जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है शरीर की बीमारियों के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता भी कम होती है. बढ़ती उम्र में बीमारियों का खतरा बढ़ता चला जाता है.  मेडिकल एक्सपेंस कवर करना दिन पर दिन महंगा होता जा रहा है. ऐसे में किसी बड़ी बीमारी के खर्चे कवर करने में मोटा पैसा देना पड़ सकता है. साथ ही 60 की उम्र के बाद इंश्योरेंस मिलना भी आसान नहीं होता. तो ऐसे में जरूरी होता है कि आप पहले ही मेडिकल इंश्योरेंस जरूर लेकर रखें. लेकिन इसके पहले कुछ खास बातों का ध्यान आपको जरूर रखना चाहिए. आइये जानते हैं इन बातों के बारे में.

कवर अमाउंट  

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उम्र बढ़ने के साथ व्यक्ति को बीमारियों के प्रति ज्यादा संभावित माना जाता है. ऐसे में सीनियर सिटीजन को आसानी से इंश्योरेंस नहीं मिलता, अगर मिलता भी है तो 5 लाख से ज्यादा कवर नहीं मिल पता है. वहीं दूसरी तरफ इनकम पर निर्भर करते हुए कई बार लोगों को 1 करोड़ तक का अमाउंट भी इंश्योरेंस पॉलिसी में मिल जाता है. इसलिए हमेशा इंश्योरेंस कवर को ध्यान में रख कर कोशिश करना चाहिए कि बड़े अमाउंट का क्लेम मिल सके.

को-पेमेंट 

कई इंश्योरर कस्टमर्स को को-पेमेंट करने का भी ऑप्शन देते हैं. इसमें पॉलिसी होल्डर को मेडिकल खर्चों का कुछ भाग उठाना होता है. जितना ज्यादा को-पेमेंट का भाग होगा उतनी कम इंश्योरर की लायबिलिटी होगी. ऐसे में आपको इस तरह की पॉलिसी का चयन करना चाहिए जिसमें को-पेमेंट का प्राइस कम हो. 

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कैपिंग 

सीनियर सिटिजन बीमा ज्यादातर रूम के खर्चे, ओल्ड-ऐज से जुड़े ऑपरेशन, जैसे घुटने का रिप्लेसमेंट, ऑर्गन ट्रांसप्लांट, जैसे खर्चों पर कैपिंग के साथ आते हैं. ऐसे में आप ऐसी पॉलिसी लेने की कोशिश करें जिसमें आपको कम या फिर जरा भी कैपिंग चार्ज न देना हो. एक आवेदक की हेल्थ कंडीशन के आधार पर, बीमा कंपनियां अधिक सीमाएं भी लगा सकती हैं . जैसे कि कुछ बेनिफिट्स को हटा देना. इससे हेल्थ पॉलिसी के बेनिफिट कम हो जाते हैं. इस बात का ध्यान भी आपको बीमा लेते समय रखना चाहिए.