Retirement planning: एन्युटी प्लान से सारी जिंदगी होगी इनकम, जानिए किसे इसमें पैसे लगाने चाहिए और किसे नहीं
एन्युटी प्लान (Annuity Plan) के तहत रिटायरमेंट के बाद आपको एक रेगुलर इनकम आती रहती है. कई लोग एन्युटी प्लान को लेकर कनफ्यूज रहते हैं. आइए जानते हैं एन्युटी प्लान के बारे में सब कुछ. यह किसके लिए फायदेमंद है और किसे इससे नुकसान होता है. साथ ही जानते हैं कि यह कितनी तरह का होता है.
एनपीएस (NPS) नया पेंशन सिस्टम है, जिसके तहत आपकी तरफ से निवेश किए गए पैसों को आप रिटायरमेंट (Retirement Planning) के बाद निकाल सकते हैं. 60 साल के बाद आपके पास जो रिटायरमेंट कॉर्पस जमा होगा, उसमें से आप 60 फीसदी निकाल सकते हैं, जबकि 40 फीसदी से आपको अनिवार्य तौर पर कोई पेंशन उत्पाद यानी एन्युटी प्लान (Annuity Plan) लेना होगा, जिसके तहत रिटायरमेंट के बाद आपको एक रेगुलर इनकम आती रहे. ऐसे में कई लोग एन्युटी प्लान को लेकर कनफ्यूज रहते हैं. आइए जानते हैं एन्युटी प्लान के बारे में सब कुछ. यह किसके लिए फायदेमंद है और किसे इससे नुकसान होता है. साथ ही जानते हैं कि यह कितनी तरह का होता है.
जानिए क्या होती है एन्युटी
एन्युटी एक इंश्योरेंस प्रोडक्ट है, जिसमें आपके और बीमा कंपनी के बीच एक तरह का कॉन्ट्रैक्ट होता है. इसमें व्यक्ति को एकमुश्त निवेश करना होता है. भविष्य में आपको इसके बदले मासिक, तिमाही या सालाना रूप से भुगतान किया जाता है. एन्युटी का इस्तेमाल रिटायरमेंट पोर्टफोलियो के हिस्से के तौर किया जाता है. इसमें जब तक आप जीवित रहते हैं, तब तक आपको निश्चित आय मिलती है. आपकी मृत्यु के बाद नॉमिनी राशि को लेने का अधिकारी होता है.
कितनी तरह की होती है एन्युटी
एन्युटी भी कई तरह की होती है. आइए जानते हैं इनके बारे में.
लाइफ एन्युटी
इसमें व्यक्ति को मृत्यु तक एन्युटी का भुगतान किया जाता है. भुगतान मासिक, तिमाही या वार्षिक किस रूप में हो, इसका विकल्प आप चुन सकते हैं.
पर्चेज प्राइस के रिटर्न के साथ लाइफ एन्युटी
इसमें पॉलिसीहोल्डर को उनकी मृत्यु तक एन्युटी का भुगतान मिलेगा. मृत्यु के बाद, एन्युटी खरीदने के लिए उन्होंने जो अमाउंट पे किया था, वह उनके नॉमिनी को रिटर्न किया जाता है.
गारंटीड पीरियड के लिए एन्युटी
इसमें पॉलिसी होल्डर की मृत्यु के बाद भी कुछ निश्चित सम तक के लिए एन्युटी का भुगतान किया जा सकता है. निश्चित समय पूरा होने के बाद एन्युटी मिलना भी बंद हो जाती है.
जॉइंट लाइफ एन्युटी
इसमें पॉलिसीधारक की मृत्यु के बाद आपके जीवनसाथी को उसके पूरे जीवनकाल तक एन्युटी का भुगतान किया जाता है.
परचेज प्राइस के रिटर्न साथ जॉइंट लाइफ एन्युटी
इन प्लान में पॉलिसीधारक की मृत्यु के बाद उसके जीवनसाथी को एन्युटी पूरे जीवनकाल तक मिलती है और उसकी भी मृत्यु हो जाने के बाद नॉमिनी को शुरू में इन्वेस्ट किया गया अमाउंट मिलता है.
किसे लेना चाहिए एन्युटी प्लान, क्या हैं फायदे?
एनपीएस में निवेश करने वालों को कम से कम 40 फीसदी एन्युटी प्लान में लगाने ही होते हैं. वहीं अगर आप इससे ज्यादा लगाना चाहें या बिना एनपीएस में निवेश किए ही एन्युटी प्लान लेना चाहते हैं तो आपको इसके फायदों के बारे में पता होना चाहिए.
- अगर आप बुढ़ापे में हर महीने कुछ इनकम पाते रहना चाहते हैं, भले ही उस पर मिलने वाला ब्याज कुछ कम ही क्यों ना हो, तो आपको एन्युटी प्लान लेना चाहिए. इससे आपको पैसों की चिंता नहीं होगी और हर महीने एक तय रकम आपको मिलती रहेगी.
- अगर आप पर कोई आश्रित ना हो तो आप एन्युटी प्लान ले सकते हैं. आश्रित ना होने का मतलब है कि आपके माता पिता या बच्चे आप पर निर्भर ना हों.
- अगर आप ये समझते हैं कि आपका पार्टनर (पति या पत्नी) फाइनेंस को मैनेज नहीं कर सकता है, तो आपको एन्युटी प्लान लेना चाहिए, ताकि हर महीने एक तय इनकम बनी रहे.
- अगर आपको लगता है कि आप खुद भी पैसों को ठीक से मैनेज नहीं कर पा रहे हैं तो आपको एन्युटी प्लान जरूर लेना चाहिए, ताकि रेगुलर इनकम बनी रहे.
- अगर आपको लगता है कि आने वाले दिनों में ब्याज दरें गिर सकती हैं, तो भी आपको एन्युटी प्लान ले लेना चाहिए. हालांकि, ब्याज दरें अगर गिरती हैं तो वह कुछ सालों में बढ़ती भी हैं. एन्युटी प्लान लेने से आपको फायदा यही होगा कि हर महीने इनकम बनी रहेगी.
एन्युटी प्लान लेने के नुकसान भी जान लीजिए
ऐसा नहीं है कि एन्युटी प्लान के सिर्फ फायदे हैं. इसके कई नुकसान भी हैं, जो आपको पता होने चाहिए.
- इसका सबसे बड़ा नुकसान तो यही है कि एन्युटी से होने वाली इनकम पर टैक्स छूट नहीं मिलती है. यानी इस पर ठीक वैसे ही टैक्स कटता है, जैसे आपकी सैलरी पर कटता है. आप जिस भी स्लैब में आएंगे, आप पर उसी के हिसाब से टैक्स लगेगा.
- एन्युटी से महंगाई को नहीं हराया जा सकता है. आपको हर साल हर महीने एक निश्चित आय मिलती है. यानी जितने पैसे आपको आज मिल रहे हैं. 10-15 साल या 20 साल बाद भी उतने ही मिलेंगे. जिस तरह आपको हर साल सैलरी में हाइक मिलती रहती है, वैसा इसमें नहीं होगा. इस तरह हर साल आपके पैसे जरूरतों के हिसाब इफेक्टिव रूप से कम होते चले जाएंगे.