ऑपरेशन हफ्ता वसूली. ज़ी बिज़नेस का वो स्टिंग ऑपरेशन जिसने छोटे लोन देने वाली डिजिटल कंपनियों का कच्चा चिट्ठा खोल कर रख दिया. लोन रिकवरी के लिए लोगों को डराना-धमकाना, टेंशन, लड़िकियों से गाली-गलौच, और मां-बाप से बदसलूकी यानि इतना ज्यादा टॉर्चर कि लोग सुसाइड के लिए मजबूर हो गए. आपसे वादा किया था हमने कि इनका टॉर्चर खत्म नहीं हुआ तो फिर लौट कर आएंगे. लीजिए हाजिर हैं हम आपके सामने एक और बहुत बड़ा खुलासा करने के लिए. 

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हमने ऑपरेशन हफ्ता वसूली का पहला शो किया फिर दूसरा किया. RBI ने एक्शन भी लिया, गाइडलाइंस बनाई और निर्देश जारी किए और कुछ हद तक इनकी बद्तमीजी कम भी हुई. लेकिन, जब इन कंपनियों की बदसलूकी पूरी तरह खत्म नहीं हुई, तो एक बात दिमाग में आई कि ये हमारी सभ्यता तो नहीं है. तो कौन हैं ये लोग, जो इस तरह से टॉर्चर कर रहे हैं. फिर शुरु की हमने इन कंपनियों की पड़ताल और जो सच सामने आया उसे सुनकर आप हैरान रह जाएंगे. जी हां... हिंदुस्तान के लोगों को लूटने की ये साजिश चीन की है. हमारे स्टिंग ऑपरेशन के बाद कम हुई हैं शिकायतें, लेकिन हमारा मकसद कम कराना नहीं. खत्म कराना है... अब भी क्या-क्या दिक्कते लोगों को आ रही हैं...

क्या-क्या हैं परेशानियां?

10-15% प्रोसेसिंग फीस (5000 के लोन पर 1500 से 2000 तक की फीस)

36% तक की ऊंची ब्याज दरें

30-60% प्रति माह की भारी-भरकम पेनाल्टी (लेट पेमेंट पर 2% DAILY, कहीं-कहीं तो हर घंटे 2% की पेनाल्टी)

लोन रिकवरी का गलत तरीका

1- लोगों के साथ गाली-गलौच, बदसलूकी

2- FIR की धमकी

3- घर पर पुलिस भेजने की धमकी

4- पैन-कार्ड, आधार कार्ड ब्लॉक करने की धमकी

5- क्रेडिट स्कोर खराब करने की धमकी

6- RBI, CBI की फर्जी चिट्ठी भेजकर धमकी

7- स्टाम्प पेपर पर जाली नोटिस

8- घर पर गुंडे भेजने की धमकी

डाटा हैकिंग (ना सिर्फ CONTACT LIST बल्कि पूरे मोबाइल में घुस जाते हैं)

1- डाटा हैक करके रिश्तेदारों, दोस्तों को फोन करके की धमकी

2- रिश्तेदारों, दोस्तों को डिफॉल्टर होने के मैसेज

ज़ी बिज़नेस ने 52 डिजिटल कंपनियों की पड़ताल की और तब समझ आया कि कैसे चीन हमारे देश के लोगों पर टॉर्चर कर रहा है.

डिजिटल लोन कंपनियों की ज़ी बिज़नेस ने की पड़ताल

  • 52 में से 22 डिजिटल लोन कंपनियों में विदेशी निवेश.
  • 11 कंपनियों में विदेशी निवेशकों की लगभग 99% से ज्यादा हिस्सेदारी.
  • कम से कम 14 कंपनियों में चीनी निवेशकों का पैसा.
  • चीनी निवेशकों का ज्यादातर निवेश सिंगापुर की कंपनियों से आया.
  • हांगकांग, ब्रिटिश वर्जिन आइलैंड, केमैन आईलैंड और अमेरिका से भी आया निवेश.

तो फिर हमने सोचा कि हिंदुस्तानियों को लूटने वाली कंपनियां हैं कौन... इनकी जांच की जाए. इन 52 कंपनियों की पड़ताल में जो बातें निकल कर आईं वो मैं एक-एक करके आपके सामने रखते हैं.

ज़ी बिज़नेस की जांच में क्या मिला?

  • गूगल प्ले स्टोर पर मौजूद लोन ऐप्स की पूरी जानकारी नहीं.
  • कई कंपनियों के ई-मेल, मोबाइल नंबर भी नहीं.
  • कंपनी के मैनेजमेंट, मालिक का अता-पता नहीं.
  • ज्यादातर कंपनियों की शेयरहोल्डिंग की जानकारी MCA और सरकारी वेबसाइट पर नहीं.
  • फाइनेंस कंपनियों के तौर पर लोन देने का लाइसेंस है या नहीं, इसकी जानकारी नहीं.
  • RBI में इनके रजिस्ट्रेशन की कोई जानकारी नहीं.
  • ज्यादातर कंपनियां भारत में 2018, 2019 के बाद खोली गई.

ज़ी बिज़नेस के 10 बड़े सवाल

1.पता या फोन नंबर उपलब्ध नहीं, कौन है ये रहस्यमयी कंपनियां?

2. इन कंपनियों को कौन चला रहा है?

3. सरकारी वेबसाइट पर शेयरहोल्डिंग का कोई रिकॉर्ड क्यों नहीं?

4. इन कंपनियों और ऐप्स का रेगुलेटर कौन है?

5. ऐप्स की निगरानी की कोई व्यवस्था क्यों नहीं?

6. विदेशी निवेशकों की 90% से ज्यादा हिस्सेदारी क्यों?

7. पहचान छुपाने के लिए सिंगापुर, मॉरीशस, वर्जिन आइलैंड, केमैन आईलैंड का सहारा क्यों?

8. डिजिटल लोन कंपनियों का है चीन से कनेक्शन?

9. 2018-2019 में ऐसा क्या हुआ कि ये कंपनियां भारत में पैर फैलाने लगीं?

10.चीन में लगा बैन, तो फिर भारत में एंट्री क्यों और कैसे?

अब आपको बताते हैं कि कैसे इन डिजिटल लोन कंपनियों का कनेक्शन चीन से है, कैसे इनका पैसा हमारे देश में आता है.

डिजिटल लोन कंपनियों का चाइनीज कनेक्शन

  • भारत में 170 से ज्यादा चीनी डिजिटल लोन कंपनियां: सूत्र
  • 2018, 2019 के बाद 100 से ज्यादा चीनी डिजिटल लोन कंपनियां आईं.
  • कुछ कंपनियों में चीन का सीधा निवेश.
  • ज्यादातर कंपनियों में दूसरे देशों से घुमाकर आया चीनी निवेशकों का पैसा.

सवाल ये भी उठता है कि चीनी कंपनियां भारत में आई ही क्यों...ये कंपनियां मास्टर माइंड हैं...

भारत में क्यों फैली चीनी डिजिटल कंपनियां?

  • जून 2018 में चीन में सरकार ने सख्ती बढ़ाई (चीन में Same Business Model).
  • चीन की सरकार ने भारी ब्याज दरों पर लगाम लगाई.
  • सख्ती के बाद कंपनियों ने दूसरे देशों का रुख किया.
  • शुरुआत में भारतीय कंपनियों में विदेश से घुमा-फिराकर निवेश किया.
  • बाद में कई चीनी कंपनियों ने भारत में सीधे कारोबार शुरु किया.
  • इन्होंने भारतीय कंपनियों को भी बिगाड़ दिया.

कौनसी वो 11 कंपनियां है जो 2018-2019 के बाद बनीं...

2018- 2019 के बाद बनी कंपनियां

  • Rupee Plus
  • Rupee Fast
  • Cash Papa
  • Go Cash
  • Loan Pro
  • Cash Tap
  • Crazy Rupee
  • Rupee Cash
  • i Credit
  • WeRupee 
  • RupeeBus

बिहार के एक ही पते पर 4 कंपनियां

  • NH31, लाइन बाजार, पूर्णिया (बिहार), 854301
  • Loan Raja 
  • Cash Credit 
  • Credit King 
  • King Cash Loan

11 कंपनियों में 98% से ज्यादा विदेशी निवेश

98% से ज्यादा विदेशी निवेश

  • Cashbean
  • Zestmoney
  • Moneytap
  • Smart Coin
  • Cashmama
  • Money View
  • True Balance
  • Flexi Salary
  • Mi Credit
  • StashFin
  • WeCash

अब मैं जो आपको 9 ऐसे डिजिटल लोन कंपनियों के बारे में बताने जा रहा हूं जिनमें सीधा-सीधा चीन का पैसा है...और ये डाटा हमने MCA की वेबसाइट से लिया है...

डिजिटल लोन कंपनियों का चाइनीज कनेक्शन

Mi Credit 

पैरेंट कंपनी: Xiaomi फाइनेंशियल सर्विसेज   

प्रमुख शेयरहोल्डिंग:    99.99% Xiaomi Finance HK Limited, Hong Kong 

WeCash

पैरेंट कंपनी:  We Cash, चीन

सिंगापुर की अबेकस (एशिया पैसिफिक) प्राइवेट की 99.99% शेयरहोल्डिंग

Wifi Cash 

पैरेंट कंपनी: चड्ढा फाइनेंस लिमिटेड, भारत 

चीनी निवेशक Panyun Technologies की 25% शेयरहोल्डिंग 

बोर्ड में डायरेक्टर: Wang Meng, Panyun Technologies  

Moneed 

पैरेंट कंपनी: Moneed Technologies

बोर्ड में डायरेक्टर: Xiaolilang Xu, Wenxi Wang, मनप्रीत सिंह

LendingAdda

पैरेंट कंपनी: Qihoo India Private Limited, भारत  

प्रमुख शेयरहोल्डिंग: 360 फाइनेंस 

प्रोमोटर:  360 ग्रुप,  चीन की बड़ी इंटरनेट कंपनी 

Lend Karo

पैरेंट कंपनी: हेक्टर लेंडकरो इंडिया

विदेशी निवेशक: BOLT EVER PTE LIMITED, सिंगापुर

एक बेनिफिशियल ओनर: Youngguang Kuang, चीनी नागरिक  

Credime

पैरेंट कंपनी: Credime E-services

प्रमुख शेयरहोल्डिंग: Coral Sea Limited, Hong Kong

2019 में बनी कंपनी, सरकारी वेबसाइट पर शेयरहोल्डिंग का ब्यौरा नहीं

UCash

पैरेंट कंपनी: TGHY Trustrock Private Limited 

शेयरहोल्डिंग: Jianqiu Zhuang, 59.90 लाख शेयर, चीनी नागरिक 

2019 में बनी कंपनी, सरकारी वेबसाइट पर शेयरहोल्डिंग का ब्यौरा नहीं 

Loan Front

प्रमुख शेयरहोल्डिंग: 71.50%, Cap Front Technologies, भारत 

विदेशी निवेश: 28.50% हिस्सेदारी, Ting Hiu Tuan   

सब्सिडियरी रेनबो इनोवेशन में बेनिफिशियल ओनर Xinyue Yin, चीनी नागिरक  

कंपनियां जिनकी पर्याप्त जानकारी नहीं

  • 8 कंपनियों की MCA पर किसी तरह की कोई जानकारी नहीं
  • 16 कंपियों की MCA पर शेयरहोल्डिंग की जानकारी नहीं
  • कई कंपनियों का पता, मोबाइल नंबर, ईमेल कुछ भी नहीं

आखिर इरादा क्या है चीनी कंपनियों का... क्या गारंटी है कि डाटा का MISUSE नहीं हो रहा. pubg वगैरह ऐप्स बैन हुए, कॉन्टेक्ट्स हैक करके पैसा मांग रहे हैं...

क्या है चीनी कंपनियों के खतरनाक इरादे?

भारतीयों के डाटा में सेंध लगाना (आपके डाटा में सेंध लगाकर बैंक अकाउंट डिटेल में सेंध लगा सकते हैं और बैंकों के सर्वर तक पहुंच सकते हैं...224 चीनी एप्स पर सरकार ने अब तक बैन किया है ) आम भारतीयों का पैसा लूटना.

ज़ी बिज़नेस के मेल पर PC फाइनेंशियल (कैशबीन की पैरेंट कंपनी)

मौजूदा FDI नियमों से कोई रिस्क नहीं. पीसी फाइनेशियल नैस्डैक में लिस्टेड और ओस्लो, नार्वे में हेडक्वार्टर्ड कंपनी ओपेरा लिमिटेड की 100% सहयोगी कंपनी है. कंपनी के पास पर्याप्त नकदी है... एक साल तक कोई और FDI की जरूरत नहीं... पूंजी को लेकर कोई बड़ी चुनौती नहीं है. सरकारी मंजूरी के साथ NBFC सेक्टर में 100% FDI की इजाजत है.

PC फाइनेंशियल के अलावा किसी भी कंपनी ने ज़ी बिज़नेस के ई-मेल का जवाब नहीं दिया.

ज़ी बिज़नेस की मांग

 

  • इन कंपनियों में चीन से आने वाले पैसों की जांच की जाए.
  • कौनसे चीनी निवेशक आम भारतीयों को लूट रहे हैं?
  • RBI, MCA और सरकारी इसकी पूरी जांच करे.
  • सबसे बड़ी दिक्कत अन-रजिस्टर्ड लोन मोबाइल ऐप को पकड़ेगा कौन? 
  • बैन हुए चीनी ऐप्स की तरह इन कंपनियों को भी बैन किया जाए.

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ज़ी बिज़नेस की अपील

हम इन कंपनियों के भारी-भरकम ब्याज दरों, रिकवरी के गलत तरीकों और आपके पर्सनल डाटा के इस्तेमाल के खिलाफ हैं लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि आप लोन ना चुकाएं, ये आपकी जिम्मेदारी है... जल्द से जल्द पूरा करें और ज़ी बिज़नेस के नाम पर कंपनियों को ना धमकाएं.