Postal Export Center: छोटे कारोबारियों की मदद करेगा डाक घर, निर्यात में होगी बढ़ोतरी, इन शहरों में मिलेगी सुविधा
Postal Export Center: भारतीय डाक के डाक निर्यात केंद्र (डीएनके) निर्यात बढ़ाने में छोटे और मझोले उद्यमियों की मदद कर रहे हैं. यह सुविधा कई शहरों में शुरु की गई है.
Postal Export Center: अब छोटे कारोबारियों को चिंता करने की कोई जरुरत नहीं है. उनकी मदद के लिए भारतीय डाक विभाग आगे आया है. दरअसल, भारतीय डाक के डाक निर्यात केंद्र (डीएनके) अब निर्यात बढ़ाने में छोटे और मझोले उद्यमियों की मदद कर रहे हैं. भारतीय डाक ने अब तक यह सुविधा उत्तर प्रदेश के नौ शहरों – लखनऊ, वाराणसी, पीलीभीत, इलाहाबाद, नोएडा, सहारनपुर, नगीना (बिजनौर), महोबा और गाजीपुर में शुरू की है. सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) के वाणिज्यिक निर्यात के लिए बनायी गयी इस सेवा ने उत्तर प्रदेश सरकार की एक जिला-एक उत्पाद (ओडीओपी) योजना के तहत संचालित व्यवसाय सहित छोटे उद्यमियों के कारोबार और कमाई को बढ़ावा दिया है.
छोटे कारोबारियों की होगी मदद
पूर्वी उत्तर प्रदेश के प्रयागराज और वाराणसी में डीएनके को स्थानीय व्यवसायों से अनुकूल प्रतिक्रिया मिली है. प्रयागराज में तीसरी पीढ़ी के कालीन निर्माता रविंद्र कुमार के लिए यह योजना वरदान साबित हुई, जबकि वह कोरोना महामारी के दौर में बुरी तरह से प्रभावित हुए अपने कारोबार को बंद करने के कगार पर थे. कुमार ने कहा, ‘उस समय अमेरिका और यूरोप के बाजारों में निर्यात करना ही एकमात्र विकल्प था, लेकिन निजी माध्यम से निर्यात के लिए आने वाली लागत अधिक थी और प्रक्रिया बोझिल थी. डीएनके ने हमारे लिए इस समस्या का समाधान किया है.’
पूरी प्रक्रिया की होती है ऑनलाइन निगरानी
रविन्द्र कुमार अब स्थानीय डीएनके से वाणिज्यिक निर्यात के लिए अपने कालीन बुक करते हैं. बाकी प्रक्रिया पूरी होने के बाद निर्यात किए जाने से पहले कालीनों को दिल्ली में भारतीय डाक के विदेशी डाकघर (एफपीओ) में ले जाया जाता है. इस प्रक्रिया के दौरान कुमार को किसी कार्यालय में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ती है और वह पूरी प्रक्रिया की ऑनलाइन निगरानी करते हैं.
ऑनलाइन सुलझाये जाती है समस्या
डाक अधिकारियों का कहना है कि केंद्रीय संचार और रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव की सक्रिय भागीदारी के साथ यह परियोजना छोटे व्यवसायों के लिए एक सशक्त उपकरण बन गई है. लखनऊ मुख्यालय के पोस्टमास्टर जनरल विवेक कुमार दक्ष ने बताया, ‘विदेशी डाकघर सीमा शुल्क विभाग से जुड़े हुए हैं, जो उत्पादों की कस्टम क्लीयरेंस की प्रक्रिया को सरल करते हैं. सीमा शुल्क के साथ कोई समस्या होने पर उस मामले को ऑनलाइन सुलझाया जाता है. कारोबारी उसे ऑनलाइन देखकर उसका समाधान कर सकते हैं.’
दूरदराज में रहने वालों को नहीं होती परेशानी
उन्होंने कहा, ‘इससे पहले, निर्यातकों को पीबीई (निर्यात का पोस्टल बिल) फाइल करने के लिए सीमित एफपीओ में विदेशी डाकघरों का दौरा करना पड़ता था, जो दूरदराज में रहने वाले लोगों के लिए मुश्किल था. डिजिटल समाधान के साथ निर्यातक पीबीई ऑनलाइन फाइल कर सकते हैं, जिससे समय और लागत की बचत होती है.’इस प्रणाली ने निजी निर्यातकों और कस्टम एजेंटों की भूमिका कम करने में भी मदद की है, जो बिचौलियों की भूमिका निभाते थे और छोटे व्यवसायों के मुनाफे का बड़ा हिस्सा खाते थे.