अगर सबकुछ ठीक रहा तो आने वाले समय में मोटर वाहनों के लिए थर्ड पार्टी बीमा प्रीमियम सस्ता हो सकता है. दरअसल, बीमा नियामक इरडा ने संकेत दिए हैं कि वह वित्तीय वर्ष 2020-2021 से मोटर वाहनों के लिए थर्ड पार्टी इंश्योरेंस प्रीमियम तय नहीं करेगा. इसे हर साल तय किया जाता है. अब बीमा कंपनियों के लिए खुद प्रीमियम निर्धारित करने का रास्ता खुल जाएगा. इससे बाजार में ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए कंपनियां सस्ती योजना पेश करेंगी और नतीजा यह होगा कि प्रीमियम घट सकते हैं. 

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वर्तमान समय में बीमा नियामक थर्ड पार्टी इंश्योरेंस कवर का प्रीमियम तय करता है. सड़क पर चलने वाले हर वाहन के लिए थर्ड पार्टी इंश्योरेंस कवर जरूरी है. ट्रांसपोर्टर की लंबे समय से मांग रही है कि इरडा प्रीमियम की सीमा तय कर दे. इसके बाद बीमा कंपनियां इस पर डिस्काउंट की पेशकश करें. इससे पॉलिसी खरीदारों के पास अधिक विकल्प मौजूद होंगे.

ओन डैमेज' के लिए कोर्इ तय प्रीमियम नहीं

दरअसल,'ओन डैमेज' के लिए कोर्इ तय प्रीमियम नहीं है. इस वजह से बीमा कंपनियां भारी-भरकम डिस्काउंट ऑफर करती हैं. इंश्योरेंस इंफॉर्मेशन ब्यूरो ऑफ इंडिया (आर्इआर्इबी) के मुताबिक, 2016-17 में मोटर वाहन इंश्योरेंस के लिए बीमा कंपनियों ने 50,000 करोड़ रुपये का प्रीमियम जुटाया. बीमा कंपनियां कॉम्प्रिहेंसिव इंश्योरेंस पॉलिसी बेचने की ज्यादा इच्छुक हैं. 

इनमें थर्ड पार्टी और ओन डैमेज दोनों शामिल हैं. इकोनॉमिक टाइम्स की खबर के मुताबिक, इस मामले पर बीते हफ्ते प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने बैठक बुलार्इ थी. इसमें चालू वित्त वर्ष में प्रीमियम में भारी बढ़ोतरी को वापस लेने की मांग उठी. इसी बैठक में थर्ड पार्टी प्रीमियम के शुल्क न तय करने पर भी विचार-विमर्श किया गया.

प्रीमियम में करीब 28 फीसदी की बढ़ोतरी का विरोध

आपको बता दें पिछले दिनों थर्ड पार्टी प्रीमियम में करीब 28 फीसदी की बढ़ोतरी होने के विरोध में देशभर में ट्रक मालिक हड़ताल पर चले गए थे. सामान की आवाजाही लगातार घटने से तब अंतरिम वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने ट्रक मालिकों के संगठनों को कहा था कि वे इसे घटाकर 15 फीसदी कर देंगे, लेकिन, अब तक कोई फैसला नहीं हुआ है.

जानकारों का कहना है कि इरडा ने कहा कि अब वह कुछ नहीं कर सकता है. इसकी यह वजह है कि चालू वित्त वर्ष के आठ महीने पहले ही गुजर चुके हैं. इसलिए प्रस्ताव है कि अगले साल की बढ़ोतरी को 10 फीसदी या 10.5 फीसदी तक सीमित रखा जाएगा. लेकिन उम्मीद की जा रही है कि इसे मार्च से पहले ही अधिसूचित कर दिया जाएगा.