PPF में निवेश के पहले जान लें ये 5 बड़े Drawbacks, वरना बाद में हो सकता है पछतावा
PPF सबसे पॉपुलर स्कीम्स में से एक हैं. अगर आप बगैर रिस्क अच्छा पैसा जोड़ना चाहते हैं तो पीपीएफ के जरिए ऐसा कर सकते हैं. लेकिन पीपीएफ के कुछ ड्रॉबैक्स भी हैं, जिन पर आमतौर पर लोग बात नहीं करते. यहां जानिए इसके बारे में.
पीपीएफ यानी पब्लिक प्रोविडेंट फंड एक सरकारी स्कीम है. अगर आप लंबे समय के लिए पैसा निवेश करना चाहते हैं और निवेश के मामले में किसी तरह का जोखिम नहीं लेना चाहते तो ये स्कीम आपके लिए बहुत अच्छी साबित हो सकती है. इस स्कीम में 500 रुपए से लेकर अधिकतम 1.5 लाख रुपए तक जमा किए जा सकते हैं. पीपीएफ में 15 साल के लिए निवेश किया जाता है. मौजूदा समय में इस पर 7.1 फीसदी के हिसाब से ब्याज मिल रहा है. PPF को इनकम टैक्स बचाने के लिहाज से भी काफी अच्छी स्कीम माना जाता है. EEE कैटेगरी में आने के कारण इस स्कीम में इन्वेस्टमेंट, इंट्रस्ट/रिटर्न और मैच्योरिटी तीनों में टैक्स की बचत होती है. इन सब फायदों के अलावा पीपीएफ के कुछ ड्रॉबैक्स भी हैं, जिन पर आमतौर पर लोग बात नहीं करते. यहां जानिए इसके बारे में.
एक से ज्यादा अकाउंट नहीं खोल सकते
तमाम स्कीम्स की तरह पीपीएफ में आपको एक से ज्यादा अकाउंट खोलने की सुविधा नहीं मिलती. अगर गलती से आपके 2 पीपीएफ खाते खोले जा चुके हैं तो दूसरे अकाउंट को वैध अकाउंट नहीं माना जाएगा. जब तक दोनों खातों को मर्ज नहीं किया जाता, तब तक उस पर ब्याज भी नहीं मिलेगा.
लंबे समय से नहीं बदली ब्याज दर
पीपीएफ की ब्याज दर की बात करें तो समय के साथ इसकी ब्याज दर भी प्रभावित होती रहती है. अप्रैल 2019 से जून 2019 तक इसकी ब्याज दर 8 प्रतिशत थी, इसके बाद इसे घटाकर 7.9 फीसदी किया गया और फिर जनवरी-मार्च, 2020 में इसे 7.1 प्रतिशत कर दिया गया. तब से अब तक ये ब्याज दर 7.1 फीसदी पर ही बरकरार है. अगर आने वाले समय में ये ब्याज दर और कम हो जाती है, तो लोगों के पास इससे बेहतर रिटर्न देने वाले तमाम विकल्प मौजूद होंगे.
इन्वेस्टमेंट की अधिकतम लिमिट
पीपीएफ में इन्वेस्टमेंट की अधिकतम लिमिट 1.5 लाख रुपए सालाना है. अगर आपकी सैलरी काफी अच्छी है और आप इस स्कीम में ज्यादा इन्वेस्टमेंट करना चाहते हैं, तो ऐसा नहीं कर सकते. ऐसे में आपको निवेश के दूसरे ऑप्शन तलाशने पड़ते हैं.
जॉइंट अकाउंट का ऑप्शन नहीं
दूसरी तमाम स्कीम्स में आपको जॉइंट अकाउंट ओपन करने की सुविधा मिल जाती है, लेकिन पीपीएफ में ये सुविधा मौजूद नहीं है. हालांकि आप इसमें कई नॉमिनी जरूर बना सकते हैं और उनके अलग-अलग हिस्से भी तय कर सकते हैं. अगर अकाउंट होल्डर की किसी कारणवश मृत्यु हो जाती है तो नॉमिनी को वो रकम निकालने का अधिकार होता है.
लंबा लॉक-इन पीरियड
PPF में निवेश का लॉक-इन पीरियड 15 साल है, जो कि काफी लंबा है. अगर आपको बीच में कभी फंड की जरूरत होती है, तो 5 साल बाद कुछ विशेष परिस्थितियों में आप आंशिक निकासी तो कर सकते हैं. लेकिन आपको पूरी रकम निकालने की परमीशन नहीं मिलती.