Budget 2023 में वित्‍त मंत्री निर्मला सीतारमण (Finance Minister Nirmala Sitharaman) ने निजी कर्मचारियों को बड़ी राहत दी है. वित्‍त मंत्री ने लीव एनकैशमेंट में टैक्‍स छूट की सीमा तीन लाख रुपए से बढ़ाकर 25 लाख रुपए कर दी है. यानी अब अगर आपके लीव एनकैशमेंट की रकम 25 लाख तक या इससे कम है, तो सरकार इस पर आपसे कोई टैक्‍स नहीं वसूलेगी. हालांकि ये नया नियम 1 अप्रैल से लागू होगा. वित्‍त मंत्री की इस घोषणा के बाद से लीव एनकैशमेंट (Leave Encashment) को लेकर जमकर चर्चा हो रही है क्‍योंकि लीव एनकैशमेंट पर टैक्स छूट की सीमा आखिरी बार साल 2002 में की गई थी, जब मूल वेतन की सीमा 30 हजार रुपए प्रतिमाह थी. आइए जानते हैं कि क्‍या है लीव एनकैशमेंट और क्‍या हैं इसके नियम.

क्‍या होता है लीव एनकैशमेंट

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जब आप किसी कंपनी में नौकरी करते हैं तो आपको Sick Leave, Casual Leave और Earned Leave समेत कई तरह की छुट्टियां दी जाती हैं. इनमें से कुछ छुट्टियां ऐसी होती हैं, जो तय समय तक न लेने पर खुद खत्‍म हो जाती हैं और कुछ छुट्टियां खत्‍म न होकर नए साल की छुट्टियों में जुड़ जाती हैं. अगर आप लंबे समय तक किसी कंपनी में काम करते हैं और ऐसी छुट्टियों को बचाते रहते हैं तो आपके पास कई छुट्टियां इकट्ठी हो जाती हैं. ऐसे में रिटायर होने पर या नौकरी को छोड़ने पर कर्मचारी को उन छुट्टियों के बदले पैसा दे दिया जाता है. इसको Leave Encashment कहा जाता है. सैलरी स्ट्रक्चर में सभी कर्मचारियों को इस बात की जानकारी दी जाती है कि सालभर में उन्‍हें कितनी छुट्टियां मिलेंगी और कितनी को वो कैश कर सकते हैं. 

क्‍यों लगता है लीव एनकैशमेंट पर टैक्‍स

छुट्टियों से मिलने वाली रकम को आय का हिस्सा माना जाता है, इसलिए सरकार पर उस पर टैक्स लगाती है. अभी तक कर्मचारियों को रिटायरमेंट या इस्तीफे के समय लीव एनकैशमेंट के तहत मिलने वाली तीन लाख तक की रकम पर टैक्‍स नहीं लगता था, लेकिन इससे ज्‍यादा रकम पर टैक्‍स लगता था. लेकिन सरकार की इस घोषणा के बाद 25 लाख रुपए तक की रकम पर कोई टैक्‍स नहीं लगेगा. लीव एनकैशमेंट के तहत मिलने वाली रकम पर आयकर कानून की धारा 89 के तहत टैक्स छूट का दावा किया जा सकता है. हालांकि केंद्रीय और राज्य सरकारों के कर्मचारियों को लीव एनकैशमेंट पर पहले भी कोई टैक्स नहीं देना होता था. वहीं कर्मचारी की मौत की स्थिति में भी लीव एनकैशमेंट पर कोई टैक्‍स नहीं लगता है. 

क्‍या है नियम

किसी भी कंपनी में सामान्यत: एक साल के लिए अधिकतम 30 छुटि्टयों को एनकैश कराने का नियम होता है. सरकार भी सालाना अधिकतम 30 छुटि्टयों के Leave Encashment पर टैक्स छूट देती है. हालांकि इस मामले में कंपनी के नियम अलग भी हो सकते हैं. कुछ कंपनियों में छुट्टियों का एनकैशमेंट साल बीतने के बाद ही कर दिया जाता है, वहीं कुछ कंपनियों में ये रकम कंपनी छोड़ते समय एकमुश्‍त दी जाती है. लीव एनकैशमेंट की गणना बेसिक पे और महंगाई भत्ते के आधार पर की जाती है और नौकरी से निकाले जाने की स्थिति में लीव एनकैशमेंट नहीं होता है.

अनिवार्य नहीं होता लीव एनकैशमेंट

कर्मचारियों को अधिक से अधिक काम के प्रति प्रोत्‍साहित रखने के उद्देश्‍य से कंपनियां Leave Encashment की सुविधा देती हैं, लेकिन लीव एनकैशमेंट का कोई सरकारी नियम नहीं होता है. यानी अगर कोई कंपनी आपकी लीव एनकैश नहीं करती है तो आप उस पर केस नहीं कर सकते. Leave Encashment की सुविधा देना या न देना कंपनी पर निर्भर करता है.

किन छुट्टियों का होता है एनकैशमेंट

ऑर्गनाइज्ड सेक्टर की कंपनियों में कई तरह की छुट्टियां होती हैं- सिक (Sick), कैजुअल (Casual), अर्न्ड (Earned) और प्रिवलेज (Privilege). सिक और कैजुअल लीव्स एक कैलेंडर ईयर में यूज़ न की जाएं तो लैप्स हो जाती हैं, लेकिन अर्न्ड लीव और प्रिवलेज लीव को एनकैशमेंट कराने योग्‍य माना जाता है. लेकिन, हर कंपनी इनके लिए अपने हिसाब से नियम व शर्तें तय कर सकती है.

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