Risks in Bank Fixed Deposit (FDs): देश में जब भी हम सुरक्षित और फिक्‍स्‍ड इनकम के निवेश विकल्‍पों में बैंक फिक्‍स्‍ड डिपॉजिट (Bank Fixed Deposits) सबसे पॉपुलर है.आमतौर पर यह माना जाता है कि बैंकों की एफडी में पैसा सुरक्षित रहता है और रिटर्न भी गारंटीड मिलता है. अर्थव्‍यवस्‍था की चाल और बाजार के सेंटीमेंट का इस पर कोई असर नहीं होता है. जबकि, यह बात पूरी तरह सही नहीं है. बैंकों के एफडी में भी महंगाई, क्रेडिट रिस्‍क जैसे जोखिम होते हैं. फिक्‍स्‍ड इनकम के लिए जब भी हम बैंक फिक्‍स्‍ड डिपॉजिट (Bank FDs) का विकल्‍प चुनें, तो हमें इन रिस्‍क फैक्‍टर्स को अच्‍छी तरह समझ लेना चाहिए. 

Bank FDs के रिस्‍क

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फिनटेक कंपनी महाग्राम के सीईओ राम श्रीराम का कहना है, नियमित आमदनी और पैसे को सुरक्षित बनाए रखने के लिए FDs निवेश का एक लो-रिस्‍क विकल्‍प है. हालांकि, FDs में महंगाई, ब्‍याज दर, लिक्विडिटी और केडिट रिस्‍क जैसे जोखिम होते हैं. 

उनका कहना है, बैंक FDs इन जोखिमों से बचने के लिए जमाकर्ताओं को अपने पोर्टफोलियो को डायवर्सिफाई करना चाहिए. आर्थिक और बाजार के रुझानों पर नजर रखनी चाहिए और FDs की नियम व शर्तों की नियमित तौर पर समीक्षा करनी चाहिए. इसके अलावा, उन्‍हें बैंक की क्रेडिट रेटिंग्‍स और डिपॉजिट इंश्‍योरेंस कवरेज को भी चेक करना चाहिए.

बैंक एफडी की सेफ्टी और रिटर्न को कुछ गलत धारणाए हैं. निवेशकों को डिपॉजिट कराने से पहले कुछ होम वर्क जरूर कर लेना चाहिए. पिछले कुछ महीनों में ब्‍याज दरों के बदलते समय और महंगाई के दबाव ने लंबी अवधि के निवेश विकल्‍प के रूप में FDs व्‍यावहारिकता पर चिंताएं सामने आई हैं. 

उनका कहना है कि निवेश कहां करना है इसका फैसला आमतौर पर निवेशक के के रिस्‍क उठाने की क्षमता, वित्‍तीय लक्ष्‍य और निवेश अवधि पर निर्भर करता है. इसलिए हमें अलग-अलग निवेश विकल्पों के नफा-नुकसान को समझकर एक बेहतर फैसला लेना चाहिए. एक्‍सपर्ट के मुताबिक, कम रिस्‍क में नियमित आमदनी वाले निवेशकों के लिए FDs अच्‍छा विकल्‍प हो सकता है. हालांकि FDs से जुड़े रिस्‍क को निवेशकों को डिपॉजिट से पहले जान लेना चाहिए. 

बैंकों में 5 लाख तक जमा पर कवर्ड 

बीपीएन फिनकैप के डायरेक्‍टर एके निगम का कहना है, अमूमन बैंक एफडी को पूरी तरह सुरक्षित माना जाता है. वैसे तो एफडी में रकम सुरक्षित ही होती है, लेकिन अगर बैंक किसी कंडीशन में डिफाल्ट कर जाए, तो निवेशकों की सिर्फ 5 लाख तक डिपॉजिट ही सेफ रहता है. फाइनेंस कंपनियों पर भी यही नियम लागू है. डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉर्पोरेशन (DICGC) बैंक डिपॉजिट पर सिर्फ 5,00,000 रुपये तक का ही इंश्‍योरेंस गारंटी देता है. 

निगम का कहना है, एफडी पर रिटर्न यानी ब्याज दर फिक्स और पहले से तय होता है. लेकिन महंगाई लगातार बढ़ती रह सकती है. ऐसे में अगर महंगाई को एडजस्ट करें, तो एफडी पर मिलने वाला रिटर्न मौजूदा दौर में बहुत कम है. वहीं, बैंक एफडी में लिक्विडिटी का इश्यू होता है. वैसे तो जरूरत पड़ने पर एफडी तोड़ी जा सकती है, लेकिन इस पर प्री-मैच्‍योर पेनल्टी देनी पड़ती है. यह अमाउंट अलग अलग बैंकों में अलग अलग हो सकता है. अगर आपने कोई टैक्स सेविंग एफडी में निवेश किया हुआ है, तो आप इसको 5 साल की अवधि से पहले भी निकाल सकते हैं. लेकिन तब आपको इनकम टैकस में छूट का फायदा नहीं मिलेगा. 

 

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