हम में से कुछ के लिए, कार खरीदना हमारी जरूरतों को पूरा करना होता है. दूसरों के लिए, अपनी कार खरीदना एक शौक होता है. कार खरीदने के लिए बड़ी इंवेस्टमेंट की जरूरत होती है. जब कार खरीदने की बात आती है, तो दो ऑप्शन होते हैं कार लोन या हमारी सेविंग्स. कार खरीदने से पहले खरीददार को अपने बजट को बनाना चाहिए जिससे वो ये तय कर पाए कि लोन लेने की जरूरत हा या नही, जाहिर तौर पर लोन लेने से खरीददार ब्याज और समय सीमा में बंध सकता है. आइए देखते है दोनों में कौन सा ऑप्शन बेहतर है.

COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

सेविंग कर कार खरीदने के फायदे

जब कोई सेविंग कर के कार खरीदता है तो वह पूरी तरीके से अपनी कार का मालिक बन जाता है. उसे किसी भी तरह का उधार या ब्याज नहीं चुकाना होता है. क्योंकि खरीददार को तुरंत अपनी जेब से काफी खर्च करना पड़ता है इसलिए इससे उनके क्रेडिट स्कोर पर कोई असर नहीं पड़ता है. इसके अलावा अगर आप सेविंग्स से कार खरीदते है तो आपके ऊपर EMI का बोझ भी लहीं होता. 

सेविंग कर कार खरीदने के नुकसान

आपकी सेविंग्स का बड़ा हिस्सा नया व्हीकल खरीदने में खर्च होगा. इससे आपका बैंक खाता या जमा किया हुआ पैसा खत्म हो सकता है और इंवेस्टमेंट के लिए आपके पास पैसा कम हो सकता है. इसके अलावा,क्योंकि कार एक डेप्रिसिएशन असेट (depreciating asset) है, इसलिए आप फ्यूचर में उस अमाउंट की वसूली नहीं कर पाएंगे.

लोन लेकर कार खरीदने के फायदे

लोन लेकर कार खरीदने से आपकी ख्वाहिश तो पूरी होगी ही साथ ही इससे आपके बैंक बैलेंस पर खास असर नही पड़ेगा. खरीददार फिक्स्ड डिपॉजिट या म्यूचुअल फंड जैसे रास्ते अपनाकर कार खरीद सकता है. आप अपनी रेगुलर सेविंग को छुए बिना भी EMI का छोटा अमाउंट लेकर एक कार के मालिक बन सकते हैं.

लोन लेकर कार खरीदने के नुकसान

महीने की EMI पेमेंट कई लोगों के लिए परेशानी भरा हो सकता है. वहीं, लोन चुकाने तक लोन देने वाला ही कार का मालिक बना रहेगा. अगर EMI टाइम से नही भरी गई तो वो इंसान कर्ज में डूब सकता है.

Zee Business Hindi Live TV यहां देखें