इस समय कई छात्र विदेश में पढ़ने जाने की तैयारी कर रहे हैं. यह एक ऐसा महत्वपूर्ण फैसला है, जो उनके पूरे जीवन को प्रभावित करेगा. प्रचलनों से पता चलता है कि उच्च शिक्षा के लिए विदेश जानेवाले भारतीय छात्रों की संख्या बढ़ रही है, खासतौर से ऑस्ट्रेलिया जानेवाले छात्रों की. कई बार देखा गया है कि मोटे खर्च वाले इस फैसले में कई गलतियां हो जाती हैं जिसका असर छात्र और उसके माता-पिता पर आर्थिक नुकसान भी झेलना पड़ता है. 

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पूरी तैयारी करें और बेसिक रिसर्च करना बहुत जरूरी है. लेकिन बहुत ज्यादा जानकारी से भी फैसला लेना कठिन हो जाता है. इसलिए अपने विषय का चयन, कहां जाना है इसका चयन, क्या आपकी योग्यता है और आखिरकार क्या आपने फीस भरने के लिए वित्त का इंतजाम कर लिया है. यह पहले तय कर लें. भारतीय रुपये की ऑस्ट्रेलियाई डॉलर से विनिमय दर को देखते हुए ऑस्ट्रेलिया में पढ़ाई करना अमेरिका और ब्रिटेन में पढ़ाई करने की तुलना में सस्ता है.

आवेदन करने से पहले ये जान लें

अगर आप कंसल्टेंट के माध्यम से जा रहे हैं, तो पता करें कि कौन सा एजेंट आपके द्वारा चुने गए विश्वविद्यालय के पैनल में है. उदाहरण के लिए प्रसिद्ध विश्वविद्यालय यूनिवर्सिटी ऑफ न्यू साउथ वेल्स (यूएनएसडब्ल्यू) के पैनल में केवल 12 पंजीकृत भारतीय शैक्षणिक भागीदार हैं. ये सूची विश्वविद्यालय की वेबसाइट पर होती है. दूसरी बात पैनल के एंजेट छात्रों से अनाप-शनाप फीस नहीं वसूलते हैं और केवल वाजिब कीमत ही लेते हैं.

 

खुद को नए तरीके से सोचने के लिए तैयार करें

कई बार हमारे माता-पिता और हम खुद अनिश्चितता को लेकर चिंतिंत होते हैं कि पहली बार विदेश जा रहे हैं. वहां कैसे रहेंगे? वहां की संस्कृति कैसी होगी? क्या उसे पढ़ने या रहने में कोई परेशानी तो नहीं होगी? इसलिए यह जरूरी है कि जब आप विदेश में पढ़ने का फैसला लें तो अन्य संस्कृतियों के प्रति उदार रवैया अपनाएं. अपने दिमाग को नई चीजें देखने और सीखने तथा नए तरीके से सोचने के लिए तैयार करें.

जुनून के साथ पढ़ाई करें

हम हर रोज नया कुछ सीख सकते हैं, अगर हम अपना दिमाग खुला रखें. रोजगार इससे नहीं मिलता कि हमने कितनी किताबें पढ़ी हैं या हमने कितना ज्ञान हासिल किया है, बल्कि इससे मिलता है कि बाहरी वातावरण में हम कैसे उसका इस्तेमाल कर सकते हैं. नियोक्ता यही देखते हैं कि व्यक्ति ऐसा हो, जो टीम में काम कर सके, जो फैसले ले सके और जो समस्याओं का अनुमान लगा सके और उसका समाधान कर सके. अच्छे शैक्षणिक संस्थान इन बातों को संज्ञान में लेते हैं और अपने अध्यापन में इसे शामिल करते हैं. यही कारण है कि वे अच्छे संस्थान में गिने जाते हैं.

(इनपुट एजेंसी से)