोजगार मंत्रालय के संतोष कुमार गंगवार (Santosh Kumar Gangwar) ने सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को श्रम कल्याण बोर्ड द्वारा इकट्ठा किए उपकर निधि से डीबीटी (डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर-Direct Benefit Transfer) मोड के माध्यम से निर्माण श्रमिकों के खाते में धनराशि स्थानांतरित करने के लिए कहा है.

श्रम एवं रोजगार मंत्री संतोष कुमार गंगवार ने सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों और राज्यपालों को लिखे पत्र में कहा है कि कोरोना के कारण संकट की इस घड़ी में असंगठित क्षेत्र के मजदूरों की समस्याओं को दूर किया जाना जरूरी है. भवन और अन्य निर्माण श्रमिक कल्याण उपकर अधिनियम 1996 के तहत सेस फंड में 52 हजार करोड़ रुपये उपलब्ध हैं. ऐसे में निर्माण कल्याण बोर्ड में पंजीकृत मजदूरों के खाते में धनराशि भेजी जाए.

श्रम एवं रोजगार मंत्री संतोष गंगवार ने कहा है कि मजदूरों के खाते में कितनी धनराशि जाएगी, यह राज्य सरकारें तय करेंगी. उन्होंने अपने पत्र में इस बात को स्पष्ट लिखा है कि राज्य सरकारें अपने अनुसार धनराशि का निर्धारण कर सकतीं हैं.

 

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उपकर निधि में लगभग 52,000 करोड़ रुपये जमा है. इस सयम लगभग 3.5 करोड़ निर्माण श्रमिक इन निर्माण कल्याण बोर्डों के साथ रजिस्टर्ड हैं.