Retirement Planning के लिए आपको क्यों चुनना चाहिए NPS, इसकी एक दो नहीं बल्कि 4 वजहें हैं
एनपीएस (NPS) यानी नेशनल पेंशन सिस्टम (National Pension System) रिटायरमेंट को लेकर शानदार स्कीम मानी जाती है. इस कंट्रीब्यूशन पर कई तरह के टैक्स बेनिफिट्स मिलते हैं. साथ में आपका भविष्य भी सुरक्षित होता है.
एनपीएस (NPS) यानी नेशनल पेंशन सिस्टम (National Pension System) रिटायरमेंट को लेकर शानदार स्कीम मानी जाती है. इस कंट्रीब्यूशन पर कई तरह के टैक्स बेनिफिट्स मिलते हैं. साथ में आपका भविष्य भी सुरक्षित होता है. Retirement Planning के लिए एनपीएस काफी अच्छा प्लान है. इससे रिटायरमेंट के बाद आपके आने वाले कल के लिए एक मोटा फंड तैयार हो जाता है. आइए जानते हैं एनपीएस चुनने के 4 बड़े फायदे.
1- कम चार्ज, ज्यादा रिटर्न
अगर बात एनपीएस की करें तो इस पर अन्य फंड मैनेजमेंट सर्विस की तुलना में बहुत ही कम चार्ज लगता है. इस पर निवेशकों को म्यूचुअल फंड की तुलना में कम चार्ज चुकाना पड़ता है. वहीं अगर बात करें म्यूचुअल फंड की तो उसमें आपको 2-2.5 फीसदी तक सालाना चुकाना पड़ता है. वैसे साल भर में 2 फीसदी चार्ज देना सुनने में तो कम लगता है, लेकिन लंबे वक्त में देखा जाए तो कंपाउंडिंग की वजह से यह एक बड़ी रकम बन जाती है. ऐसे में अगर आप पर लगने वाला चार्ज कम है तो आपको मिलने वाला रिटर्न अपेक्षाकृत अधिक रहता है. एनपीएस में लगने वाले चार्ज की लिस्ट नीचे दी गई है.
2- टैक्स पर मिलती है तगड़ी छूट
एनपीएस EEE कैटेगरी में आता है, यानी इसमें निवेश किए गए पैसों, उस पर मिलने वाले ब्याज और मेच्योरिटी के बाद मिली रकम तक सभी पर टैक्स छूट मिलती है. NPS Investment यानी एनपीएस में निवेश करने पर सेक्शन 80सी के तहत डिडक्शन का फायदा मिलता है, जिसकी लिमिट 1.5 लाख रुपए होती है.
वहीं सेक्शन 80CCD (1B) के तहत भी अतिरिक्त टैक्स बेनिफिट मिलता है. इस सेक्शन के तहत 50 हजार रुपए तक के निवेश पर टैक्स छूट मिलती है. इस तरह कुल 2 लाख रुपए का टैक्स बेनिफिट मिलता है.
इतना ही नहीं, 80CCD(2) के तहत भी एनपीएस पर टैक्स बेनिफिट मिलता है. इस सेक्शन के तहत अगर कोई एंप्लॉयर अपने एंप्लॉयी के एनपीएस अकाउंट में पैसा जमा करता है तो एंप्लॉयी को टैक्स में छूट मिलती है. यह छूट निजी कंपनियों के कर्मचारियों के लिए 10 फीसदी और सरकारी कर्मचारियों के लिए 14 फीसदी होती है.
3- काफी फ्लेक्सिबिलिटी है
एनपीएस की सबसे अच्छी बात ये है कि यह काफी फ्लेक्सिबल है. इसमें निवेशक अपने असेट लोकेशन को साल में चार बार तक बदल सकते हैं. जहां एक ओर म्यूचुअल फंड में एक फंड से दूसरे फंड में स्विच होने को सेल माना जाता है, जिसके गेन पर टैक्स लगता है. वहीं दूसरी ओर, एनपीएस में असेट क्लास बदलना या फिर फंड मैनेजर बदलने पर कोई टैक्स नहीं लगता है. इतना ही नहीं, एनपीएस में सबसे बड़ा फायदा तो ये है कि आप खुद तय कर सकते हैं कि आपको अपने पैसों का कितना हिस्सा कहां लगाना है. जैसे आप तय कर सकते हैं कि स्टॉक मार्केट में कितने पैसे लगाने चाहिए और सुरक्षित विकल्पों में कितना निवेश किया जाना चाहिए.
4- नियम बदलने की वजह से बढ़ी लिक्विटी
एनपीएस में निवेश करने का मतलब ये नहीं है कि आपका पैसा रिटायरमेंट तक पूरी तरह लॉक हो जाएगा. जिस तरह पीएफ में कुछ खास अवसरों या जरूरतों पर आप कुछ पैसा निकाल सकते हैं, उसी तरह एनपीएस में भी पैसे निकाले जा सकते हैं. हालांकि, इसलिए लिए जरूरी है कि आप कम से कम 3 साल पुराने एनपीएस सब्सक्राइबर हों. वहीं आप पूरी जिंदगी में एनपीएस खाते से सिर्फ 3 बार ही पैसे निकाल सकेंगे. पैसे निकाले जाने की सीमा भी 25 फीसदी से अधिक नहीं हो सकती है.