बचपन से बच्‍चों को पैसे बचाने की आदत डलवाई जाती है और इसके लिए सबसे अच्‍छा जरिया होता है गुल्‍लक. आज बेशक बाजार में कई तरह की गुल्‍लक बिकने लगी हैं, लेकिन एक समय था, जब बच्‍चों के पास Pig के आकार का गुल्‍लक होता था और इसे पिग्‍गी बैंक कहा जाता था. आपने भी कभी न कभी पिग्‍गी बैंक का इस्‍तेमाल किया ही होगा. लेकिन आपने क्‍या कभी ये सोचा कि आखिर गुल्‍लक को पिग का आकार क्‍यों दिया गया. गुल्‍लक और Pig का आपस में क्‍या संबन्‍ध है और आखिर ये पिग्‍गी बैंक का कॉन्‍सेप्‍ट कहां से आया है? आइए आपको बताते हैं.

15वीं शताब्‍दी में आया था PYGG बैंक का चलन

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कहा जाता है कि पिग्‍गी बैंक का चलन 15वीं शताब्‍दी से शुरू हुआ था. उस समय धातु और शीशे के बर्तन इस्‍तेमाल कर पाना बहुत महंगा पड़ता था, इसलिए लोग बर्तन बनाने के लिए नारंगी रंग की चिकनी मिट्टी का इस्‍तेमाल करते थे. इस मिट्टी को PYGG कहा जाता था. उस समय पैसे बचाने या रखने के लिए PYGG से बने बर्तनों का ही इस्‍तेमाल होता था. इन्‍हें PYGGY बैंक या PYGGY जार कहा जाता था. लंबे समय तक  PYGG का इस्‍तेमाल ऐसे ही जारी रहा.

19वीं सदी तक बच्‍चे भी करने लगे थे इस्‍तेमाल

उस समय में PYGG बैंक को पूरी तरह से कवर होते थे, सिर्फ उसमें पैसे डालने भर की जगह छोड़ी जाती थी. जरूरत के वक्‍त इस PYGG बैंक को तोड़कर पैसे निकालने पड़ते थे. समय के साथ धीरे-धीरे धातु के बर्तन चलन में आने लगे. 19वीं सदी तक आते-आते धातु के बर्तन चलन में आ चुके थे. लेकिन PYGG बैंक का चलन अब भी कायम था. बड़े लोगों के साथ-साथ बच्‍चे भी बचत के तौर पर इसका इस्‍तेमाल करने लगे थे. 

बच्‍चों के लिए आकर्षक बनाने के लिए Pig के आकार की गुल्‍लक बनी

19वीं सदी में इंग्लैंड में कुम्हारों ने इस PYGG बैंक को आकर्षक और बच्‍चों के लिए लुभावना बनाने के लिए इसे Pig के आकार में बनाना शुरू कर दिया क्‍योंकि PYGGY और  Pig शब्‍द आपस में मिलते-जुलते थे. उनका ये प्रयोग काम कर गया और सुअर के आकार का पिग्‍गी बैंक काफी पसंद किया जाने लगा और इसकी मांग तेजी से बढ़ने लगी. तब से अब तक गुल्‍लक को लेकर कई प्रयोग किए गए, इसके कई तरह के आकार भी बदले और ताले चाभी वाली गुल्‍लकों का इस्‍तेमाल शुरू हो गया, लेकिन आज भी इस गुल्‍लक को बच्‍चों के बीच पिग्‍गी बैंक ही कहा जाता है. साथ ही पिग के आकार की गोल मटोल गुल्‍लक आज भी प्रचलित है.

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