कहा जाता है कि समझदार व्‍यक्ति वही है जो नौकरी के साथ ही अपने रिटायरमेंट की प्‍लानिंग भी शुरू कर दे. आज के समय में निवेश के तमाम साधन मौजूद हैं. लेकिन अगर आप प्राइवेट सेक्‍टर में नौकरी करते हैं और हर महीने EPFO में कॉन्‍ट्रीब्‍यूट करते हैं तो आपके पास एक ऐसा ऑप्‍शन है जिससे आप EPFO में अपना योगदान बढ़ा सकते हैं और रिटायरमेंट तक मोटा फंड खुद के लिए जमा कर सकते हैं. ईपीएफओ में 8.25% के हिसाब से ब्‍याज दिया जा रहा है. ज्‍यादा कॉन्‍ट्रीब्‍यूशन पर ज्‍यादा ब्‍याज दरों का फायदा लेकर आप बुढ़ापे के लिए बहुत अच्‍छा-खासा फंड जोड़ सकते हैं. यहां जानिए आपको क्‍या करना होगा-

VPF के जरिए बढ़ाना होगा निवेश

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मोटा रिटायरमेंट फंड तैयार करने के लिए EPFO के तहत आप वॉलेंटरी प्रोविडेंट फंड (Voluntary Provident Fund- VPF) का ऑप्‍शन चुनना होगा. नौकरीपेशा के लिए ये निवेश के बेहतर विकल्‍पों में से एक है. समझिए कैसे-  ईपीएफओ के नियम के मुताबिक हर महीने आपकी बेसिक सैलरी और महंगाई भत्ते (DA) का 12 फीसदी अमाउंट कटकर पीएफ अकाउंट में जाता है. इतनी ही रकम एम्‍प्‍लॉयर की ओर से जमा की जाती है. लेकिन अगर कर्मचारी 12% से ज्‍यादा कॉन्‍ट्रीब्‍यूशन पीएफ अकाउंट में करना चाहते हैं तो उसके लिए वीपीएफ की मदद लेनी होती है. VPF में सैलरी कटाने की कोई सीमा तय नहीं होती. कर्मचारी चाहे तो बेसिक सैलरी का 100 फीसदी तक योगदान भी कर सकता है.

कितना मिलता है रिटर्न

VPF पर सरकार आपको EPF अकाउंट पर मिलने वाले ब्‍याज के बराबर ही ब्याज देती है और टैक्स छूट की सुविधा भी EPF की तरह ही देती है. वर्तमान में ईपीएफ पर ब्‍याज दर 8.25% है, जो कि एफडी, सुकन्‍या समृद्धि योजना, पीपीएफ आदि किसी अन्‍य सेविंग्‍स स्‍कीम से कहीं बेहतर है. बेहतर है कि अपनी सैलरी को किसी अन्‍य सेविंग्‍स स्‍कीम में निवेश करने की बजाय आप वीपीएफ में निवेश करें. तगड़े रिटर्न के साथ वीपीएफ के जरिए आप मोटी राशि इकट्ठी कर सकते हैं और बुढ़ापा सिक्‍योर कर सकते हैं.

टैक्‍स में छूट

वीपीएफ में निवेश करने पर इसके ब्याज और निकासी की रकम पर टैक्स नहीं देना पड़ता. इसलिए इसे Exempt-Exempt-Exempt (E-E-E) श्रेणी का निवेश माना जाता है. इसमें आयकर कानून के सेक्शन 80C के तहत टैक्स छूट का फायदा मिलता है. इस फंड में आप एक वित्त वर्ष में 1.50 लाख रुपए तक की टैक्स छूट के लिए दावा कर सकते हैं. इसका लॉक इन पीरियड 5 साल का है. 5 साल की नौकरी पूरी होने के बाद किए जाने वाले विदड्रॉअल पर कोई टैक्स नहीं कटता है. हालांकि इससे पहले VPF निकालने पर, आपको उस पर अपने टैक्स स्लैब के हिसाब से टैक्स चुकाना होगा.

निकासी के नियम

वीपीएफ फंड की निकासी के लिए भी वही नियम हैं जो ईपीएफ फंड के लिए बनाए गए हैं. वीपीएफ फंड की पूरी रकम की निकासी आप रिटायरमेंट के बाद ही कर सकते हैं. 5 साल बाद जब इसका लॉक इन पीरियड खत्‍म होता है, तब आप इससे आंशिक धनराशि निकाल सकते हैं. इसके लिए ऑनलाइन क्‍लेम किया जा सकता है.

अकाउंट हो सकता है ट्रांसफर

प्राइवेट सेक्‍टर के लोग अक्‍सर अपनी ग्रोथ के लिए समय-समय पर नौकरी बदलते हैं. ऐसे में आपको किसी तरह की फिक्र करने की जरूरत नहीं है क्‍योंकि वीपीएफ अकाउंट को भी ईपीएफ की तरह से ट्रांसफर किया जा सकता है. एक बार VPF का विकल्प चुनने के बाद, कम से कम 5 साल तक उसमें पैसा जमा करना अनिवार्य है.

कैसे करें निवेश 

अगर आप भी वीपीएफ में निवेश करने में रुचि रखते हैं तो आपको अपनी कंपनी के HR से मिलकर उसे ये बताना होगा कि आप पीएफ में अपने निवेश को बढ़ाना चाहते हैं.  HR की मदद से आप अपना वीपीएफ अकाउंट भी ईपीएफ के साथ-साथ खोल सकते हैं. आपको अपनी सैलरी का कितना योगदान बढ़ाना है, इसके बारे में आपको एक फॉर्म भरकर HR को देना होगा. इसके बाद EPF Account के साथ आपके VPF अकाउंट की प्र​क्रिया पूरी की जाएगी. इस प्रक्रिया पूरी होने के बाद आप वीपीएफ में अपनी Salary से पैसा कटवाना चालू कर सकते हैं.