बच्चों के भविष्य के लिए इन खास म्यूचुअल फंड्स में करें निवेश, नहीं रहेगी कोई चिंता
सॉल्यूशन ओरिएंटेड फंड्स फंड दो तरह के होते हैं. इनमें रिटायरमेंट और बच्चों के लिए प्लानिंग शामिल होती है. ये कैटेगरी अधिक समय के निवेश के लिए बनाई गई है.
बच्चों के सुनहरे भविष्य का सवाल हो या फिर खुद के रिटायरमेंट की प्लानिंग दोनों, ही लक्ष्यों के लिए आप जितना जल्दी इन्वेस्टमेंट करेंगे, उतना ज्यादा फायदा आपको मिलेगा. आपको इन दोनों ही टारगेट को पूरा करने के लिए खास तरह के म्यूचुअल फंड की कैटेगरी भी है, नाम है- सॉल्यूशन ओरिएंटेड फंड.
क्या हैं सॉल्यूशन ओरिएंटेड फंड
फिनसेफ इंडिया की फाइनेंशियल एजुकेटर मृन अग्रवाल के मुताबिक, SEBI ने गोल ओरिएंटेड फंड की एक कैटेगरी बनाई है. यही फंड कैटेगरी सॉल्यूशन ओरिएंटेड फंड्स कहलाती है. ये फंड दो तरह के होते हैं. इनमें रिटायरमेंट और बच्चों के लिए प्लानिंग शामिल होती है. ये कैटेगरी अधिक समय के निवेश के लिए बनाई गई है. रिटायरमेंट के बाद के खर्चे के लिए इसमें निवेश होता है और बच्चों के सुरक्षित भविष्य के लिए भी इनमें निवेश किया जाता है. सॉल्यूशन ओरिएंटेड फंड्स ओपन एंडेड फंड्स हैं और इन पर टैक्स में छूट का फायदा मिलता है.
लॉक-इन पीरियड
सॉल्यूशन ओरिएंटेड फंड्स का लॉक-इन पीरियड 5 साल का होता है. इनमें 5 साल से पहले पैसा नहीं निकाल सकते. 5 साल या रिटायरमेंट, दोनों में से जो पहले होगा, उसमें पैसा निकाल सकते हैं. चिल्ड्रन फंड्स के मामले भी यही फॉर्मूला काम करता है. बच्चों के लिए पैसा निकालने की सूरत 5 साल या बच्चे के 18 साल का होना होता है. दोनों से जो पहले आएगा, वही मैच्योरिटी की तारीख होगी.
क्या हैं चिल्ड्रेंस फंड्स
चिल्ड्रेंस फंड्स हाइब्रिड श्रेणी में आते हैं. फंड्स का मकसद बच्चों के भविष्य को सुरक्षित बनाना है. चिल्ड्रेंस फंड्स में लॉक-इन पीरियड होता है और इसमें माता-पिता को एक्सिडेंट इंश्योरेंस कवर मिलता है. चिल्ड्रेंस फंड्स में लंबे समय के लिए निवेश होता है.
चिल्ड्रेंस फंड की जरूरत
चिल्ड्रेंस फंड के जरीए बच्चों के भविष्य के लिए पूंजी जमा होगी. चिल्ड्रेंस फंड्स में लॉक-इन पीरियड होता है. इसलिए समय से पहले पैसा नहीं निकाल सकते. फंड का इक्विटी में 40-75% तक निवेश होता है, बाकी फंड का निवेश डेट इंस्ट्रूमेंट्स में होता है. इसमें माता-पिता के लिए पर्सनल एक्सिडेंट कवर होता है. लीगल गार्जियन के लिए भी एक्सिडेंट कवर मिलता है. दूसरे बच्चे को भी नॉमिनी बना सकते हैं.
कब निकाल सकते हैं पैसा
सॉल्यूशन ओरिएंटेड फंड्स का पैसा फंड की मैच्योरिटी पर बच्चे के नाम पर उसके बैंक खाते में जमा हो जाता है. बच्चे के 18 साल का होने पर मैच्योरिटी होगी. मैच्योरिटी की तारीख को बढ़ाया भी जा सकता है. मैच्योरिटी बच्चे के 21 साल होने पर भी हो सकती है.
कब करें निवेश की शुरुआत
बच्चे के जन्म से ही भविष्य के लिए निवेश शुरू करना फायदेमंद रहता है. बच्चे की पढ़ाई, करियर, शादी के खर्चों का हिसाब लगाकर निवेश करें. टारगेट के मुताबिक बच्चे के लिए फाइनेंस की प्लानिंग बना सकते हैं. फाइनेंस प्लानिंग का सख्ती के साथ पालन करना चाहिए.
रिटायरमेंट प्लानिंग के लिए फंड
रिटायरमेंट के समय फाइनेंस की प्लानिंग करने के लिए 3 चीजें जरूरी होती हैं- टागरेट, समय और टारगेट को पूरा करने के लिए कितना पैसा चाहिए. इसलिए इन बातों का ध्यान रखते हुए ही फंड में निवेश करें और अच्छा रिटर्न देने वाले असेट में निवेश करें. रिटायर होने में 10 साल या ज्यादा का वक्त बाकी है तो ये फंड्स ज्यादा फायदेमंद साबित नहीं होंगे. ऐसे लोगों को इक्विटी फंड्स में निवेश करना चाहिए.
रिटायरमेंट प्लानिंग के कौन से फंड
ज्यादातर रिटायरमेंट प्लान बैलेंस्ड फंड्स होते हैं. इक्विटी और डेट, दोनों में ही इनका निवेश होता है. शुद्ध इक्विटी फंड्स के मुकाबले इनमें कम रिटर्न मिलता है. रिटायरमेंट में 5 साल या कम समय है तो तो ये फंड्स अच्छे होते हैं. डेट से पोर्टफोलियो में स्थिरता बनी रहती है. ये कम समय के लिए निवेश में फायदेमंद साबित होता है. अगर आपने PF या NPS में निवेश कम किया हुआ है तो डेट फंड ही आपके लिए बेहतर होंगे
लॉक-इन पीरियड
रिटायरमेंट फंड्स में लॉक-इन पीरियड होता है. लॉक-इन पीरियड 5 साल और उससे ज्यादा होता है. लॉक-इन के चलते लंबे समय तक निवेश बना रहता है. ऐसे में प्री-मैच्योर पैसा निकालना नुकसानदायक हो सकता है. प्री-मैच्योर पैसा निकालने पर 3-4% एग्जिट लोड (किसी फंड से बाहर निकलने पर चार्ज) लग सकता है.
टैक्स छूट
सॉल्यूशन ओरिएंटेड फंड्स सेक्शन 80C के तहत टैक्स में छूट मिलती है. कम से कम 5 साल का लॉक-इन पीरियड होने पर ही इस छूट का फायदा ले सकते हैं. अगर पोर्टफोलियो में इक्विटी 65% से ज्यादा है तो लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन देना पड़ता है.
कितने प्रकार के फंड्स
रिटायरमेंट फंड्स 3 से 4 तरह के होते हैं. इनमें HDFC रिटायरमेंट सेविंग्स फंड में 3 प्लान हैं- प्योर इक्विटी, हाइब्रिड इक्विटी और डेट इक्विटी प्लान. टाटा रिटायरमेंट सेविंग्स इस फंड से अलग होता है. प्रिंसिपल रिटायरमेंट सेविंग्स भी अलग है. इन दोनों में कंजर्वेटिव, मॉडरेट और प्रोग्रेसिव प्लान शामिल हैं. हर प्लान में अलग-अलग फंड्स मौजूद हैं. निवेशक अपनी जरूरत के हिसाब से प्लान चुन सकते हैं.
ICICI प्रूडेंशियल रिटायरमेंट फंड में 4 प्लान हैं.
सॉल्यूशन ओरिएंटेड फंड्स की खूबियां हैं
ज्यादातर फंड्स में प्लान बदलने की सुविधा मिलती है. प्लान बदलने पर एग्जिट लोड यानी अलग से चार्ज नहीं लगता है. खास बात ये है कि प्लान बदलने पर लॉक-इन पीरियड फिर से नहीं शुरू नहीं होता है. पुराना पीरियड ही लागू होगा. निवेशक खुद प्लान बदल सकते हैं. वह ऑटो-स्विच का विकल्प भी ले सकते हैं.