Sovereign Gold Bond: अगर आप सोने में निवेश करते हैं, तो ये खबर आपके लिए बेस्ट है. गोल्ड में इन्वेस्ट करने के 4 तरीके होते हैं, जिसमें से सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (Sovereign Gold Bond) भी एक है. सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (SGB) एक गवर्मेंट सिक्योरिटीज हैं, जिसे केंद्रीय बैंक आरबीआई की तरफ से जारी किया गया है. बता दें SGB में 8 साल का मैच्योरिटी पीरियड (Maturity Period) पूरा होने के बाद कस्टमर्स को प्राप्त होने वाला रिटर्न पूरी तरह से टैक्स फ्री होता है. बता दें गोल्ड बॉन्ड मेच्योरिटी पर टैक्स फ्री होता है. सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (SGB) की मेच्योरिटी 8 साल की होती है. लेकिन 5 साल बाद अगले ब्याज भुगतान की तारीख पर बॉन्ड को निकाल सकते हैं. गोल्ड बॉन्ड में एक्सपेंस रेश्यो नहीं होता है.

मैच्योरिटी से पहले निकाल सकते हैं पैसा

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लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स (Long-Term Capital Gains Tax) की दर एडेड सेस और इंडेक्सेशन बेनिफिट्स के साथ 20% है. अगर Gold Bond स्टॉक एक्सचेंज पर लिस्ट होते हैं तो इन्हें आरबीआई की तरफ से नोटिफाई की गई तारीख से शेयर बाजार में ट्रेड किया जा सकता है. अगर आपको इसमें निवेश करने में डर लगता है, तो घबराए नहीं  यह भारत सरकार की तरफ से समर्थित होता है, इसलिए इसमें डिफॉल्ट का खतरा नहीं होता है.

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लंबी अवधि के लिए अच्छा ऑप्शन

सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड में मेच्योरिटी तक होल्ड करने में कैपिटल गेंस टैक्स नहीं देना होता है. जबकि इक्विटी पर 10 फीसदी कैपिटल गेंस टैक्स लगता है. ऐसे में लंबी अवधि के निवेश विकल्पों में यह बेहतर साबित हो रहा है. गोल्ड बॉन्ड को मैनेज करना सुरक्षित और आसान होता है. इसमें शुद्धता को लेकर भी कोई परेशानी नहीं होती है.

कैसे और कहां से खरीद सकते हैं

सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड स्कीम में एक वित्त वर्ष में एक व्यक्ति अधिकतम 400 ग्राम सोने के बॉन्ड खरीद सकता है. वहीं न्यूनतम निवेश 1 ग्राम का होना जरूरी है. सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड में आवेदन के लिए PAN होना जरूरी है. गोल्ड बॉन्ड को ऑनलाइन खरीद सकते हैं. इसके अलावा इसकी बिक्री बैंकों, स्टॉक होल्डिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (एसएचसीआईएल), चुनिंदा डाकघरों और एनएसई व बीएसई जैसे स्टॉक एक्सचेंज के जरिए भी होगी.