Retirement Planning: नया साल है, फाइनेंशियल प्लानिंग करने का बहुत सही वक्त है. अभी अगर आप अपने 30-40 की उम्र में हैं तो आपको रिटायरमेंट प्लानिंग कर लेनी चाहिए. बहुत से सैलरीड प्रोफेशनल्स अपनी फाइनेंशियल प्लानिंग में रिटायरमेंट प्लानिंग को टारगेट पर रखकर नहीं चलते. लेकिन इस साल आप ये एक चीज तो फिक्स कर सकते हैं. अगर आप लंबी अवधि के निवेश और अपने रिटायरमेंट फंड (Retirement fund) की स्ट्रेटेजी लेकर चलें तो निवेश के लिए कई बढ़िया ऑप्शन हैं. इन ऑप्शन में आपको बेहतर रिटर्न देखने को मिल सकते हैं. वॉलेंटरी प्रोविडेंट फंड (VPF), ELSS या पब्लिक प्रोविडेंट फंड (PPF) में निवेश अच्छा मुनाफा दिला सकता है.

वॉलेंटरी प्रोविडेंट फंड (VPF)

COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

EPF में बेसिक सैलरी का सिर्फ 12 फीसदी ही कॉन्ट्रीब्यूट किया जा सकता है. लेकिन, VPF (Voluntary Provident Fund) में निवेश करने की कोई सीमा नहीं होती. मतलब अगर कर्मचारी अपनी इन-हैंड सैलरी को कम रखकर भविष्य निधि में योगदान बढ़ाता है तो इस विकल्प को VPF कहते हैं. VPF में भी EPF के समान 8.15 फीसदी ब्याज दिया जा रहा है. ये स्कीम EPF का ही एक्सटेंशन है. इसे सिर्फ नौकरीपेशा ओपन कर सकते हैं. बेसिक सैलरी और DA (Dearness allowance) का 100 फीसदी इसमें निवेश किया जा सकता है. 

VPF के लिए क्या करें?

आपको अपनी कंपनी के HR या फाइनेंस टीम से संपर्क करना होगा. VPF में कॉन्ट्रीब्यूशन की रिक्वेस्ट करनी होगी. प्रॉसेस होते ही आपके EPF अकाउंट से VPF को जोड़ दिया जाएगा. VPF का अलग से कोई अकाउंट ओपन नहीं होता. VPF के योगदान को हर साल संशोधित किया जा सकता है. हालांकि, VPF में निवेश को लेकर एम्प्लॉयर बाध्य नहीं है. कर्मचारी सिर्फ अपना योगदान ही बढ़ा सकता है.

VPF से जुड़ी खास बातें

अगर आप जॉब चेंज करते हैं तो इस अकाउंट को आसानी से ट्रांसफर कर सकते हैं. इस पर लोन भी मिलता है. बच्चों के एजुकेशन, होम लोन, बच्चों की शादी के लिए भी इससे लोन लिया जा सकता है. VPF खाते से रकम की आंशिक निकासी के लिए खाताधारक का 5 साल नौकरी करना जरूरी है. अगर 5 साल से कम है तो टैक्स कटता है. VPF की पूरी रकम केवल रिटायरमेंट पर ही निकाली जा सकती है. VPF पर आयकर कानून के सेक्शन 80C के तहत टैक्स डिडक्शन का फायदा मिलता है. निवेश, ब्याज और मैच्योरिटी (EEE) पर मिलने वाला पैसा पूरी तरह टैक्स फ्री है. ये स्कीम रिटायरमेंट (Retirement planning) के लिए काफी बढ़िया है. 

ELSS- इक्विटी लिंक्ड सेंविग्स स्कीम

देश में 42 म्यूचुअल फंड कंपनियां टैक्स सेविंग स्कीम चलाती हैं. हर कंपनी के पास इनकम टैक्स बचाने के लिए ELSS है. इसे ऑनलाइन या किसी एजेंट से खरीदा जा सकता है. इनकम टैक्स बचाने के लिए वन टाइम इन्वेस्टमेंट लिमिट न्यूनतम 5 हजार रुपए है और हर महीने निवेश करना है तो न्यूनतम 500 रुपए महीने का निवेश शुरू कर सकते हैं. इसमें 1.5 लाख रुपए की अधिकतम टैक्स छूट ली जा सकती है, लेकिन अधिकतम निवेश की कोई सीमा नहीं है. 

ब्याज नहीं, मिलता है मार्केट लिंक्ड रिटर्न

स्कीम में 3 साल के लिए लॉक-इन रहता है. बाद में निवेशक चाहे तो पैसा निकाल सकता है. 3 साल के बाद चाहें तो पूरा निकाला जा सकता है. आंशिक निकासी का भी ऑप्शन होता है. बाकी पैसा आप जब तक चाहें स्कीम में पड़ा रहने दे सकते हैं. ELSS की खास बात है कि इसमें निवेश पर ब्याज की जगह मार्केट लिंक्ड रिटर्न मिलता है.

Public Provident Fund- PPF

पब्लिक प्रोविडेंट फंड (PPF) इस स्कीम को बैंक या पोस्ट ऑफिस में कहीं भी खोला जा सकता है. किसी भी बैंक या पोस्ट ऑफिस में ट्रांसफर भी किया जा सकता है. इसे खोलने के लिए सिर्फ 500 रुपए काफी हैं. हर साल 500 रुपए एक बार में जमा करना जरूरी है. अकाउंट में हर साल अधिकतम 1.5 लाख रुपए जमा किए जा सकते हैं. यह स्कीम 15 साल के लिए है, जिससे बीच में पैसा नहीं निकला जा सकता है. लेकिन, इसे 15 साल के बाद 5-5 साल के लिए बढ़ाया जा सकता है.

मिलता है लोन और आंशिक निकासी की छूट

PPF को 15 साल के पहले बंद नहीं किया जा सकता है, लेकिन 3 साल बाद से इस अकाउंट के बदले लोन लिया जा सकता है. अगर कोई चाहे तो इस अकाउंट से 7वें साल से नियमों के तहत पैसा निकाल सकता है. ब्याज दरों की समीक्षा हर तिमाही पर होती है. ब्याज दरें कम या ज्यादा हो सकती है. फिलहाल 7.1 फीसदी ब्याज मिल रहा है. योजना में निवेश पर 80C के तहत 1.5 लाख रुपए तक टैक्स छूट का फायदा मिलता है. इनमें कोई भी व्यक्ति निवेश कर सकता है.

कहां करना चाहिए निवेश?

तीनों ऑप्शन में ही निवेश पर टैक्स छूट मिलने की सुविधा है. लेकिन, फिर भी तीनों अलग-अलग फायदे वाली स्कीम हैं. नौकरीपेशा हैं तो VPF में निवेश करना सही रहेगा. क्योंकि यहां से आपको PPF और ELSS की तुलना में ज्यादा ब्याज मिलेगा. वहीं, अगर आप थोड़ा रिस्क ले सकते हैं तो उनके लिए ELSS बेहतर विकल्प हैं. इसमें पैसा एसआईपी (SIP) के जरिए लगाना चाहिए, जिसमें हर महीने निवेश किया जाता है. इससे जहां निवेश पर रिस्क कम हो जाता है और अच्छा रिटर्न मिलने की संभावना बढ़ जाती है. वहीं, अगर आप मार्केट के रिस्क से दूर रहना चाहते हैं तो PPF में निवेश करना सही रहेगा.