रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने चेक क्‍लीयरेंस (Cheque Clearance) में तेजी लाने के लिए कदम उठाया है. शीर्ष बैंक ने कहा कि वह देशभर में चेक क्‍लीयरेंस की नई व्यवस्था सितंबर 2020 से लागू करेगा. इस व्यवस्था के तहत संबंधित बैंक को चेक वास्तविक रूप से भेजने के बजाए इलेक्ट्रानिक रूप से उसकी तस्वीर भेजी जाती है. RBI ने यह व्यवस्था 2010 में शुरू की थी. फिलहाल यह कुछ बड़े शहरों में ही परिचालन में है.

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केंद्रीय बैंक के बयान के मुताबिक, ‘‘CTS फिलहाल कुछ बड़े शहरों के क्‍लीयरेंस हाउस में काम कर रहा है. यह प्रणाली सही तरीके से काम कर रही है और इसमें दक्षता आई है. इसको देखते हुए पूरे देश में CTS प्रणाली सितंबर 2020 से लागू होगी.’’ 

इस प्रणाली के तहत चेक भेजे जाने के बजाए, उसकी तस्वीर इलेक्ट्रानिक रूप से संबंधित बैंक को भेजी जाती है. इससे चेक क्‍लीयरेंस में समय कम लगता है और प्रक्रिया में तेजी आती है. RBI ने कहा कि भारत में डिजिटल भुगतान तेजी से बढ़ रहा है और जल्दी ही डिजिटल भुगतान सूचकांक (DPI) जारी करेगा.

शीर्ष बैंक ने कहा कि वह रिजर्व बैंक नियमित अवधि पर DPI तैयार करेगा और उसे प्रकाशित करेगा ताकि प्रभावी तरीके से भुगतान में डिजिटलीकरण का पता लगाया जा सके. डीपीआई विभिन्न मानदंडों पर आधारित होगा और डिजिटल भुगतान के विभिन्न माध्यमों की पहुंच को सही तरीके से प्रतिबिंबित करेगा. डीपीआई जुलाई 2020 से उपलब्ध होगा.

रिजर्व बैंक ने कहा कि डिजिटल भुगतान में उल्लेखनीय बढ़ोतरी और भुगतान परिवेश में इकाइयों के मैच्‍योरिटी होने के साथ के साथ अब स्व-नियमन संगठन (SRO) की जरूरत है ताकि भुगतान व्यवस्था में इकाइयों का परिचालन व्यवस्थित तरीके से हो सके. 

केंद्रीय बैंक डिजिटल भुगतान प्रणाली को लेकर एसआरओ के लिये अप्रैल 2020 तक रूपरेखा लाएगा. इस पहल का मकसद सुरक्षा, ग्राहकों के संरक्षण, कीमत समेत अन्य मामलों में बेहतर गतिविधियों को अपानाना है.