कॉरपोरेट जगत को टैक्स में मिल सकती है बड़ी राहत, टास्क फोर्स ने की ये सिफारिश
टास्क फोर्स ने डिविडेंट डिस्ट्रूब्यूशन टैक्स (डीडीटी) को पूरी तरह से हटाने की सिफारिश की है. अभी जब कंपनियां डिविडेंट देती हैं तो उस पर 15 फीसदी डीडीटी लगता है.
टास्क फोर्स ने कंपनियों के बुक प्रॉफिट पर लगने वाले MAT (Minimum Alternate Tax) को भी पूरी तरह से हटाने की सिफारिश की है. अभी कंपनी के बुक प्रॉफिट पर 18.5 MAT (मिनिमम अल्टरनेटिव टैक्स) लगता है. (Image-pixabay)
टास्क फोर्स ने कंपनियों के बुक प्रॉफिट पर लगने वाले MAT (Minimum Alternate Tax) को भी पूरी तरह से हटाने की सिफारिश की है. अभी कंपनी के बुक प्रॉफिट पर 18.5 MAT (मिनिमम अल्टरनेटिव टैक्स) लगता है. (Image-pixabay)
अगर आप सालाना 55 लाख रुपये कमाते हैं तो हो सकता है कि आपको कोई टैक्स न देना पड़े. यह सिफारिश की गई है डायरेक्ट टैक्स (प्रत्यक्ष कर) कोड में और इसकी सिफारिश की है डायरेक्ट टैक्स कानून में बदलाव के लिए बनाई गई टास्क फोर्स ने. टास्क फोर्स ने सरकार को अपनी रिपोर्ट केंद्र सरकार को सौंप दी है.
जानकारी के मुताबिक, टास्क फोर्स की सिफारिशों को सरकार ने अपनी तो सहमति दे दी है, अब इन्हें संसद के अगले सत्र में पेश किया जाएगा.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी सितंबर 2017 में कर अधिकारियों के वार्षिक सम्मेलन में कहा था कि आयकर अधिनियम 1961 को 50 साल से ज्यादा का समय हो गया है और इसे फिर से तैयार किए जाने की जरूरत है.
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जानकार बताते हैं कि संसद में अगर टास्क फोर्स की सभी सिफारिशें मान ली गईं तो करदाताओं के लिए इससे बड़ी खुशी कोई और हो ही नहीं सकती.
देश में टैक्स देने वालों के लिए अच्छा माहौल बने और आम आदमी से लेकर उद्योग जगत पर टैक्स का बोझ कम हो, टैक्स के मामले भी फटाफट निपटे, इसके लिए डायरेक्ट टैक्स कोड की सिफारिशों को सरकार नवंबर में शुरू होने वाले संसद के शीतकालीन सत्र में पेश कर सकती है.
टास्क फोर्स की सिफारिशें
केंद्र में जब यूपीए की सरकार थी तब डायरेक्ट टैक्स कोड के लिए एक कमेटी का गठन किया गया था. टास्क फोर्स ने आम लोगों को राहत देने वाली कई सिफारिशें की हैं. सरकार इन सिफारिशों को संसद के अगले सत्र में पेश करने जा रही है.
टैक्स स्लैब में बदलाव
टास्क फोर्स ने वर्तमान टैक्स स्लैब में बड़े बदलाव की सिफारिश की है. इन बदलावों को माना गया तो सालाना 55 लाख रुपये कमाने वालों को भी टैक्स में राहत मिल सकती है. इसके पीछे सरकार की सोच है कि टैक्सपेयर्स के हाथ में ज्यादा से ज्यादा पैसा देने की कोशिश की जाए, ताकि वे खर्च कर सकें. बाजार में पैसा आने से अर्थव्यवस्था को बूस्ट मिलेगा.
कॉरपोरेट टैक्स का बोझ कम हो
कॉरपोरेट जगत को भी टैक्स का साफ-सुथरा माहौल मिल सके इसके लिए टास्क फोर्स ने टैक्स का बोझ कम करने की सिफारिश की है. सिफारिश में कहा गया है कि कॉरपोरेट टैक्स के मामले में भारत को अमेरिका से टक्कर लेनी होगी.
अमेरिका ने टैक्स सुधार करते हुए पिछले साल कॉरपोरेट टैक्स 35 फीसदी से घटाकर 21 फीसदी कर दिया था. इसलिए विदेशी कंपनियों के लिए भारतीय मार्केट कम आकर्षित हो गया है.
भारत को भी बड़ी घरेलू और विदेशी कंपनियों पर टैक्स 30 फीसदी से घटाकर 25 फीसदी करना चाहिए. साथ ही विदेश में रजिस्टर्ड कंपनियों के लिए टैक्स 40 फीसदी करना चाहिए.
डीडीटी और MAT को हटाने की सिफारिश
टास्क फोर्स ने डिविडेंट डिस्ट्रूब्यूशन टैक्स (डीडीटी) को पूरी तरह से हटाने की सिफारिश की है. अभी जब कंपनियां डिविडेंट देती हैं तो उस पर 15 फीसदी डीडीटी लगता है. DDT के ऊपर 12 फीसदी सरचार्ज और 3 फीसदी एजुकेशन सेस लगता है. इस तरह डीडीटी की दर 20.35 फीसदी हो जाती है.
टास्क फोर्स ने कंपनियों के बुक प्रॉफिट पर लगने वाले MAT (Minimum Alternate Tax) को भी पूरी तरह से हटाने की सिफारिश की है. अभी कंपनी के बुक प्रॉफिट पर 18.5 MAT (मिनिमम अल्टरनेटिव टैक्स) लगता है.
फेसलेस स्क्रूटनी पर जोर
कॉरपोरेट जगत को टैक्स अधिकारियों के उत्पीड़न का शिकार न होना पड़े इसके लिए टास्क फोर्स ने फेसलेस स्क्रूटनी पर जोर दिया है. टास्क फोर्स ने कहा है कि असेसिंग ऑफिसर की जगह असेसमेंट यूनिट बनाई जाए. स्क्रूटनी के केसों का चयन लॉटरी सिस्टम से किया जाए और केंद्रीय स्तर पर इस सिस्टम को दुरुस्त किया जाए.
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टैक्स विवादों के निपटारों के लिए कमिश्नरों के कॉलेजियम के सामने समझौते की प्रक्रिया शुरू की जानी चाहिए.
टैक्स मामलों के लिए अलग यूनिट
टास्क फोर्स ने इनकम टैक्स के कानूनी झगड़े हटाने पर जोर दिया है. इसके लिए फोर्स ने लिटिगेशन मैनेजमेंट यूनिट बनाने का प्रस्ताव दिया है. यह यूनिट तय करेगी कि कौन से केस अपील किए जाएंगे और कौन से नहीं. कौन सा केस कोर्ट/ट्रिब्यूनल के पास जाएगा. यह यूनिट केस लड़ने की पूरी कानून प्रक्रिया पर नजर रखेगा और रणनीति बनाएगा.
03:54 PM IST